Chhattisgarh: इन नक्सल प्रभावित इलाकों में बच्चों में कुपोषण की दर तीन महीने में हुई आधी, जिला प्रशासन की कोशिशों से मिली कामयाबी

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में हर क्षेत्र में बेहतरी के लिए लगातार काम हो रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क समेत सभी मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है। इसी क्रम में महिला एवं बाल विकास विभाग ने सराहनीय काम किया है।

Bastar

फाइल फोटो।

बस्तर (Bastar) संभाग में सबसे कम कुपोषण की दर जगदलपुर ग्रामीण परियोजना के धरमपुरा सेक्टर में है। यहां के 28 आंबा केंद्रों में दर्ज 1255 बच्चों में केवल 4.9 फीसद बच्चे ही कुपोषित बचे हैं।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में हर क्षेत्र में बेहतरी के लिए लगातार काम हो रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क समेत सभी मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है। इसी क्रम में महिला एवं बाल विकास विभाग ने सराहनीय काम किया है। महिला एवं बाल विकास विभाग की बस्तर (Bastar) संभाग के जगदलपुर ग्रामीण परियोजना में आंगनबाड़ी के कुपोषण के शिकार बच्चों की दर तीन माह में ही गिरकर आधी हो गई है।

इस परियोजना के पांच आंगनबाड़ी केंद्र पूरी तरह से कुपोषण मुक्त हो गए हैं वहीं करीब बीस आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं जहां केवल एक-एक बच्चा ही कुपोषित बचा है। परियोजना में कुपोषण के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे सुपोषण अभियान में सबसे सफल सेक्टर धरमपुरा और जगदलपुर क्रमांक एक रहे हैं।

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धरमपुरा सेक्टर में कुपोषण की दर पांच और जगदलपुर क्रमांक एक में दस फीसद से नीचे चली गई है। जगदलपुर परियोजना में जनवरी, 2021 के अंत में जारी आंकड़ों के अनुसार, कुपोषण की दर 14 फीसद पहुंच गई है। जबकि तीन महीने पहले यहां कुपोषित बच्चों की संख्या 28 फीसद के आसपास रही थी।

गौरतलब है कि बस्तर (Bastar) संभाग में सबसे कम कुपोषण की दर जगदलपुर ग्रामीण परियोजना के धरमपुरा सेक्टर में है। यहां के 28 आंबा केंद्रों में दर्ज 1255 बच्चों में केवल 4.9 फीसद बच्चे ही कुपोषित बचे हैं। इसके बाद जगदलपुर सेक्टर क्रमांक-2 का नंबर आता है। यहां आंगनबाड़ियों में दर्ज 935 बच्चों में केवल नौ फीसद बच्चे ही कुपोषित हैं।

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इन दोनों सेक्टरों में कुपोषण की दर में तेजी से गिरावट आई है। परियोजना के अन्य सेक्टरों में जगदलपुर क्रमांक-एक में 20.5 नानगूर में 17.7 नगरनार में 11.26 कुरंदी में 12.4 जाटम क्रमांक एक में 17.9 जाटम क्रमांक-दो में 16.4 कुलगांव में 23.8 आड़ावाल में 11.4 और मारकेल में 15.63 फीसद बच्चे कुपोषित हैं।

जगदलपुर ग्रामीण परियोजना के पांच केंद्रों धरमपुरा सेक्टर के आंगनबाड़ी केंद्र भाटागुड़ा के साथ जगदलपुर सेक्टर क्रमांक- दो का फ्रेजरपुर-03, संजयनगर, कुलगांव सेक्टर का कैकागढ़ और माड़पाल सेक्टर का आंबा केंद्र धनपुंजी-01 कुपोषण मुक्त हो गए हैं। इन जगहों में एक भी बच्चा कुपोषित नहीं बचा है।

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इसके अलावा, जगदलपुर सेक्टर क्रमांक-02 में फ्रेजरपुर-एक, परपा-एक, परपा-दो, सरगीपाल-दो और पामेला, धरमपुरा सेक्टर में धरमपुरा-दो, कंगोली, नेगीगुड़ा-एक, नेगीगुड़ा-दो, कालीपुर-दो, आवासपारा कालीपुर और डोंगरीपारा, नानगूर सेक्टर में नानगूर-दो, कीचकरास, गोपापदर, नगरनार सेक्टर में कुम्हली-दो, माड़पाल सेक्टर में धनपुंजी महारापारा, आड़ावाल सेक्टर में आड़ावाल खासपारा, कुसुमपाल और आड़ावाल नयापारा ऐसे केंद्र हैं जहां केवल एक-एक बच्चा ही कुपोषित है।

बता दें कि बस्तर (Bastar)  में बच्चों में कुपोषण शुरू से ही गंभीर समस्या रही है। कोरोना काल के शुरुआत में अप्रैल, 2020 में जिले में शून्य से पांच साल आयुवर्ग के आंगनबाड़ी केंद्रों में दर्ज बच्चों में कुपोषित बच्चों की संख्या 20 फीसद थी। बाद में कोरोना काल में पिछले साल दिसंबर आते-आते संख्या बढ़कर 29 फीसद पहुंच गई थी।

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इसके बाद जिला प्रशासन ने पहले चरण में जिले के हर विकासखंड के दस-दस ग्राम पंचायत और नगरनिगम जगदलपुर के दस वार्डो को दिसंबर, 2020 तक कुपोषण मुक्त करने का बीड़ा उठाया था। रिपोर्ट अभी सामने नहीं आई है। इसी तरह मार्च, 2021 तक जगदलपुर ग्रामीण और तोकापाल परियोजना को कुपोषण मुक्त करने का लक्ष्य तय किया गया है। इस दिशा में विभागीय का मैदानी अमला विभिन्न विभागों और युवोदय के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर सामुदायिक सहयोग से सुपोषण अभियान को सफल बनानें में लगा है।

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महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अवनि कुमार बिस्वाल का कहना है कि सुपोषण अभियान की सफलता के लिए सबसे जरूरी इसे जन-जन से जोड़ना है। कुपोषण की समस्या से अभिभावकों के साथ ही ग्रामीणों को अवगत होना पड़ेगा साथ ही इसे दूर करने जागरूक भी होना पड़ेगा। जिला प्रशासन ने शासन द्वारा कुपोषण कम करने संचालित सुपोषण अभियान को सामुदायिक सहभागिता से जोड़ा गया है। विभागीय कार्यक्रमों, सेवाओं और योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। इसका फायदा नजर आने लगा है।

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