जयंती विशेष: राजकपूर की एक नायाब खोज थीं साधना, 60 के दशक की सबसे महंगी अभिनेत्रियों में शुमार

राज खोसला के साथ साधना (Sadhana) की जोड़ी खूब जमी। फिल्म ‘वो कौन थी’ को भला कौन भूल सकता है। उस फिल्म के सारे गाने हिट हैं। मदन मोहन साहब का संगीत, लता जी की आवाज, राजा मेंहदी अली खान साहब के बोल और साधना जी का अभिनय। सब कुछ कमाल है।

Sadhana साधना

Veteran actress Sadhana birth anniversary II अभिनेत्री साधना जयंती

1960 और 70 के दशक में अभिनेत्री साधना (Sadhana) फिल्म प्रेमियों की सबसे पसंदीदा एक्ट्रेस रहीं। उन्होंने 35 फिल्मों में काम किया। साधना अपनी खूबसूरती और जबरदस्त अदाकारी के साथ-साथ अलग हेयर स्टाइल के लिए भी जानी जाती थीं। 1955 में वह पहली बार राजकपूर स्टारर फिल्म ‘श्री 420’ के सॉन्ग ‘मुड़-मुड़ के न देख मुड़-मुड़ के’ में कोरस गर्ल के रूप में नजर आई थीं। ‘मेरा साया’, ‘आरजू’, ‘एक फूल दो माली’, ‘लव इन शिमला’, ‘वक्त’ और ‘वो कौन थी’ जैसी हिट फिल्में इनके नाम रहीं। साधना की फिल्में भले ही हमें याद न हों, लेकिन उनके गाने आज भी उतने ही मशहूर हैं। कईयों को तो रीमेक करके दोबारा से बेचा जा रहा है। जिनमें ‘लग जा गले’, ‘झुमका गिरा रे’, ‘गुमनाम है कोई’ जैसे गाने शामिल हैं।

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हिंदी सिनेमा की बेहद खूबसूरत अभिनेत्री साधना (Sadhana) का जन्म 2 सितंबर, 1941 को कराची में हुआ था। साधना अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं। 1947 में देश के बंटवारे के बाद साधना का परिवार कराची छोड़कर मुंबई आ गया। मुंबई में ही साधना का एडमिशन करा दिया गया जहां वो पढ़ाई के साथ-साथ नृत्य भी सिखने लगीं। उसी दौरान एक्टर-डायरेक्टर राजकपूर का एक कोरियोग्रॉफर साधना के स्कूल में उनकी फिल्म के लिए कुछ लड़कियों को सेलेक्ट करने के लिए आया। स्कूल की डांस टीचर ने कुछ चुनिंदा लड़कियों से डांस का ट्रायल लिया और जिन लड़कियों को राजकपूर की फिल्म ‘श्री 420’ के लिए सेलेक्ट किया था उनमें साधना भी एक थीं। यहीं से साधना का रुझान फिल्मों की तरफ हो चला। 

साधना को बचपन से फिल्मों में एक्टिंग का शौक था। इसकी तैयारी उन्होंने कॉलेज के दिनों में ही शुरू कर दी थी। वो कॉलेज में थिएटर करती थीं। ऐसे ही किसी शो के दौरान उन्हें सिन्धी फिल्मों के किसी डायरेक्टर ने देख लिया। साल 1958 में साधना को उनकी पहली फिल्म (सिंधी) ‘अबाना’ के लिए साइन कर लिया गया। इस फिल्म के लिए उन्हें महज एक रुपए का टोकन अमाउंट दिया गया था। इसी फिल्म की पब्लिसिटी के लिए किसी मैग्जीन के कवर पर इनकी छपी फोटो तब के मशहूर प्रोड्यूसर सशाधर मुखर्जी को दिख गई। उन्हें इनका चेहरा भा गया और उन्होंने अपने एक्टिंग स्कूल में साधना का एडमिशन करवा दिया।

