
चिरम्मा ने ही सबसे पहले कर्नाटक में नक्सलियों के अस्तित्व के बारे में बताया था। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया।
Cheeramma Dies at 100: आज से करीब 17 साल पहले कर्नाटक के जंगल में एक गोली चली थी और वो गोली जा लगी थी एक महिला के पैर में। उस वक्त वीरान जंगल में दिनदहाड़े किसने गोली चलाई? यह बात उस निर्दोष महिला को बिल्कुल भी समझ नहीं आई थी। गोली लगने के बाद यह महिला किसी तरह अस्पताल पहुंच गईं और किस्मत अच्छी थी कि उनकी जान बच गई। इस महिला नाम था चिरम्मा। 100 साल की उम्र में 19, जून, 2019 को चिरम्मा का निधन हो गया। चिरम्मा अपने पीछे तीन बेटियां और दो बेटों को छोड़ कर गई हैं। चिरम्मा कौन थीं और उनके निधन पर हम उस दिन को क्यों याद कर रहे हैं? यह जानकर आप यकीनन चौंक जाएंगे। दरअसल चिरम्मा ही वो महिला थीं जिनकी वजह से सबसे पहले कर्नाटक में नक्सली मूवमेंट का पता चला था। चिन्नमा को यह गोली साल 2002 में लगी थी और उस वक्त उन्हें यह गोली नक्सलियों के ट्रेनिंग कैंप के दौरान लगी थी।
जी हां, चिरम्मा ने ही सबसे पहले कर्नाटक में नक्सलियों के अस्तित्व के बारे में बताया था। 100 साल की हो चुकी चिरम्मा ने कर्नाटक के चिकमंगलुरु के कोप्पा तलुक में अंतिम सांस ली। उनके गांव के लोग आज भी उस दिन को याद करते हैं जब बरसों पहले एक हादसे के दौरान अचानक एक गोली चिरम्मा के पैर में जा लगी थी। इसके बाद से ही कर्नाटक में नक्सलियों की मौजूदगी का खुलासा हुआ था। दरअसल नक्सलियों के ट्रेनिंग के दौरान ही चिन्नमा को पैर में यह गोली लगी थी।
6 नवंबर साल 2002 को चिरम्मा जंगल में लकड़ियां चुनने गई थीं। जहां उनके पैर में गोली लगी और वो जख्मी हो गई थीं। हालांकि, उस समय उनको यह पता नहीं चल सका था कि उन्हें यह गोली कैसे लगी? यह गोली उनके पैर में फंस गई थी और इस गोली को निकलवाने के लिए वो डॉक्टर के पास पहुंची थीं। इसके बाद वहां पुलिस की टीम भी पहुंची और इस गोली चलने की घटना की गहन तफ्तीश की गई। जांच में इस बात खुलासा हुआ कि कोपा के मेनासिनाहादा में नक्सलियों का ट्रेनिंग कैंप चल रहा है। इससे पहली बार यह बात सामने आई थी कि दक्षिण भारत के सबसे अहम राज्यों में से एक कर्नाटक में भी नक्सली अब घुस चुके हैं।
इसके बाद एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने इन इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ दमदार ऑपरेशन भी चलाया था। 6 अगस्त, 2003 को कुद्रेमुख गांव में नक्सलियों की एक टीम को गांव के ही रहने वाले रामाचंद्र गाउडलू के घर के पास देखा गया। यह पहला मौका था जब रामचंद्र के घर के पास ही पुलिस के साथ राज्य में नक्सलियों की पहली मुठभेड़ हुई थी। इसके बाद यहां नक्सलियों के खिलाफ कई सारे कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाए गए और अब कर्नाटक में नक्सली गतिविधियों पर करीब-करीब पूरी तरह लगाम लगा दिया गया है। कई भटके युवाओं को नक्सली गतिविधियों से निकालकर मुख्यधारा में भी लाया गया है।
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