Jharkhand: धनबाद में किसानों को सिखाया जा रहा मशरूम की खेती का वैज्ञानिक तरीका, बढ़ा सकेंगे पैदावार

धनबाद में किसानों को मशरूम (Mushroom) की खेती का वैज्ञानिक तरीका सिखाया जा रहा है, जिससे वे पैदावार बढ़ा सकें। किसानों को अब केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (CIMFR) के वैज्ञानिक हर मौसम में मशरूम की खेती का तरीका बता रहे हैं।

Mushroom

गांव के किसानों को बताया जा रहा है कि 20 से 30 डिग्री तापमान में मशरूम (Mushroom) की अच्छी पैदावार हो सकती है। वेस्टर प्रजाति के मशरूम की खेती 18 से 23 डिग्री तापमान पर भी की जा सकती है।

झारखंड (Jharkhand) के धनबाद में किसानों को मशरूम (Mushroom) की खेती का वैज्ञानिक तरीका सिखाया जा रहा है, जिससे वे पैदावार बढ़ा सकें। किसानों को अब केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (CIMFR) के वैज्ञानिक हर मौसम में मशरूम की खेती का तरीका बता रहे हैं।

गांव के किसानों को बताया जा रहा है कि 20 से 30 डिग्री तापमान में मशरूम (Mushroom) की अच्छी पैदावार हो सकती है। वेस्टर प्रजाति के मशरूम की खेती 18 से 23 डिग्री तापमान पर भी की जा सकती है। संस्थान के परिसर में 15 अक्टूबर को मशरूम की खेती से ग्रामीण उद्यमिता विकास परियोजना की शुरुआत हुई।

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सिम्फर के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने सेंटर का उद्घाटन किया। प्रशिक्षण लेने आए किसानों को इस तरीके की खेती के लिए प्रेरित किया गया। डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि संस्थान में प्रशिक्षण के साथ ही उन्हें बाजार उपलब्ध कराने की भी कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा, “मशरूम की खेती को रोजगार का जरिया बनाकर धनबाद के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास है। खेती के साथ साथ किसानों को मार्केट भी उपलब्ध कराया जाएगा। जल्द ही वेबसाइट की सुविधा भी दी जाएगी।”

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ग्रामीण उद्यमिता विकास परियोजना के प्रोजेक्ट हेड डॉ. डीबी सिंह ने बताया कि किसानों को मौसम अनुरूप मशरूम (Mushroom) की खेती के तरीके बताए जाएंगे। मौजूदा सीजन वेस्टर का है। इसके बाद जाड़े में बटर प्रजाति के मशरूम की खेती की बारी आएगी। उसके लिए 16 से 24 डिग्री तापमान होना चाहिए।

मिल्की प्रजाति के मशरूम की खेती का समय गर्मी में होगा, क्योंकि 40 डिग्री तापमान में ही मिल्की प्रजाति के मशरूम (Mushroom) की खेती के परिणाम बेहतर होते हैं। सिम्फर वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण केंद्र के लिए संस्थान के 40 साल पुराने बेकार पड़े भवन को नए सिरे से विकसित किया है।

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किसानों को भी बताया गया कि मशरूम की खेती के लिए ऐसे ही किसी बेकार पड़े घर का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए अलग से भवन की आवश्यकता नहीं है। संस्थान परिसर में इसके लिए डेमोस्ट्रेशन सेंटर बनाया गया है। यहां प्रशिक्षण के साथ डेमो भी दिखाया जाएगा। उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने के विकल्प भी बताए जाएंगे।

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