पुण्यतिथि विशेष: अपनी एनर्जी और परफॉर्मेंस से पर्दे पर जान डाल देने वाले बॉलीवुड के बिंदास स्टार थे शम्मी कपूर

शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) के गानों और उनके डांस स्टाइल की बहुत चर्चा होती है। उनके पसंदीदा संगीत सुनने और उसपर डांस करने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है।

Shammi Kapoor शम्मी कपूर

Shammi Kapoor Death Anniversary II शम्मी कपूर पुण्यतिथि

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में टिकने के लिए हर कलाकार को अपनी शुरुआती करियर में हिट फिल्में देना बेहद जरूरी होता है। इस इंडस्ट्री की रिवायत है कि जो हिट वो स्टार जो फ्लॉप वो फरार और इस बात के हजारों प्रमाण इसी इंडस्ट्री में मौजूद हैं सिवाय एक को छोड़कर। जी हां, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक सितारा ऐसा भी था जिसने एक के बाद एक अठारह फ्लॉप फिल्में दीं। पांच साल में अठारह फ्लॉप फिल्मों के बावजूद वो फिर से उठ खड़ा हुआ और उसके बाद हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी। इस अभिनेता का नाम है शम्मी कपूर (Shammi Kapoor)।

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शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) का जन्म 21 अक्टूबर 1931 को मुंबई में हुआ था। वह महान फिल्म अभिनेता और थिएटर कलाकार पृथ्वीराज कपूर और रामसरनी ‘रमा’ मेहरा के दूसरे पुत्र थे। पृथ्वीराज कपूर के दो और बेटे शशि कपूर और राजकपूर थे। शम्मी कपूर के परिवार में पत्नी नीला देवी, बेटा आदित्य राज और बेटी कंचन देसाई हैं।

दरअसल शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) जब फिल्मों में आए तब दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद अपने करियर के शिखर पर थे। इस त्रिमूर्ति के दबदबे और अपनी लगातार असफलताओं के बोझ तले दबे शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) को नासिर हुसैन ने अपनी फिल्म ‘तुमसा नहीं देखा’ में लिया। यहां भी नासिर हुसैन ने एक प्रयोग किया था और असफल फिल्मों के हीरो के तौर पर जाने जानेवाले शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) के साथ उन्होंने एकदम नई हिरोइन अमीता को लिया था। नासिर हुसैन इस बात को भांप चुके थे कि स्थापित नायिकाओं के साथ शम्मी को दर्शक पसंद नहीं कर रहे थे क्योंकि शम्मी की अठारहल असफल फिल्मों की नायिकाओं में मीना कुमारी, मधुबाला, नूतन और सुरैया रह चुकी थीं। ये प्रयोग सफल रहा और ‘तुमसा नहीं देखा’ जबरदस्त हिट रहा। इसके बाद अगली फिल्म ‘दिल देके देखो’ ने तो सफलता के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए थे।

शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) का जीवन शुरू से ही ट्रैजिक भी रहा और दिलचस्प भी। जब वो मां की कोख में पल रहे थे तो 15 दिनों के अंतराल पर उनके दो भाइयों बिंदी और देवी की मौत हो गई थी। पूरा परिवार टूट गया था। दो बच्चों की मौत से टूट चुकी महिला की गोद में समय से पहले पैदा हुआ बेहद कमजोर बच्चा आया, परिवार में कम ही लोगों को उसके बचने की उम्मीद थी। शम्मी कपूर का बाल्यावस्था इस माहौल में बीत रहा था। घर में लोग शम्मी को छोटा चूहा बुलाते थे। जब वो किसी तरह से चौदह साल के हुए तो एक बार उनकी भाभी कृष्णा उनको अपने मायके रीवां लेकर गईं। वहां शम्मी कपूर का स्वास्थ्य काफी सुधरा और शम्मी ने एक इंटरव्यू में कहा भी था कि रीवां में तैराकी करने से उनके स्वास्थ्य में सुधार के साथ शारीरिक विकास भी हुआ। शम्मी कपूर जब रीवां से मुंबई लौटे तो बदले हुए थे। उनकी शरारतें भी बढ़ती जा रही थीं। स्कूल के बाद कॉलेज पहुंचे लेकिन वहां मन नहीं लगा। शैतानियां बढ़ते देख उनके पिता पृथ्वीराज कपूर ने उनको 17 साल की उम्र में 1948 में पृथ्वी थिएटर में पचास रुपए महीने की नौकरी पर रख लिया। यहीं से उनका हिंदी फिल्मों में जाने का रास्ता खुला था।

