छत्तीसगढ़: सरेंडर करने वाले नक्सलियों को बसाने की योजना, दंतेवाड़ा में 24 एकड़ में बन रहा लोन वर्राटू हब

अभी ये हब 24 एकड़ में बनाया जा रहा है, बाद में इसका और विस्तार किया जाएगा। इसके लिए पूरी तरह से प्लानिंग कर ली गई है।

loan Verratu Hub

इस हब (loan Verratu Hub) के बनने से सरेंडर करने वाले नक्सलियों के जीवन को नई दिशा मिलेगी और वह मुख्यधारा से जुड़ पाएंगे। दंतेवाड़ा के कलेक्टर दीपक सोनी और एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने मिलकर लोन वर्राटू हब की योजना बनाई।

दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में चलाया जा रहा लोन वर्राटू अभियान सफल हो रहा है। अब तक इस अभियान से प्रभावित होकर 375 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं।

ताजा मामला ये है कि दंतेवाड़ा में 24 एकड़ में लोन वर्राटू हब (loan Verratu Hub) बन रहा है। यहां सरेंडर करने वाले नक्सलियों को एक ही जगह पर रोजगार और आवास की सुविधा मिलेगी। ये इस तरह का देश का पहला मॉडल होगा और कॉलोनी का नाम शहीद महेंद्र कर्मा के नाम पर रखा जाएगा।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस हब के निर्माण का भूमिपूजन किया था। अब इसका निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है। अभी ये हब 24 एकड़ में बनाया जा रहा है, बाद में इसका और विस्तार किया जाएगा। इसके लिए पूरी तरह से प्लानिंग कर ली गई है।

इस हब (loan Verratu Hub) के बनने से सरेंडर करने वाले नक्सलियों के जीवन को नई दिशा मिलेगी और वह मुख्यधारा से जुड़ पाएंगे। दंतेवाड़ा के कलेक्टर दीपक सोनी और एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने मिलकर लोन वर्राटू हब की योजना बनाई और कलेक्टर ने ये भी कहा कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए नई प्लानिंग के तहत काम शुरू किया गया है, जिससे वे सरकार की हर योजनाओं से जुड़ सकें।

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बस्तर के IG सुंदरराज पी ने कहा कि ये देश का अपनी तरह का पहला मॉडल है। नक्सल उन्मूलन को लेकर दंतेवाड़ा में बेहतर काम हो रहा है।

लोन वर्राटू हब के पहले चरण में 36 क्वार्टर बन रहे हैं, जो सिर्फ सरेंडर करने वाले नक्सलियों के होंगे। बाद में इनकी संख्या को बढ़ाया जाएगा। यहां ट्रांजिट हॉस्टल और सामुदायिक भवन भी बन रहा है।

इसके अलावा यहां प्राइमरी स्कूल, आंगनबाड़ी बनाए जाएंगे, जिसमें सरेंडर करने वाले नक्सलियों के बच्चे पढ़ेंगे। रोजगार के लिए 20 दुकानें बनेंगी, जिनका संचालन सरेंडर करने वाले नक्सली करेंगे। इसके अलावा पशुपालन पर भी जोर दिया जाएगा। इस हब में गार्डन, सड़क, बिजली जैसी तमाम सुविधाएं होंगी।

यहां के ट्रांजिट हॉस्टल में वो गांववाले भी आकर रह सकेंगे, जो नक्सलियों के डर से गांव छोड़कर भाग चुके हैं।

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