नक्सली इलाके में अच्छी पहल, गर्भवती महिलाओं के जीवन रक्षक बने ये बाइक एंबुलेंस

Bike Ambulance

Bike ambulance for pregnant ladies in Naxals area in Chhattisgarh.

इन इलाकों में स्वास्थ्य समस्याओं की गंभीरता को देखते हुए यहां के स्थानीय प्रशासन ने एक बीच का रास्ता निकाला है। जिसके तहत अब यहां बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की गई है। फोर स्ट्रोक मोटरसाइकिल को बाइक एम्बुलेंस (Bike Ambulance) में बदलने की लागत एक लाख 70 हजार रुपए आई। इसके बाद भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए, बाइक चालकों को आवश्यक प्राथमिक चिकित्सा की ट्रेनिंग भी दी गई।

Bike Ambulance
Bike ambulance for pregnant ladies in Naxals area in Chhattisgarh.

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कई इलाके आज भी ऐसे हैं जो सड़क और मुख्य मार्ग से नहीं जुड़ पाये हैं। यही कारण है कि इन इलाकों में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए लंबी जद्दोजहद करनी पड़ती है। जरा सोचिए, घर पर किसी महिला को प्रसव पीड़ा उठ गई हो, उसकी कराह के दर्द से पूरा घर गूंज रहा हो और परिवार के बाकी सदस्य असहाय स्थिति में ये सब देख रहे हों, क्योंकि उनके आस-पास स्वास्थ्य केंद्र नहीं है और ना ही कोई साधन, जिसके जरिए वो दूरस्थ स्वास्थ्य केंद्र में समय रहते गर्भवती महिला को सकुशल पहुंचा सकें।

अकसर ऐसी स्थिति में हमने देखा है कि कई बार प्रसव पीड़ा से पीडित महिला को किसी चारपाई पर लिटाकर पास के स्वास्थ्य केंद्र ले जाना पड़ता है या भगवान भरोसे घर पर ही प्रसव कराना पड़ेता है। ये वाक्या वनांचल में रहने वाले लोगों के लिए आम बात है।

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कुछ ऐसी स्थिति तब भी बनती है, जब घर पर प्रियजन को कोई मेडिकल इमरजेंसी आ जाये। ऐसे में बेबस होकर भगवान भरोसे घरेलू उपचार और झाड़-फूंक करके मरीज को ठीक करने की कोशिश होती है। यह स्थिति उन वनांचल-वासियों की भी थी, जिन तक शासन की संजीवनी 108 और महतारी 102 अथवा कोई भी चारपहिया वाहन नहीं पहुच पाता था, लेकिन उनकी इस विकट समस्या को काफी हद तक बाइक एम्बुलेंस ने कम किया है। प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को अब चारपाई से स्वास्थ्य केंद्र ले जाने की मजबूरी भी खत्म हो गई।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित अधिकांश इलाके आज भी विकास से अछूते हैं। वनांचल के कई ऐसे गांव हैं जो सड़क मार्ग से नहीं जुड़े हैं, यहां कोई भी परिवहन का साधन मौजूद नहीं है। बैलगाड़ी ही ग्रामीणों के परिवहन का एक मात्र साधन है और गांव के खेतों से होकर गुजरते पगडंडियों के सहारे ही एक जगह से दूसरे जगह पहुंचा जाता है। घोर नक्सली इलाका होने के कारण राज्य के कई इलाकों में शासन-प्रशासन चाहकर भी सड़क का निर्माण नहीं करा पाई है।

Bike Ambulance
Bike ambulance for pregnant ladies in Naxals area in Chhattisgarh.

नारायणपुर का अबूझमाड़ भी ऐसा ही एक इलाका है, जहां के अधिकांश गांव आज भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़े हैं। इन इलाकों में स्वास्थ्य समस्याओं की गंभीरता को देखते हुए यहां के स्थानीय प्रशासन ने एक बीच का रास्ता निकाला है। जिसके तहत अब यहां बाइक एम्बुलेंस (Bike Ambulance) की शुरुआत की गई है। फोर स्ट्रोक मोटरसाइकिल को बाइक एम्बुलेंस में बदलने की लागत एक लाख 70 हजार रुपए आई। इसके बाद भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए, बाइक चालकों को आवश्यक प्राथमिक चिकित्सा की ट्रेनिंग भी दी गई।

जिलाधिकारी पदुम सिंह एल्मा के अनुसार, अबूझमाड़ वह इलाका है, जहां वनांचल बहुत ज्यादा है, नदी-नाले भी बहुत हैं। इसके चलते प्रसव के लिए महिलाओं को अस्पताल जाने में सबसे बड़ी दिक्कत आती है। इसी को ध्यान में रखकर बाइक एम्बुलेंस (Bike Ambulance) का प्रयोग सफल हुआ है। पहले दो बाइक एम्बुलेंस थीं, अब चार और बाइक एम्बुलेंस आ गई हैं। उन्होंने बताया कि ये बाइक एम्बुलेंस खास तरह से बनाई गई हैं। इसमें मोटरसाइकिल के साथ एक छतरीनुमा हिस्सा जोड़ा गया है, जिसमें गर्भवती महिला के लेटने के अलावा एक अन्य व्यक्ति के भी बैठने की जगह है। ये बिल्कुल बॉलीवुड की फिल्म शोले में दिखाई गई मोटरसाइकिल की तरह की काम करता है।

यह बाइक एम्बुलेंस (Bike Ambulance) पगडंडी वाले गावों में आसानी से पहुंच जाती है। यह प्रयोग पहले सफल रहा और अब चार बाइक एम्बुलेंस के आ जाने से वनांचल की महिलाओं के लिए प्रसव पीड़ा के दौरान काफी मदद मिल रही है।

Bike Ambulance
Bike ambulance for pregnant ladies in Naxals area in Chhattisgarh.

स्थानीय लोगों की मानें तो अबूझमाड़ के ओरछा इलाके में कई गांव तो ऐसे हैं, जहां पैदल चलकर जाना होता है। इस स्थिति में महिलाओं को प्रसव काल में चिकित्सा सुविधा के लिए घंटों इंतजार करना होता है या कई घंटों में रास्ता तय करने के बाद ही वे स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंच पाती हैं। ऐसे इलाकों की महिलाओं के लिए यह बाइक एम्बुलेंस (Bike Ambulance) बड़ी मददगार साबित होगी।

इस क्षेत्र के दुर्गम रास्तों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार प्रशासन ने यहां खच्चर का सहारा लेने की कोशिश की गई थी और इसके लिए बकायदा टेंडर भी जारी हुआ, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी। अब बाइक एम्बुलेंस (Bike Ambulance) का इस्तेमाल यहां की गर्भवती महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

 

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