Chhattisgarh: कांकेर के नक्सल प्रभावित इलाकों में मिलेगी विकास को रफ्तार, कनेक्टिविटी के लिए हो रहा सड़कों का निर्माण

नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में विकास के लिए सरकार और प्रशासन लगातार प्रयास कर रही है। विकास आने से ही इन इलाकों को नक्सलवाद से मुक्ति मिल सकेगी और यहां के लोग सुकून का जीवन जी सकेंगे।

Naxal Area

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नक्सल प्रभावित (Naxal Area) कांकेर जिले के विकासखंड कोयलीबेड़ा के कोयलीबेड़ा से प्रतापपुर मार्ग में ग्राम कामतेड़ा और कटगांव के पास मेड़की नदी पर पुल का निर्माण किया जा रहा है।

नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में विकास (Development) के लिए सरकार और प्रशासन लगातार प्रयास कर रही है। विकास आने से ही इन इलाकों को नक्सलवाद (Naxalism) से मुक्ति मिल सकेगी और यहां के लोग सुकून का जीवन जी सकेंगे। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में बेहतर कनेक्टिविटी और सुदूर ग्रामीण अंचलों को मुख्य मार्गों से जोड़ने के लिए सड़कों के साथ-साथ पुलों का निर्माण किया जा रहा है।

जिन इलाकों में नक्सलियों (Naxalites) की दहशत के कारण विकास कार्य नहीं हो पा रहे थे अब उन क्षेत्रों में भी सड़कों का निर्माण तेजी से हो रहा है। साथ ही रास्ते में पड़ने वाले नदियों और नालों पर पुलों का निर्माण किया जा रहा है जिससे आवाजाही आसान होगी और इसका फायदा क्षेत्र के लोगों को मिलेगा।

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नक्सल प्रभावित (Naxal Area) कांकेर जिले के विकासखंड कोयलीबेड़ा के कोयलीबेड़ा से प्रतापपुर मार्ग में ग्राम कामतेड़ा और कटगांव के पास मेड़की नदी पर पुल का निर्माण किया जा रहा है। यह इलाका बेहद संवेदनशील है। यहां नक्सली आए दिन अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देते रहते हैं। यही कारण है कि यहां अर्द्धसैनिक बलों की निगरानी में पुलों का निर्माण किया जा रहा है।

इसके लिए इलाके में सुरक्षाबलों के कैंप भी स्थापित किए गए हैं। वर्तमान में कामतेड़ा और कटगांव पुल का निर्माण का काम चल रहा है। इन पुलों के बन जाने से कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के लगभग 20 से 25 गावों के अलावा नारायणपुर जिले के ग्राम पंचायत गोमे, आदनार और आसपास के अन्य ग्राम पंचायतों को भी आवागमन की सुविधा होगी।

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इस बाबात जानकारी देते हुए कांकेर जिले के डीएम चंदन कुमार ने बताया कि इन इलाकों के ग्रामीणों के अलावा नारायणपुर जिले के ग्राम पंचायत गोमे, आदनार के ग्रामीण भी अपने रोजमर्रा की जरूरतों के लिए कोयलीबेड़ा खरीदी करने आते हैं। इसके लिए उन्हें नदी पार करना होता है। उक्त पुल के बन जाने से उन्हें जान जोखिम में डालकर मेड़की नदी को पार करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इस क्षेत्र के गांव बारिस के दिनों में एक-दूसरे से कट जाते हैं। दोनों पुलों के बन जाने से कोयलीबेड़ा और पखांजूर की दूरी भी लगभग 120 किलोमीटर से घटकर 45 किलोमीटर ही रह जाएगी।

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