Jharkhand: अब नहीं रहा खौफ! नक्सली इलाकों में आम लोग कर रहे वोट देने की अपील

झारखंड (Jharkhand) के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों के हालात अब बदलते नजर आ रहे हैं। किसी जमाने में नक्सलियों के खौफ से चुनाव का बहिष्कार करने वाले और नारे लगाने वाले खुद लोगों से मतदान की अपील कर रहे हैं।

Jharkhand

झारखंड (Jharkhand) के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों के हालात अब बदलते नजर आ रहे हैं।

झारखंड (Jharkhand) के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों के हालात अब बदलते नजर आ रहे हैं। किसी जमाने में नक्सलियों के खौफ से चुनाव का बहिष्कार करने वाले और नारे लगाने वाले खुद लोगों से मतदान की अपील कर रहे हैं।

Jharkhand
सांकेतिक तस्वीर।

दरअसल, झारखंड (Jharkhand) में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य के धनबाद जिले का टुंडी और तोपचांची इलाका दशकों लाल आतंक के साए में रहा है। नक्सलियों के डर से यहां के लोग चुनाव में घरों से निकलकर मतदान के लिए नहीं आते थे। उन्हें अपने मताधिकार की अहमियत का अंदाजा नहीं था। लेकिन अब यहां फिजा बदल रही है। लोगों को मतदान के लिए जागरूक किया जा रहा है। इन इलाकों में इन्हें मतदान का संकल्प दिलाया जा रहा है। गांव की आंगनबाड़ी दीदी, सहिया, सेविका और आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं के साथ आम लोग भी लोगों को वोट देने की अपील कर रही हैं।

आज स्थिति यह है कि झारखंड (Jharkhand) के इस नक्सल-प्रभावित इलाके में पिछले 5 सालों में छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो कोई बड़ी नक्सली घटना नहीं हुई है। बता दें कि इस इलाके में शिबू सोरेन के आंदोलन की समाप्ति के बाद साल 1982 को विशेष केंद्रीय सहायता से अनुसूचित जनजाति बच्चों के लिए 4 एकड़ 94 डिसमिल में एकमात्र आवासीय विद्यालय की शुरुआत की गई थी। ताकि यहां अनुसूचित जनजाति के बच्चे छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर सकें। लेकिन नक्सली आंदोलन का काला साया इस स्कूल पर पड़ने लगा। यह स्कूल साल 2002-03 में बंद हो गया। स्कूल भवन को बाद में पुलिस पिकेट के रूप में तब्दील कर दिया गया।

इसे नक्सली पचा नहीं पा रहे थे। आखिरकार साल 2006 में नक्सलियों ने इस भवन में विस्फोट कर उड़ा दिया। बहरहाल, झारखंड (Jharkhand) के इस इलाके के लोगों में जागरूकता आ रही है। लोग चुनाव और मतदान का महत्व समझ रहे हैं। तभी तो स्वयं यहां कि महिलाएं भी लोगों से मतदान की अपील कर रही हैं। सरकार की विकास यजनाओं को यहां तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। अब वह दिन दूर नहीं जब लाल आतंक से त्रस्त इस इलाके की सूरत पूरी तरह बदल जाएगी।

पढ़ें: 100 दिन बाद घाटी में उमड़ी सैलानियों की भीड़, बाजारों में भी दिखी रौनक

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें