पुण्यतिथि विशेष: हिंदी गीतों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले देश के पहले गायक थे मुकेश

मुकेश (Mukesh) ने दिल की गहराइयों में उतर जाने वाली अपनी सधी हुई आवाज में न केवल प्रेम के दुःख, दर्द, निराशा और विरह की गहनतम भावनाओं को अपना स्वर दिया, बल्कि हल्के- फुल्के अंदाज के हास्य, उमंग और मिलन के गीत भी गाए।

Mukesh मुकेश

Mukesh Chand Mathur with Raj Kapoor II शौमैन राज कपूर के साथ सिंगर मुकेश

हिंदी फिल्मी गीतों को अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि दिलाने वाले पहले गायक मुकेश (Mukesh) को गुजरे कई दशक हो चुके हैं, लेकिन आज भी उनकी जगह भरी नहीं जा सकी हैं। अपने 36 साल के कॅरियर में उन्होंने 1500 गाने ही गाए, लेकिन उनका लगभग हर गाना हिट रहा। मुकेश (Mukesh) ने दिल की गहराइयों में उतर जाने वाली अपनी सधी हुई आवाज में न केवल प्रेम के दुःख, दर्द, निराशा और विरह की गहनतम भावनाओं को अपना स्वर दिया, बल्कि हल्के- फुल्के अंदाज के हास्य, उमंग और मिलन के गीत भी गाए।

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मुकेश चंद माथुर का जन्म 22 जुलाई, 1923 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता लाला जोरावर चंद माथुर एक इंजीनियर थे और वह चाहते थे कि मुकेश (Mukesh) उनके नक्शे-कदम पर चलें। लेकिन वह अपने जमाने के प्रसिद्ध गायक अभिनेता कुंदन लाल सहगल के प्रशंसक थे और उन्हीं की तरह गायक-अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे। लालाजी ने मुकेश की बहन सुंदर प्यारी को संगीत की शिक्षा देने के लिए एक शिक्षक रखा था। जब भी वह उनकी बहन को संगीत सिखाने घर आया करते थे, मुकेश पास के कमरे में बैठकर सुना करते थे और स्कूल में सहगल के अंदाज में गीत गाकर अपने साथियों का मनोरंजन किया करते थे। इस दौरान रोशन नागरथ (मशहूर संगीतकार रोशन) हारमोनियम पर उनका साथ दिया करते थे। गीत- संगीत में रमे मुकेश (Mukesh) ने किसी तरह दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड़ दिया और ‘दिल्ली लोक निर्माण विभाग’ में सहायक सर्वेयर की नौकरी कर ली, जहां उन्होंने सात महीने तक काम किया।

इसी दौरान अपनी बहन की शादी में गीत गाते समय उनके दूर के रिश्तेदार मशहूर अभिनेता मोतीलाल ने उनकी आवाज सुनी और प्रभावित होकर वह उन्हें 1940 में बंबई ले आए, यहां पर मुकेश को अपने साथ रखकर पंडित जगन्नाथ प्रसाद से संगीत सिखाने का भी प्रबंध किया। इसी दौरान खूबसूरत मुकेश (Mukesh) को एक हिंदी फिल्म (‘निर्दोष’, 1941) में अभिनेता बनने का मौका मिल गया, जिसमें उन्होंने अभिनेता -गायक के रूप में संगीतकार अशोक घोष के निर्देशन में अपना पहला गीत ‘दिल ही बुझा हुआ हो तो’ भी गाया। इस फिल्म में उनकी नायिका नलिनी जयवंत थीं, जिनके साथ उन्होंने दो डूयेट गीत भी गाए। इनमें एक गीत था ‘तुम्हीं ने मुझको प्रेम सिखाया…’। यह फिल्म फ्लॉप हो गई और मुकेश  के अभिनेता गायक बनने की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा। इसके बाद मुकेश (Mukesh) ने ‘दुःख-सुख’ और ‘आदाब अर्ज’ जैसी कुछ और फिल्मों में भी काम किया।

‘दुःख-सुख’ में मुकेश (Mukesh) ने विवाहित नायिका सितारा देवी के खलनायकी के अंदाज वाले प्रेमी की भूमिका निभाई, जबकि ‘आदाब अर्ज’ में वह नलिनी जयवंत और करण दीवान के साथ दिखाई दिए। इस फिल्म में उन्होंने अमीर वारिस की भूमिका निभाई, जो एक माली की बेटी से शादी करता है। इन असफलताओं से मुकेश का करियर डगमगाने लगा था। तभी मोतीलाल प्रसिद्ध संगीतकार अनिल विश्वास के पास उन्हें लेकर गए और उनसे अनुरोध किया कि वह अपनी फिल्म में मुकेश (Mukesh) से कोई गीत गवाएं।

मुकेश (Mukesh) को कामयाबी मिली निर्माता मजहर खान की फिल्म ‘ पहली नजर’ (1945) के गीत ‘दिल जलता है तो जलने दे…’ से, जो संयोग से मोतीलाल पर ही फिल्माया गया था। अनिल विश्वास के संगीत निर्देशन में डॉ. सफदर सीतापुरी की इस गजल को मुकेश ने सहगल की शैली में ऐसी पुरकशिश आवाज में गाया कि लोगों को भ्रम हो जाता था कि इसके गायक सहगल हैं। इसी गीत को सुनने के बाद सहगल ने मुकेश (Mukesh) को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था।

मुकेश (Mukesh) ने ‘आवारा’ फिल्म की जबरदस्त कामयाबी के बाद एक बार फिर अभिनेता बनने की कोशिश की और 1953 में ‘माशूका’ और 1956 में अपने प्रोडक्शन के तले बनाई फिल्म ‘अनुराग’ में नायक की भूमिकाएं निभाईं, लेकिन इन फिल्मों के नाकाम होने पर उन्होंने अपना पूरा ध्यान गायकी की तरफ देना शुरू कर दिया। मुकेश (Mukesh) को अपने तीन दशक से भी अधिक लंबे करियर में चार बार सर्वश्रेष्ठ गायक का ‘फिल्म फेयर पुरस्कार’ प्रदान किया।

राजकपूर की फिल्म ‘सत्यम् शिवम् सुंदरम्’ के गाने ‘ चंचल निर्मल शीतल’ की रिकॉर्डिंग पूरी करने के बाद वह अमेरिका में एक पोस्ट में भाग लेने के लिए चले गए। इस कंसर्ट के ठीक चार दिन बाद 27 अगस्त, 1976 को मुकेश (Mukesh) को अमेरिका में दिल का दौरा पड़ा और वह दुनिया के संगीत प्रेमियों को अपने प्यारे गीत ‘ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना’ की स्वर लहरियों में छोड़कर सदा के लिए अलविदा कह गए।

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