साधना (Sadhana) को पहला मौका भी मुखर्जी ने ही अपनी फिल्म ‘लव इन शिमला’ में दिया। इस फिल्म के हीरो सशाधर मुखर्जी के बेटे जॉय मुखर्जी थे। फिल्म सुपरहिट साबित हुई और फिर साधना ने कभी पलट कर नहीं देखा। चाहे बिमल रॉय के साथ आई फिल्म ‘पर्ख’ हो, देवानंद के साथ फिल्म ‘हम दोनों’ हो या फिर राजेंद्र कुमार के साथ आई फिल्म ‘मेरे महबूब हो’। हर फिल्म में साधना ने अपनी एक्टिंग से कमाल कर दिया था। राज खोसला के साथ इनकी जोड़ी खूब जमी। फिल्म ‘वो कौन थी’ को भला कौन भूल सकता है। उस फिल्म के सारे गाने हिट हैं। मदन मोहन साहब का संगीत, लता जी की आवाज, राजा मेंहदी अली खान साहब के बोल और साधना जी का अभिनय। सब कुछ कमाल है। ये किस्सा भी मशहूर रहा कि जब फिल्म ‘मेरे महबूब’ इन्हें ऑफर की गई तब साधना जी ने इस फिल्म में काम करने से इंकार कर दिया था और उस जमाने के मशहूर डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी से कहा कि समझ नहीं आता कि फिल्म ‘मेरे महबूब’ क्यों साइन करूं।

ऋषिकेश मुखर्जी ने उनसे पूछा कि फिल्म का हीरो कौन है। उन्होंने कहा राजेंद्र कुमार और तब ऋषि दा ने कहा कि साधना (Sadhana) तुम इस फिल्म को जरूर साइन करो क्योंकि राजेंद्र कुमार हमेशा अच्छी स्क्रिप्ट ही चुनते हैं और ये फिल्म भी बड़ी कामयाब होगी। ठीक वैसा ही हुआ। साधना ने मल्टीस्टारर फिल्म ‘वक्त’ में भी काम किया था। 60 और 70 के दशक में जहां साधना के दीवानों की कोई कमी नहीं थी। वहीं साधना का दिल अपनी ही फिल्मों के डायरेक्टर आर. के. नैयर पर आ गया था और बाद में साधना ने नैयर जी से ही शादी कर ली। साधना का हेयर स्टाइल साधना कट के नाम से मशहूर हुआ था। यह हेयर कट आर. के. नैयर की ही खोज थी। डायरेक्टर आर. के. नैयर ने साधना के लुक्स के साथ काफी एक्सपेरिमेंट किया था। उन्होंने नई नवेली हीरोइन साधना को इसी हेयर कट के साथ सिनेमा के पर्दे पर उतारा।

साधना (Sadhana) ने टाइट चूड़ीदार सलवार और कमीज से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई थी। जो 70 के दशक का फैशन ट्रेड मार्क भी बना रहा। चाहे वो शम्मी कपूर हों, संजय खान, देवानंद, राजेन्द्र कुमार या फिर सुनील दत्त सबके साथ साधना की जोड़ी सुपरहिट रही। फिल्मों से संन्यास के बाद साधना जी फिल्मों की तरफ नहीं लौटीं। हालांकि इनकी इच्छा बतौर डायरेक्टर या प्रोड्यूसर फिल्मों से जुड़ने की भी थी। साल 2002 में इन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। साधना जी का अभिनय, इनकी मुस्कुराहट, इनके जज्बाती सीन, इनका डांस सब कुछ शानदार रहा। भारतीय सिनेमा के इतिहास में साधना जी जैसी ना कोई थी और ना ही कोई होगी। 25 दिसंबर साल 2015 को साधना यह दुनिया छोड़ कर चली गईं। लेकिन वो आज भी अपने चाहने वालों के दिलों में जिंदा हैं और हमेशा रहेंगी।

 

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