प्राचीन काल में ऐसे होते थे युद्ध, नियम और कायदों के तहत ही किया जाता था दुश्मनों पर हमला

पुराने समय में युद्ध (War) के कुछ नियम भी होते थे। इन नियमों का पालन हर सेना इमानदारी से करती थी। इस तरह नियमों के तहत होने वाले युद्ध को धर्मयुद्ध कहा जाता था।

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सांकेतिक तस्वीर।

रथ के अलावा युद्ध (War) में हाथियों का भी इस्तेमाल किया जाता था। इन्हें प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल (ब्रिटिश काल) तक युद्धों में हाथियों का प्रयोग किया गया था।

आज तकनीकी का विकास तेजी से हो रहा है। इस तकनीकी विकास की मदद से दुनिया के देश रक्षा के क्षेत्र में खुद को लगातार मजबूत बना रहे हैं। आज हर देश के पास एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक हथियार मौजूद हैं। ऐसी परिस्थिति में युद्ध (War) होता है तो नुकसान भी बहुत ज्यादा होने की संभावना है।

वैसे तो युद्ध से हमेशा ही विनाश होता है। पर पुराने जमाने में तकनीकी इतनी विकसित नहीं थी। युद्ध तब भी विनाशकारी ही होते थे, पर आज की तुलना में कम।

आइए जानते हैं पुराने समय के युद्धों के बारे में, उस समय इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों और युद्ध के नियमों के बारे में-

प्राचीन काल में राजाओं की सेना में 4 प्रकार के विभाग हुआ करते थे- रथ, हाथी, घुड़सवार और पैदल सैनिक। इन्हें ‘चतुरंग बल’ कहा जाता था। मिस्र के रथों के मुकाबले भारतीय रथ बहुत ही भारी और मजबूत हुआ करते थे। इन्हें 4-8 घोड़ों के द्वारा खींचा जाता था। इनमें सारथी और धनुर्धर के बैठने के लिए पर्याप्त जगह होती थी।

रथ के अलावा युद्ध (War) में हाथियों का भी इस्तेमाल किया जाता था। इन्हें प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल (ब्रिटिश काल) तक युद्धों में हाथियों का प्रयोग किया गया था। हाथियों को बख्तरबंद पोशाक यानी कवच पहनाए जाते थे। उन पर एक चौकी रखी जाती थी, जिसमें सैनिक और महावत के बैठने की जगह होती थी। उनके दांतों में खंजर और सूंड में तलवारें लगाई जाती थी, इस हाथी को अपनी ओर आता देख ही दुश्मन सेना के पसीने छूटने लगते थे।

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प्राचीन काल के योद्धा जिन हथियारों का इस्तेमाल करते थे उनमें धनुष-बाण का पसंदीदा शस्त्र था। तलवार, कुल्हाड़ी, भाले का प्रयोग हाथ से लड़ने के लिए किया जाता था। गदा भी इस्तेमाल होता था। इसके अलावा कुछ सैनिक चक्र का प्रयोग करते थे। इसे दूर से ही दुश्मनों पर चलाया जाता था।

इन सब के अलावा पौराणिक कथाओं में बहुत-से दूसरे घातक हथियारों का भी जिक्र मिलता है। हालांकि, इनके ऐतिहासिक साक्ष्य तो नहीं मिलते, पर महाभारत, रामायण आदि में इनके बारे में लिखा गया है।

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पुराने जमाने के युद्धों में ‘ब्रह्मास्त्र’ का भी खूब जिक्र किया गया है। ऐसा माना जाता है कि यह ब्रह्मा जी द्वारा बनाया गया सबसे घातक अस्त्र है। कहते हैं इसका प्रयोग जहां किया जाता, वहां सालों तक जीवन नहीं पनपता था। इसके अलावा ‘अग्न्यास्त्र’ भी प्रयोग होता था। कहा जाता है कि इसका इस्तेमाल करते ही आग की बारिश होने लगती थी।

वहीं, पुराने समय में युद्ध के कुछ नियम भी होते थे। इन नियमों का पालन हर सेना इमानदारी से करती थी। इस तरह नियमों के तहत होने वाले युद्ध को धर्मयुद्ध कहा जाता था। पर, रामायण और महाभारत के बाद योद्धाओं ने इन नियमों का पालन करना बंद कर दिया और लोग धोखे से दुश्मन को मारने लगे थे।

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हालांकि, रामायण और महाभारत में जो युद्ध (War) लड़े गए, उनके भी कुछ नियम थे। इन्हें युद्ध में अनावश्यक लोगों की मृत्यु से बचाने के लिए बनाया गया था। इनमें से कुछ खास नियम थे-

1- लड़ाई सूर्योदय के समय शुरू होती थी और सूर्यास्त को बंद।
2- योद्धाओं का एक समूह किसी अकेले सैनिक पर हमला नहीं कर सकता था।
3- सैनिक उन लोगों को नहीं मार सकते थे जो निहत्थे होते थे, जिन्होंने आत्मसमर्पण किया हो, बेहोश हों।
4- सभी योद्धा अपने बराबर के योद्धा से लड़ते थे, जैसे घुड़सवार- घुड़सवार से ही लड़ता था और रथ वाले योद्धा रथ पर सवार योद्धा से।

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