अल कायदा के निशाने पर उत्तर प्रदेश, आतंकी संगठन ने पहली बार रची राज्य में आतंकी हमले की साजिश

यूपी में बीते कुछ दिनों के दौरान इस्लामिक आतंकवाद को नेस्तनाबूद करने को लेकर जो अहम फैसले लिए गये हैं‚ उसने सीमा पार बैठे आतंकियों (Terrorists) के आकाओं को खासा परेशान कर दिया है।

Al-Qaeda

अमेरिका और यूरोप के तमाम देशों में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वाले कुख्यात आतंकी संगठन अल कायदा (Al-qaeda) के आतंकियों (Terrorists) को पहली बार यूपी में आतंकी हमले करने की साजिश रचने के आरोप में पकड़ा गया है। इससे पहले पाकिस्तान समर्थित अल कायदा समेत तमाम आतंकी संगठनों के आतंकी और स्लीपिंग मॉड्यूल गिरफ्तार तो हुये लेकिन अल कायदा ने कभी यूपी में हमले की प्लानिंग नहीं की।

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उत्तर प्रदेश में पहली बार अल कायदा (Al-qaeda) के इस मॉड्यूल का खुलासा होने के बाद खुफिया एजेंसियां सक्रिय हो गयी हैं और यह पता लगाया जा रहा है कि आखिर दुनिया के सबसे बड़े आतंकी संगठन के यूपी में धमाके करने का असली मकसद क्या है।

कहना गलत न होगा कि यूपी में बीते कुछ दिनों के दौरान इस्लामिक आतंकवाद को नेस्तनाबूद करने को लेकर जो अहम फैसले लिए गये हैं‚ उसने सीमा पार बैठे आतंकियों (Terrorists) के आकाओं को खासा परेशान कर दिया है।

गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 2015 में दिल्ली पुलिस ने संभल से अल कायदा से संपर्क के आरोप में जफर उर्फ गुड्डृ़ और मौलाना आसिफ को गिरफ्तार किया था। दोनों फिलहाल जेल में हैं। दरअसल संभल के तमाम युवाओं ने पाकिस्तान का रुख करने के बाद आतंकी ट्रेनिंग ली और अल कायदा (Al-qaeda) व आईएसआईएस का हिस्सा बन गए।

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हैंडलर अल कायदा के स्लीपर सेल को अफगानिस्तान और भारत के कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों पर हमलों की साजिश रचने में इस्तेमाल करने लगे।

आपको बताते चलें कि आतंकी संगठन अल कायदा (Al-qaeda) की स्थापना वर्ष 1988 में सोवियत–अफगान लड़ाई के दौरान ओसामा बिन लादेन‚ अब्दुल्ला आजम और कुछ अरब वालंटियर्स ने मिलकर की थी। वहीं अल कायदा में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले अल जवाहिरी ने वर्ष 2014 में इंडियन सब कांटिनेंट मॉड्यूल बनाया। हालांकि इसकी पहुंच केवल जम्मू–कश्मीर के चुनिंदा इलाकों तक सीमित रही।

लेकिन पहली बार अल कायदा (Al-qaeda) में यूपी का संभल निवासी मौलाना असीम उमर शामिल हुआ और उसे इंडिया सब कांटिनेंट का मुखिया बना दिया गया। उमर 23 सितंबर 2019 को अमेरिका और सहयोगी देशों की एयर स्ट्राइक में मारा गया जिसके बाद उमर हलमंडी को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई।

उमर हलमंड़ी ने ही मिनहाज और मसीरूद्दीन को आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए चुना था। सरहद पार से चल रही इस साजिश को देखते हुए तमाम खुफिया एजेंसियां सक्रिय हो गयी हैं और एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गये दोनों आतंकियों (Terrorists) से गहन पूछताछ करने की तैयारी में है।

सूत्रों की मानें तो दोनों से आईबी और एनआईए के अधिकारी भी पूछताछ कर रहे हैं। रिमांड के दौरान भी कई एजेंसियां उनके मंसूबों का पता लगाने की कवायद करेंगी। वहीं एडीजी ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बताते हुए दोनों आतंकियों (Terrorists) से मिली कई अहम जानकारियों को पत्रकारों से साझा करने से इनकार कर दिया, जो ये साफ इशारा करता है कि गिरफ्तार आतंकियो के इरादे काफी खतरनाक थे।

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