ये बहुत कम लोगों को पता है कि शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) को शिकार का बहुत शौक था। 1946 में उनकी मुलाकात जोधपुर की महारानी से हुई। महारानी अपने दो बेटों के साथ पृथ्वी थिएटर में नाटक देखने आई थी। शम्मी कपूर उनकी अदाओं और शाही अंदाज से बेहद प्रभावित हुए थे। उनके दोनों बेटों से भी उनकी पहचान हो गई। उनके साथ पहली बार वो शिकार पर गए थे। बाद तो में तो शिकार में इतना मन रमा कि भोपाल के पास के जंगल और तराई तक जाने लगे। शम्मी कपूर ने वेबसाइट पर भोपाल के पास के जंगल में अपने पहले बाघ के शिकार के बारे में विस्तार से लिखा भी था। गीता बाली के साथ शादी के बाद भी ये शौक बरकरार रहा। कई बार तो दोनों मुंबई से देहरादून तक अपनी गाड़ी से शिकार करने चले जाते थे। कार की पिछली सीट पर गद्दा होता था और दोनों में से जो थकता था वो पीछे जाकर सो जाता था। ये बात भी दिलचस्प है कि शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) अपने दोस्त जॉनी वॉकर के साथ शिकार पर जाना सबसे अधिक पसंद करते थे।

नर्गिस से ‘किस’ मांगने आवारा के सेट पर पहुंच गये थे शम्मी कपूर (Shammi Kapoor)

शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) के गानों और उनके डांस स्टाइल की बहुत चर्चा होती है। उनके पसंदीदा संगीत सुनने और उसपर डांस करने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। हुआ ये कि एक दिन वो आर के स्टूडियो में नर्गिस के मेकअप रूम के सामने से गुजर रहे थे तो देखा कि नर्गिस रो रही हैं। उनके पास गए और पूछा तो पता चला कि उसके परिवारवालों ने उनको राज कपूर के साथ फिल्म करने से मना कर दिया है। उस वक्त ‘बरसात’ फिल्म की शूटिंग चल रही थी। नर्गिस फिल्म ‘आवारा’ में काम करना चाहती थी लेकिन पारिवारिक बंदिश लगी थी। शम्मी ने उनको दिलासा दिलाया और वादा किया कि वो भगवान से प्रार्थना करेंगे कि उनको राज कपूर के साथ काम करने की अनुमति मिल जाए । नर्गिस ने वादा किया कि अगर उनकी प्रार्थना सफल होती है तो वो शम्मी को किस देंगी। समय गुजर गया, ‘बरसात’ हिट हो गई। नर्गिस को फिल्म ‘आवारा’ में काम करने की अनुमति मिल गई। जब शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) को इस बात का पता लगा तो वो फिल्म ‘आवारा’ के सेट पर पहुंचे और नर्गिस को उनका वादा याद दिलाया। नर्गिस ने शम्मी से कहा कि उनको वादा याद है लेकिन अब शम्मी बड़े हो गए हैं लिहाजा वो वादा नहीं निभा पाएंगीं। नर्गिस ने शम्मी से कुछ और मांगने को कहा। शम्मी ने नर्गिस से एक ग्रामोफोन मांगा, जो नर्गिस ने उसी दिन खरीद कर शम्मी को दे दिया।

शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) ने बाद में इस बात को लिखा कि उनके अलबेले डांस स्टाइल के पीछे वो ग्रामोफोन है जो उनको किस के बदले मिला था। हिंदी फिल्मों के देसी काउ बॉय की छवि वाले इस अभिनेता की जिंदगी भी कई बार उनकी छवि से मेल खाती है लेकिन बहुधा उनको इससे दूर ले जाती है। अपनी खास ‘याहू’ शैली के कारण बेहद लोकप्रिय रहे शम्मी कपूर ने 14 अगस्त, 2011 को मुंबई के ब्रीज कैंडी अस्पताल में सुबह 5:41 बजे अंतिम सांस ली।

 

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