बदल रहा है कश्मीर, अब हथियारों की जगह युवा इस चीज को थामकर चढ़ रहे विकास की सीढ़ी

घाटी (Kashmir) के युवा अब आतंकवाद से दूर जा रहे हैं। वे सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे हैं और अपने भविष्य को संवार रहे हैं। आज कश्मीर में युवा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल में भी आगे जा रहे हैं।

Kashmir

फाइल फोटो।

कश्मीर (Kashmir) का युवा अब अपनी सोच बदल रहा है। अब कश्मीर का युवा समझ चुका है कि उन्हें कई सालों तक गुमराह किया गया।

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के युवाओं में अब नया बदलाव देखने को मिल रहा है। वे अब हिंसा नहीं, बल्कि विकास का रास्ता चुन रहे हैं। इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं गाजी अब्दुल्ला। श्रीनगर के गाजी अब्‍दुल्‍ला के पिता एक आतंकवादी थे और साल 1998 में एक पुलिस मुठभेड़ में मारे गए। लेकिन अब्‍दुल्‍ला ने आतंकवाद का रास्ता न चुन कर देश सेवा का रास्ता चुना।

अब्‍दुल्‍ला ने कश्‍मीर एडमिनिस्‍ट्रेटिव सर्विसेज (केएएस) की परीक्षा पास की और अफसर बन गए हैं। पिता की मौत के बाद अब्‍दुल्‍ला श्रीनगर के बेमिना स्थित बाल आश्रम में रहे। वहीं रहकर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की।

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हालांकि, यह कोई पहला ऐसा मामला नहीं है। इससे पहले भी कई युवा सामने आए हैं, जो हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति और सुकून का जीवन चुना। घाटी के युवा अब आतंकवाद से दूर जा रहे हैं। वे सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे हैं और अपने भविष्य को संवार रहे हैं। आज कश्मीर (Kashmir) में युवा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल में भी आगे जा रहे हैं।

आईएएस, आईपीएस, केएएस या फिर अन्य सरकारी नौकरी पाने के लिए यहां के युवा मेहनत कर रहे हैं। कश्मीर में सेना की भर्ती में भी कश्मीरी युवाओं की संख्या ज्यादा होती है। किसी सरकारी विभाग में नौकरियों के लिए भरे जाने वाले फार्म में कश्मीर के युवाओं की संख्या अब पहले से कहीं अधिक होती है।

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जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक, केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में कमी आई है। यही नहीं पिछले साल की तुलना में इस इस साल कानून व्यवस्था में भी काफी सुधार हुआ है। इसके साथ ही आतंकवाद का दामन थामने वाले हाथ कम हुए हैं। युवा पिछले साल के मुकाबले आतंकवाद की राह पर कम जा रहे हैं।

कश्मीर (Kashmir) का युवा अब अपनी सोच बदल रहा है। उनका कहना है कि अब कश्मीर का युवा समझ चुका है कि उन्हें कई सालों तक गुमराह किया गया। कश्मीर में सुरक्षाबलों की तरफ से चलाए जाने वाले कार्यक्रमों में भी युवा आगे आकर पूरा साथ दे रहे हैं।

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इन दिनों कश्मीर (Kashmir) में क्रिकेट मैच का आयोजन किया गया है। जिसमें हर जिले के युवा भाग ले रहे हैं। पहले इस तरह के कार्यक्रमों से युवा किनारा कर लेते थे। अलगाववादी संगठनों से भी युवा अब किनारा कर रहे हैं। इससे साफ है कि अब कश्मीर की फिजा बदल रही है। आतंकवाद कश्मीर में खत्म होने की कगार पर है।

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