Chhattisgarh: बीजापुर के नक्सल प्रभावित इलाकों में फैलेगा शिक्षा का उजियारा, बीते ढाई सालों में बने 23 पोटाकेबिन और 8 छात्रावास

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर (Bijapur) जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में नक्सली दहशत से विकास नहीं हो पा रहा था, बेरोजगारी और अशिक्षा थी। बच्चों की शिक्षा के लिए सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी।

Naxalites

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इन धुर नक्सली प्रभावित इलाके (Naxal Area) में अब शिक्षा को क्षेत्र में लगातार विकास हो रहा है। बीते ढाई सालों में इन इलाकों में 23 नवीन पोटाकेबिन और 8 नए छात्रावास भवन बनाए गए हैं।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजापुर (Bijapur) जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में नक्सली दहशत से विकास नहीं हो पा रहा था, बेरोजगारी और अशिक्षा थी। बच्चों की शिक्षा के लिए सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी। जिसकी वजह से नक्सली इलाके के लोगों को बरगलाकर अपने साथ शामिल कर लेते थे। साथ ही वे इन इलाकों में विकास का कोई भी काम नहीं होने देते थे।

पर अब हालात बदल रहे हैं। इन धुर नक्सली प्रभावित इलाके (Naxal Area) में अब शिक्षा को क्षेत्र में लगातार विकास हो रहा है। बीते ढाई सालों में इन इलाकों में 23 नवीन पोटाकेबिन और 8 नए छात्रावास भवन बनाए गए हैं। वहीं, जिले के सुदूर इलाकों में बंद पड़े 56 स्कूलों को फिर से खोल दिया गया है।

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इतना ही नहीं, आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने सहित उनके सर्वांगीण विकास के लिए उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की भी पहल की गई है। इसके लिए जिला मुख्यालय बीजापुर में स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल संचालित किया जा रहा है।

स्कूल भवन में सभी सुविधाओं से लैस क्लास रूम,आधुनिक कम्प्यूटर कक्ष, लाइब्रेरी, उच्चस्तरीय प्रयोग शाला है। साथ ही योग्य शिक्षकों की नियुक्ति से बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में भी बेहतरी आएगी। इस स्कूल में शिक्षा सत्र 2020-21 से कक्षा पहली से बारहवीं तक कक्षाएं संचालित हैं, जिसमें 431 छात्र-छात्राएं हैं। वहीं, शिक्षा सत्र 2021-22 के लिए भी ऑनलाइन प्रवेश की प्रक्रिया जारी है।

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जिले के भोपालपटनम, भैरमगढ़ तथा उसूर ब्लाक में भी स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल संचालित करने के लिए प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। जिले के दूरस्थ अंदरूनी नक्सल ग्रस्त इलाकों (Naxal Area) में ये स्कूल एवं छात्रवास बच्चों को नक्सलवाद के विचारों से प्रभावित होने से रोकने में मददगार साबित होंगे और इस इलाके के बच्चे शिक्षा के जरिए अपना भविष्य संवार सकेंगे।

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