राफेल के लिए क्यों चुना गया अंबाला एयरफोर्स स्टेशन? जरूर जाननी चाहिए ये वजह

भारत की आजादी के बाद अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर पहली एयरस्ट्रिप बनाई गई। यही वह एयर बेस है जहां से 1965, 1971 या 1999 के कारगिल जंग में भारतीय वायु सेना ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे।

Rafael Fighter Jets

फाइल फोटो।

अंबाला एयरफोर्स स्टेशन का इतिहास काफी पुराना है। भारतीय वायु सेना ने इस एयर बेस से अपने कई मिशन पूरे किए हैं। सबसे अहम बात तो यह है कि यहां से पाकिस्तान और चीन की सीमा रेखा मात्र चंद मिनटों की दूरी पर है।

भारत का अंबाला एयरफोर्स स्टेशन राफेल (Rafale) विमानों के स्वागत के लिए बिल्कुल तैयार है। 5 राफेल (Rafale) लड़ाकू विमान 27 जुलाई को फ्रांस से भारत के लिए उड़ान भर चुके हैं। भारत इन लड़ाकू विमानों को अंबाला के एयरफोर्स स्टेशन पर रखेगा। देशभर में मौजूद 60 एयरफोर्स स्टेशन में अंबाला एयरफोर्स स्टेशन वायुसेना की लिस्ट में दूसरे नंबर पर आता है। पर सवाल यह है कि आखिर अंबाला एयरफोर्स स्टेशन को ही राफेल के लिए क्यों चुना गया?

आइए जानते हैं अंबाला एयरफोर्स स्टेशन (Ambala Airforce station) सुरक्षा की दृष्टि से इतना महत्वपूर्ण क्यों है। दरअसल अंबाला एयरफोर्स स्टेशन का इतिहास काफी पुराना है। भारतीय वायु सेना ने इस एयर बेस से अपने कई मिशन पूरे किए हैं। सबसे अहम बात तो यह है कि यहां से पाकिस्तान और चीन की सीमा रेखा मात्र चंद मिनटों की दूरी पर है। इस एयर बेस से पाकिस्तान की सीमा मात्र 200 किलोमीटर और चीन की सीमा 450 किलोमीटर की दूरी पर है। यह दूरी फाइटर जेट्स के लिए कुछ भी नहीं है।

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इसका अंदाजा बालाकोट एयर स्ट्राइक की घटना से लगाया जा सकता है। जब भारतीय मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने मात्र 30 मिनट में पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। भारत की आजादी के बाद अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर पहली एयरस्ट्रिप बनाई गई। यही वह एयर बेस है जहां से 1965, 1971 या 1999 के कारगिल जंग में भारतीय वायु सेना ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे।

आजादी के बाद जगुआर फाइटर जेट्स के स्क्वाड्रन 5 और स्क्वाड्रन 14 तथा मिग-21 को यहीं रखा गया था। 1948 में इसे फ्लाइंग इंस्ट्रक्शन स्कूल बनाया गया, जिसे 1954 में चेन्नई के तंबरम में शिफ्ट कर दिया गया। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन भारतीय वायु सेना के पश्चिमी एयर कमांड के अंडर आता है। यहीं से 1947-48 में कश्मीर ऑपरेशन,1962 में चीन से संघर्ष, 1965-1971 में पाकिस्तान से युद्ध, 1986 में ऑपरेशन पवन और 1999 में कारगिल युद्ध में ऑपरेशन सफेद सागर चला कर दुश्मनों को धूल चटाई गई। अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से ही 14 दिसम्बर 1971 को फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखो ने अपने सीनियर के साथ दुश्मनों पर हमला किया था।

इस हमले में निर्मल जीत सिंह सेखो ने पाकिस्तान के दो लड़ाकू विमानों को मार गिराया था। 1971 के इस युद्ध में भारतीय वायु सेना ने 14 दिनों में 11549 उड़ानें भारी, जिसके बाद एयरफोर्स ने इसे फाईनेस्ट ऑवर का नाम दिया।

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