नक्सली इलाकों में शिक्षा के साथ साथ-साथ खेलकूद का इंतजाम, प्रशासन ने 200 स्कूलों को दिए स्पोर्ट्स किट

सरकार नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में लोगों बच्चों और युवाओं को शिक्षित बनाने पर जोर दे रही है तो वहीं अब इन बच्चों के खेलकूद की प्रतिभा को निखारने का काम भी किया जा रहा है। बिहार के जमुई के नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार ने बच्चों के बीच कैरमबोर्ड और बैडमिंटन उपलब्ध कराया है।

Naxal Area

फाइल फोटो।

सरकार नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में लोगों बच्चों और युवाओं को शिक्षित बनाने पर जोर दे रही है तो वहीं अब इन बच्चों के खेलकूद की प्रतिभा को निखारने का काम भी किया जा रहा है। बिहार के जमुई के नक्सल प्रभावित इलाकों में सरकार ने बच्चों के बीच कैरमबोर्ड और बैडमिंटन उपलब्ध कराया है।

दरसअल, नक्सल प्रभावित इन इलाके (Naxal Area) के 200 स्कूलों के बच्चों को स्पोर्ट्स के लिए विभिन्न सामान उपबल्ध कराए गए हैं ताकि वो पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद में भी खुद को निखार सकें।

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खेल सामाग्री में हाई जंप स्टैंड, फूटवॉल, बॉलीवॉल, बैडमिंटन, कैरमबोर्ड, जंप रोप, क्रिकेट किट आदि शामिल हैं। वितरण कर रहे कर्मियों से मिली जानकारी के मुताबिक नक्सल प्रभावित इलाके के स्कूलों में नामांकित बच्चों की सेहत और मनोरंजन हेतु सरकार द्वारा यह सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।

चार वर्ष पूर्व भी मध्य विद्यालय, हाईस्कूल और प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के मनोरंजन हेतु हाइजंप, लांगजंप, झूला आदि की व्यवस्था की गयी थी। हालांकि देखरेख के अभाव में स्पोर्ट्स के यह सामान खराब हो गए थे।

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हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में स्कूलों की बेहतरी के लिए इस तरह के प्रयास किये गये हो। इससे पहले इसी साल फरवरी के महीने में छत्तीसगढ़ के कवर्धा से करीब 60 किमी दूर मध्य प्रदेश बॉर्डर से लगे हुआ जिले के नक्सल प्रभावित गांव (Naxal Affected Area) बंदूक कुंदा में ऐसी पहल की गई थी।

गांव में करीब 25 परिवार 150 लोग यहां रहते हैं। साल 2016 में यहां का स्कूल बंद हो गया था। नजदीकी स्कूल 7 किमी दूर था। नक्सलियों (Naxals) के खतरे को देखते हुए माता-पिता अपने बच्चों को वहां पढ़ाई के लिए नहीं भेज रहे थे। जिसके बाद, पुलिस ने बंद स्कूल को खुलवाया। अभी इस स्कूल में भी 28 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

इतना ही नहीं, नक्सल प्रभावित (Naxal Area) बोक्करखार में पुलिस (Police) ने कोचिंग क्लासेस भी शुरू कराई है, जहां 10वीं-12वीं के 15 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। खास बात यह है कि इन स्कूलों में स्थानीय युवा जो 10वीं-12वीं पास हैं, उन्हें पढ़ाने के लिए 8 शिक्षकों की नियुक्ति भी की गई थी और स्कूल में मध्याह्न भोजन भी शुरू करा दिया गया था।

इसके अलावा, साल 2019 में पुलिस ने नक्सल प्रभावित (Naxal Area) पंडरीपथरा और सौरू के बंद स्कूलों को खुलवाया था। पंडरीपथरा में झोपड़ी में कक्षाएं लगती थी, लेकिन अब नया भवन बन गया है। शिक्षक की भी व्यवस्था कर दी गई है। स्कूल में कक्षा पहली से 5वीं तक 19 बच्चे पढ़ाई कर रहे थे। समय-समय पर एसपी डॉ. लाल उमेद सिंह और संबंधित थानों की पुलिस इन स्कूलों में पहुंचते हैं। बच्चों को किताबें और यूनिफार्म भी दी गई है।

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