बिहार: गया के नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार हो रहा विकास, लोगों को मिल रहीं शिक्षा-स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं

बिहार (Bihar) के नक्सल प्रभावित (Naxal Area) गया जिले में विकास का काम लगातार हो रहा है। नक्सल क्षेत्रों के समेकित विकास के लिए केंद्र सरकार ने विशेष केंद्रीय सहायता योजना दी है।

Naxal Area

सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए नक्सली इलाकों (Naxal Area) में सीआरपीएफ और पुलिस बैरक का निर्माण हो रहा है। इससे लोगों में आत्मविश्वास बढ़ा है।

बिहार (Bihar) के नक्सल प्रभावित (Naxal Area) गया जिले में विकास का काम लगातार हो रहा है। नक्सल क्षेत्रों के समेकित विकास के लिए केंद्र सरकार ने विशेष केंद्रीय सहायता योजना दी है। इसके जरिए उन क्षेत्रों में विकास की रोशनी पहुंची है। इन इलाकों में गांवों के बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं पा रही थी। उनके लिए एक पुस्तकालय तक नहीं था।

नक्सल इलाका होने के कारण यहां सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती थी। सरकारी भवनों और कार्यालयों को नक्सली सबसे पहले निशाना बनाते। लेकिन यहां अब केंद्रीय सहायता योजना के तहत शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक सभी क्षेत्रों में बेहतरी आई है।

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सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए नक्सली इलाकों (Naxal Area) में सीआरपीएफ और पुलिस कैंप का निर्माण हो रहा है। इससे लोगों में आत्मविश्वास बढ़ा है। बच्चे अब समूहों में पुस्तकालय भवन में बैठकर पढ़ रहे हैं। कस्तूरबा विद्यालय की बेटियों को खेलकूद के लिए विभिन्न सामग्री दी गई है।

स्मार्ट क्लास में पढ़ रहे बच्चे

जिले के सुदूर इलाकों के 20 स्कूलों में स्मार्ट क्लास से पढ़ाई शुरू की गई है। लाकडाउन के बाद स्कूल खुलने से ग्रामीण बच्चे यहां पढ़ाई कर रहे हैं। योजना अनुसार हरेक विद्यालय को स्मार्ट क्लास के लिए 4 लाख 38 हजार 190 रुपये दिए गए हैं। इस तरह से स्मार्ट क्लास की योजना पर 87 लाख 63 हजार 800 रुपये खर्च हुए हैं। उधर, नक्सल इलाकों के 158 स्कूलों में शौचालय व 121 स्कूलों में चापाकल लगवाए गए हैं। सात बुनियादी विद्यालय समेत 103 मध्य विद्यालयों में खेल सामग्री दी गई है।

स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर पर बने एल-वन सेंटर

इसके अलावा, जिले के बाराचट्टी, डोभी, गुरारू, डुमरिया, आमस, इमामगंज जैसे नक्सल प्रभावित प्रखंडों में एल-वन सेंटर बन रहे हैं। जिले में 41 एल-वन सेंटर बनाने की योजना है। अब तक 26 के भवन बनकर पूर्ण हुए हैं।

इनमें से 10 में सुरक्षित प्रसव, एएनसी जांच इलाज होने लगा है। बाराचट्टी के भलुआ का एल-वन सेंटर में अब तक 10 प्रसव हुए हैं। दूसरी ओर, केंद्रीय सहायता से शेरघाटी, टिकारी, जेपीएन व प्रभावती अस्पताल में आधुनिक कैंटीन खुली है। यहां भर्ती मरीजों को गरमागरम भोजन व पौष्टिक नाश्ता मिल रहा है। जीविका दीदियां मरीजों के लिए खाना बनाती हैं।

महिलाएं बना रहीं सैनेटरी नैपकिन

केंद्रीय सहायता योजना के तहत बोधगया के ढुंगेश्वरी पहाड़ी इलाके में वन समिति से जुड़ीं महिलाएं सैनेटरी नैपकिन बना रही हैं। सरकारी मदद से मिली मशीन से सैनेटरी नैपकिन बनाना सीख लिया है। इससे उन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है।

साथ ही कृषि योजना में नक्सल क्षेत्रों में कुछ महीने पहले तक अफीम की खेती से जुड़े लोगों के बीच अब लेमनग्रास की खेती भी शुरू हुई है। जिले के बाराचट्टी, डोभी, कोंच, बांकेबाजार प्रखंड में 100 एकड़ में लेमनग्रास की खेती हो रही है।

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गया के जिलाधिकारी अभिषेक सिंह कहते हैं, “केंद्रीय सहायता योजना से नक्सल इलाकों में विकास के लिए अनेक योजनाएं ली गई हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, खेलकूद, रोजगार, व्यवहार परिवर्तन व दूसरी आधारभूत जरूरतों पर ध्यान दिया जा रहा है। केंद्रीय योजना से जिलेवासियों को काफी लाभ मिला है।”

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