मधुबनी आर्ट: रांची से 35 किलोमीटर दूर बसे इस गांव की पेंटिंग्स बहुत खास हैं, देखें तस्वीरें

Madhubani Art: अविनाश ने 2014 में पहली बार इस बारे में सोचा था। एक वर्कशॉप के दौरान उन्हें पता चला कि गांव के लोगों ने कभी पेन या पेंसिल भी नहीं छुआ है।

Published by सिर्फ़ सच टीम September 3, 2020
  • शुभश्री की रिपोर्ट: अगर आप रांची से 35 किलोमीटर दूर खूंटी जिले के छोटे से गांव चंदेडी में जाएंगे तो गांव की हर घर दीवार पर कुछ ना कुछ पेंटिंग जरूर देखेंगे, इसे मधुबनी आर्ट कहते हैं।

  • हर पेंटिंग में कोई न कोई सोशल मैसेज होता है। इन पेटिंग्स में आंखों देखी घटनाएं और लोगों के जीवन से जुड़ी घटनाएं होती हैं।

  • अविनाश ने 2014 में पहली बार इस बारे में सोचा था। एक वर्कशॉप के दौरान उन्हें पता चला कि गांव के लोगों ने कभी पेन या पेंसिल भी अपने हाथों में नहीं पकड़ी है। इसके बाद अविनाश ने खुद इन गांववालों को ये कला सिखाने के बारे में सोचा।

  • पानी, जंगल से लकड़ी लाना, अस्पताल और सही इलाज ना होना, उत्सव या समस्या हर तरीके के भावों को ग्रामीण पेंटिग के जरिए दीवारों पर उतार देते हैं।

  • इनमें एक पेंटिंग सबसे ज्यादा चर्चा में आई थी। इसमें एक औरत प्रेगनेंट थी और पानी लेने जा रही थी। कंजो मुंडा ने इस महिला के पेट में मौजूद बच्चे की अनोखी तस्वीर को पेंट किया था।

  • अविनाश और उनकी बहन शालिनी ने मिलकर इन लोगों की प्रतिभा को निखारा। अब वह ट्रेडीशनल आर्ट फॉर्म सोहराई को मधुबनी आर्ट के साथ मिलाकर सबके सामने लाते हैं।

  • 2016 में आर्टरीज ऑर्गनाइजेशन ने अविनाश को ग्रांट दिया। इसके बाद अविनाश ने गांव से आए 20 स्टूडेंट्स को ट्रेनिंग दी।

  • आर्टरीज फेस्टिवल के दौरान इन पेंटिंग्स में से 5 की बिक्री भी हुई और इन पेंटिंग्स का पैसा भी बनाने वालों को ही दिया गया। कुछ दिन पहले ही अविनाश की नटराज पेंटिंग ढाई लाख रुपए में बिकी थी। इसके बाद ही वह चर्चा में आए थे। अविनाश ने बताया कि मधुबनी पेंटिंग पूरे बिहार में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

यह भी पढ़ें