Jharkhand: ‘रानी मिस्त्री’ बन नक्सल प्रभावित क्षेत्र की महिलाएं बनी आत्मनिर्भर

झारखंड (Jharkhand) का पाकुड़ जिला जहां रोजगार का कोई भी साधन नहीं है। जंगल-झाड़ और बंजर जमीन के साथ-साथ समुचित रोजगार का संसाधन नहीं होने के कारण यहां के लोगों के लिए बेरोजगारी एक श्राप बनकर रह गई थी।

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रानी मिस्त्री' बन नक्सल प्रभावित क्षेत्र की महिलाएं बनी आत्मनिर्भर

झारखंड (Jharkhand) का पाकुड़ जिला जहां रोजगार का कोई भी साधन नहीं है। जंगल-झाड़ और बंजर जमीन के साथ-साथ समुचित रोजगार का संसाधन नहीं होने के कारण यहां के लोगों के लिए बेरोजगारी एक श्राप बनकर रह गई थी। यह विवशता उन्हें नक्सली बना देती थी या पलायन करने को मजबूर कर देती थी।

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‘रानी मिस्त्री’ प्रीति किस्कु और रूनी गंगोई

झारखंड (Jharkhand) के पाकुड़ जिले के पुरुष रोजगार के लिए से सटे बंगाल राज्य के कोलकाता, दुर्गापुर, आसनसोल सहित अन्य मेट्रो सिटीज में जाकर मेहनत करते हैं। परंतु महिलाओं के पास कोई रोजगार नहीं था। ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन इन महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ। जिला प्रशासन द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बनाए जा रहे शौचालयों के लिए ‘रानी मिस्त्री’ का प्रशिक्षण जिले के सभी प्रखंड की महिलाओं को दिया गया। फलस्वरूप ये महिलाएं राजमिस्त्री का काम करने लगीं। इन्हें संबोधन में ‘रानी मिस्त्री’ कहा जाता है। ऐसी ही एक महिला ने रानी मिस्त्री बनकर अपने हुनर का जौहर दिखाया, जिसका नाम है रूनी गंगोई।

रूनी का कहना है कि मेरे लिए परिवार चलाना मुश्किल काम था। लेकिन ‘रानी मिस्त्री’ बन कर हम आज अपने हुनर का प्रयोग कर रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बन रहे बनाए जा रहे शौचालयों में बतौर रानी मिस्त्री मैं अपनी भूमिका अदा कर रही हूं। 1 दिन में कम से कम दो शौचालय का निर्माण कर लेती हूं। जिसमें मुझे प्रतिदिन अच्छी कमाई हो रही है। अब हम बेरोजगार नहीं रहे। अपने पंचायत में काम पूरा हो जाने के पश्चात मैं अन्य पंचायत में शौचालय निर्माण का काम करूंगी। इतना ही नहीं मैं राजमिस्त्री का काम पूरी तरह से सीख गई हूं। अब मैं घर का भी निर्माण आसानी से कर सकूंगी। सप्ताह में मैं करीब 3500 रूपए कमा लेती हूं।

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इस तरह 1 महीने में मेरी खुद की कमाई 14000 रूपए हो जाती है। जिससे मैं अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ घर परिवार को भी अच्छे से चला लेती हूं। वह कहती हैं कि पति बाहर कमाने गया है, जिसका सारा पैसा अब मैं बचा लूंगी और आगे बढूंगी। वहीं, एक दूसरी महिला प्रीति किस्कु वह कहती हैं कि स्वच्छ भारत मिशन हमारे सपनों को साकार करने में मददगार साबित हुआ। बता दें कि झारखंड (Jharkhand) के पाकुड़ के महेशपुर पंचायत के पलसा गांव में घर के नाम पर मिट्टी से बने दीवार और फुस की झोपड़ियां ही हैं। यहां के लोगों की जिंदगी इसी में कटती आ रही है। इस गांव में कुल 625 परिवार रहते हैं, जिसमें कुल 500 घर हैं।

रूनी गंगोई और प्रीति किस्कु दोनों मिलकर पहले अपने ही गांव का शौचालय निर्माण कर रही हैं। इन दोनों रानी मिस्त्रीयों के साथ काम कर रही महिलाओं के हाथ में भी हुनर आ जाएगा। इस प्रकार पाकुर जिले के महिलाएं रानी मिस्त्री बनकर आगे बढ़ रही है और अपने जीवन में खुशहाली लाने के लिए दिन हर रोज मेहनत कर रही हैं। बता दें कि झारखंड (Jharkhand) सरकार द्वारा पाकुड़ के महेशपुर पंचायत में 600,000 रूपए का बजट दिया गया है, जिससे केवल शौचालय का ही निर्माण होना है। रोजगार मिलने से लोगों के चेहरों में खुशहाली साफ देखने को मिल रही है। अब इनकी विवशता इन्हें न नक्सली बनमे को मजबूर करेगी और न ही पलायन करने को।

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