Jharkhand: ग्रामीण महिलाओं ने दिखाई अपनी ताकत, अब नहीं फंस पाएंगी नक्सलियों के चंगुल में

नक्सल प्रभावित गांव में रहने वाली महिलाओं ने दिखाई अपनी ताकत, झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसायटी द्वारा दिया गया पशु सखी का प्रशिक्षण। 

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नक्सल प्रभावित गांव में रहने वाली महिलाओं ने दिखाई अपनी ताकत, झारखंड लाइवलीहुड सोसायटी प्रमोशन द्वारा दिया गया पशु सखी का प्रशिक्षण

नक्सल प्रभावित गांव में रहने वाली महिलाओं ने दिखाई अपनी ताकत।

झारखंड (Jharkhand) लाइवलीहुड प्रमोशन सोसायटी द्वारा दिया गया पशु सखी का प्रशिक्षण। 

पशुओं का इलाज कर महिलाएं महीने में कर रही हैं 8000 से 10000 तक की कमाई।

नक्सलियों को दिखा रही हैं ठेंगा, अब नहीं फंस पाएंगी नक्सलियों के चंगुल में ग्रामीण महिलाएं।

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पशुओं का इलाज करतीं पशु सखी।

झारखंड (Jharkhand) ग्रामीण विकास विभाग द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आमदनी बढ़ाने की वचनबद्धता तथा नक्सल को समूल नष्ट करने की मजबूत इच्छा-शक्ति ने नक्सल प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। सरकार के इस मुहिम में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा सृजित सखी मंडल खूब बढ़-चढ़कर भाग ले रही है। परिणाम स्वरूप पढ़ी-लिखी महिलाओं का रोजगार की तलाश में झारखंड (Jharkhand) राज्य से बाहर राज्यों में जाना बंद हो गया। साथ ही साथ वे नक्सलियों द्वारा दिए गए आर्थिक प्रलोभन में फंस कर नक्सल पथ को चुनने से बचने लगीं। आज समय के साथ-साथ नक्सल प्रभावित गांव में रहने वाली महिलाओं की दुनिया बदल गई है।

बदलाव की यह कहानी झारखंड (Jharkhand) की राजधानी रांची से कुछ दूर बसे माडर गांव की है, जहां के बिहड़ों में कभी नक्सलियों के खौफ से कोई जाता नहीं था। आज उन जंगलों में बसे गांव में पशु सखी शीतल उरांव अपनी बाइक से पहुंच जाती हैं। पशु चिकित्सा से संबंधित औजार एवं दवा लेकर इन गांवों में घूमती हैं तथा गांव में बीमार बकरी से लेकर गायों तक का इलाज करती हैं। शीतल का कहना है कि पशुओं के इलाज से हमें अच्छी आमदनी हो जाती है तथा गांव के पशुओं का समय पर इलाज भी हो जाता है। जिससे किसानों का पशुधन सुरक्षित एवं स्वस्थ रहता है। लोग मुझे डॉ. दीदी के नाम से पुकारते हैं।

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उनका कहना है कि झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी से जुड़कर हमने पशु चिकित्सा का प्रशिक्षण लिया। जिससे वह प्रशिक्षण आज हमें रोजगार दे रहा है। उन्होंने बताया कि ब्लॉक स्तरीय ट्रेनिंग के बाद मुझे बकरियों की बीमारी पीपीआर ,खुरपका, मुंह पका जैसी बीमारियों का कैसे इलाज किया जाता है, इसकी जानकारी दी गई। पशुओं के पोषण, रखरखाव, तथा इलाज सही समय से कैसे किया जाता है इसका भी हमें प्रशिक्षण दिया गया। पशुओं में किसी तरह की कोई बीमारी ना हो इसके बचाव के लिए मौसम के अनुसार टीके, कृमि नाशक आदि देने की कला सिखाई गई, जो आज मेरे काम आ रहा है।

बता दें कि झारखंड (Jharkhand) ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत काम करने वाली संस्था झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा सृजित सखी मंडल कि महिलाओं को पशु सखी के रूप में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त महिलाएं झारखंड के कई गांव में पशु सखी के रूप में काम कर रही हैं तथा अच्छी कमाई कर रही हैं। इसके पीछे सरकार का एक मुख्य मकसद है कि गांव में रहने वाली महिलाएं आगे आएं तथा अपनी आर्थिक स्थिति और सामाजिक स्तर को भी ऊंचा करते हुए मुख्यधारा में जुड़े रहें, ताकि नक्सलियों के चंगुल से इन भोली-भाली महिलाओं को बचाया जा सके। साथ ही साथ नक्सलियों को गांव के महिला पुरुषों द्वारा ही जवाब दिया जाए।

बता दें कि शीतल जैसे पूरे राज्य में 5000 से ज्यादा पशु सखियां काम कर रही हैं। इसकी वजह से उनके जीवन में अहम बदलाव आ चुका है। इनकी आमदनी महीने में 6000 से 10000 रूपए तक हो जाती है। एक सरकारी आंकड़े के अनुसार, राज्य में पशुधन की मृत्यु दर पहले की अपेक्षा 40% तक घट गई है। जो पशुपालक पहले 5 से 7 गाय और बैल अथवा बकरी पालन करते थे, आज दर्जनों की संख्या में पशुधन का पालन कर बिक्री कर रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं। इन लोगों की आर्थिक स्थिति अब काफी बेहतर हो गई है।

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