Chhattisgarh: नक्सल प्रभावित इस गांव में दिख रहा सरकार के प्रयासों के असर, बीते 5 सालों में नहीं हुई एक भी नक्सली घटना

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) से नक्सलवाद (Naxalism) को उखाड़ फेंकने के लिए सरकार और प्रशासन पूरी तरह कमर कस चुके हैं। नक्सिलयों (Naxals) की जड़ खोदने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

Naxalism

नक्सलवाद (Naxalism) के खात्मे के लिए सबसे अहम पहलू नक्सल प्रभावित इलाकों का विकास है। सरकार इन इलाकों में बेहतरी लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) से नक्सलवाद (Naxalism) को उखाड़ फेंकने के लिए सरकार और प्रशासन पूरी तरह कमर कस चुके हैं। नक्सिलयों (Naxals) की जड़ खोदने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ अभियान जारी है। एनकाउंटर में वे मारे जा रहे या सर्च ऑपरेशन में गिरफ्तार किए जा रहे हैं।

इसके अलावा अभियान चलाकर उनका आत्मसमर्पण भी करवाया जा रहा है। सरकार की पुनर्वास नीतियों से प्रभावित होकर नक्सली सरेंडर भी कर रहे हैं। साथ ही नक्सलवाद (Naxalism) के खात्मे के लिए सबसे अहम पहलू नक्सल प्रभावित इलाकों का विकास है। सरकार इन इलाकों में बेहतरी लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

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सरकारी योजनाओं को सुदूर नक्सल प्रभावित इलाकों तक पहुंचाने के लिए प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश के नारायणपुर जिले की सीमा पर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर मर्दापाल मार्ग पर ग्राम पंचायत मटवाल बसा हुआ है। यह इलाका कोंडागांव जिले में आता है।

मटवाल गांव की आबादी करीब 700 है। यहां से महज 10 किलोमीटर दूर नारायणपुर जिले में अबूझमाड़ का गांव कुधूर बसा हुआ है। यहीं से अबूझमाड़ का इलाका शुरू होता है। मर्दापाल के आगे नदी पार का इलाका कुछ साल पहले तक नक्सली आतंक के लिए जाना जाता था। मर्दापाल से नदी पारकर दस किलोमीटर आगे जाने के लिए पहले नक्सलियों से इजाजत लेनी पड़ती थी।

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मटवाल ने सालों तक लाल आतंक (Naxalism) का दंश झेला है। यहां नक्सलियों ने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है। लेकिन, पांच साल पहले मटवाल में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल का कैम्प खुलने से वहां के हालात काफी बदल गए है। नतीजा यह है कि बीते पांच सालों में इस इलाके में एक भी नक्सली घटना नहीं हुई है।

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बच्चों और युवाओं का पढ़ाई के प्रति रूझान बढ़ रहा है। शिक्षा की वजह से उनका बौद्धिक विकास हो रहा है। इस नक्सल प्रभावित क्षेत्र (Naxal Area) में बिजली, पानी, आवागमन के लिए अच्छी सड़क जैसी सुविधाओं के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। यह सकारात्मक संकेत है कि इलाके में नई सुबह आने को है।

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