प्रसून जोशी जन्मदिन विशेष: फिल्मों के लिए लिखे कई शानदार गीत, विज्ञापन की दुनिया के हैं बेताज बादशाह

प्रसून जोशी (Prasoon Joshi) बचपन से ही प्रकृति, सृष्टि सृजित चीजों एवं प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति आकर्षित रहे। इसलिए लेखन उनके स्वभाव में स्वत: ही प्रवेश कर गया। बचपन में वे खुद की हस्तलिखित पत्रिका भी निकालते थे और इस प्रकार लेखन उनका शौक बना।

Prasoon Joshi

Happy Birthday Prasoon Joshi

भारत के एड गुरू कहे जाने वाले प्रसून जोशी (Prasoon Joshi) के नाम से लोगों के मन में सबसे पहले तारे जमीन के गाने गूंजते हैं। इस फिल्म का गाना ‘अंधेरे से डरता हूं मैं मां’ हर किसी के दिल को छू जाता है। इस गीत के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। प्रसून जोशी केवल एक फिल्म गीत लेखक ही नहीं हैं बल्कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। उन्होंने विज्ञापनों की दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित कर रखा है और एक कवि के तौर पर उन्होंने 17 साल की उम्र से काम करना आरंभ कर दिया था।

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प्रसून (Prasoon Joshi) मैक्केन वर्ल्ड ग्रुप इंडिया एग्जीक्यूटिव चेयरमैन हैं। इसके साथ ही प्रसून एशिया पैसेफिक के रीजनल एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी हैं। बाजार और जनता तक सीधी पहुंच के लिए प्रसून जोशी को केवल फिल्मकार ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े कारोबारी घराने और राजनीतिक समूह भी याद करते हैं। उन्होंने कोका कोला के ‘ठंडा मतलब कोका कोला और हैप्पीडेंट के चुइंग्म विज्ञापन में एक नई सोच दिखाकर विज्ञापन जगत को आश्चर्यचकित कर दिया। इसके अलावा राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन और पल्स पोलियो के विज्ञापनों व राष्ट्रीय मुद्दों पर भी जागरुकता फैलाने का काम किया।

प्रसून जोशी (Prasoon Joshi) का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के दन्या गांव में 16 सितम्बर 1968 को हुआ था। प्रसून जोशी के पिता का नाम श्री देवेन्द्र कुमार जोशी और उनकी माता का नाम श्रीमती सुषमा जोशी है। उनका बचपन व उनकी प्रारम्भिक शिक्षा टिहरी, गोपेश्वर, रुद्रप्रयाग, चमोली और नरेंद्र नगर में हुई, क्योंकि उनके पिता उत्तर प्रदेश सरकार में शिक्षा निदेशक थे और उनका कार्यकाल अधिकतर इन्हीं जगहों पर रहा।

प्रसून जोशी (Prasoon Joshi) बचपन से ही प्रकृति, सृष्टि सृजित चीजों एवं प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति आकर्षित रहे। इसलिए लेखन उनके स्वभाव में स्वत: ही प्रवेश कर गया। बचपन में वे खुद की हस्तलिखित पत्रिका भी निकालते थे और इस प्रकार लेखन उनका शौक बना। जहाँ तक गीतों की रचना का सवाल है उनके माता- पिता संगीत के बहुत ज्ञाता थे। जिन्होंने उनसे संगीत विरासत में ग्रहण किया और वे उसकी बारिकियों से वाकिफ हुए तो फिर वो गीतों के रचनाकार बने। बड़े होकर जब प्रसून जोशी ने व्यवसायिक शिक्षा (एम.बी.ए.) पूरी की तब उन्हें लगा कि उन्हें सृजन को दूसरे माध्यम से भी आगे बढ़ाना चाहिए। यह माध्यम विज्ञापन के अलावा दूसरा नहीं था। काम चाहे लेखन का हो या विज्ञापन का दोनों ही अपनी बात को दूसरों के दिलों तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम है।

गीतकार प्रसून (Prasoon Joshi) के लिखे गीतों से हम सब वाकिफ हैं, पर बहुत कम लोग जानते है कि उन्होंने उस्ताद हफीज अहमद खान से शास्त्रीय संगीत की दीक्षा भी ले रखी है। उनके उस्ताद उन्हें ठुमरी गायक बनाना चाहते थे। उन दिनों को याद कर प्रसून बताते हैं कि उनके पास रियाज का समय नही होता था, तो बाईक पर घर लौटते समय गाते हुए आते थे और उनका हेलमेट उनके लिए अकॉस्टिक का काम करता था। बचपन से उन्हें हिंदी और उर्दू भाषा साहित्य में रूचि थी। उनके शहर रामपुर के एक पुस्तकालय में उर्दू शायरों का जबरदस्त संकलन मौजूद था मात्र 17 साल की उम्र में उनका पहला काव्य संकलन आया। कविता अभी भी उनका पहला प्रेम है। ‘हम तुम’, ‘फना’ और तारे जमीन पर’ जैसी फिल्मों के गीत लिख कर फिल्म फेयर पाने वाले प्रसून तारे जमीन पर के अपने सभी गीतों को अपनी बेटी ऐश्निया के नाम समर्पित किया। ए. आर. रहमान के साथ गजनी में काम चुके प्रसून से जब रहमान गीत को आवाज देने की गुजारिश की तो ने बड़ी आत्मीयता से कहा कि जिस दिन आप धाराप्रवाह हिन्दी बोलने लगेंगे उस दिन मैं आपके प्रसून लिए अवश्य गाऊंगा।

उन्हें राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय विज्ञापनों में पुरस्कार से सम्मानित किया गया उन्हें शुभा मुदगल तथा ‘सिल्क रूट’ के ऊपर चार सुपर हिट ‘एलबम्स’ में धुन रचना के लिए पुरस्कार से नवाजा गया। उन्होंने फिल्म लज्जा, आँखें, और क्यों में संगीत दिया। इसके अलावा तीन पुस्तकें प्रकाशित कीं। उनके ‘ठंडा मतलब कोका कोला एवं ‘बार्बर शॉप ए जा बाल कटा ला’ जैसे प्रचलित विज्ञापनों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली।

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