UP: कासगंज में शहीद सिपाही देवेंद्र के घर पसरा मातम, 3 साल की बेटी पूछ रही- पापा कब आएंगे?

यूपी (UP) के कासगंज (Kasganj) में 9 फरवरी को शराब माफिया के हमले में मारे गए सिपाही देवेंद्र (Constable Devendra) आगरा के नगला बिंदु गांव के रहने वाले थे। मौत की सूचना पर परिवार में कोहराम मच गया है।

Constable Devendra

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शहीद सिपाही देवेंद्र (Constable Devendra) अपने पिता के इकलौते बेटे थे। शहीद सिपाही देवेंद्र ने 2015 में यूपी पुलिस में कांस्टेबल पद पर भर्ती हुए थे।

यूपी (UP) के कासगंज (Kasganj) में 9 फरवरी को शराब माफिया के हमले में मारे गए सिपाही देवेंद्र (Constable Devendra) आगरा के नगला बिंदु गांव के रहने वाले थे। मौत की सूचना पर परिवार में कोहराम मच गया है। किसी को यकीन नहीं हो रहा कि स्वाभाव से मिलनसार देवेंद्र अब इस दुनिया में नहीं हैं।

उनके शहीद होने की खबर मिलते ही गांव में मातम छा गया। बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा हो गए। सिपाही के परिजनों को संभाला। पिता रात में ही रिश्तेदार के साथ कासगंज रवाना हो गए। देवेंद्र जसावत के पिता महावीर सिंह किसान हैं। देवेंद्र अपने पिता के इकलौते बेटे थे। शहीद सिपाही देवेंद्र (Constable Devendra) ने 2015 में यूपी पुलिस में कांस्टेबल पद पर भर्ती हुए थे।

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देवेंद्र की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी का नाम वैष्णवी जो 3 साल की है और छोटी बेटी का नाम गुड़िया है जो महज 1 महीने की है। देवेंद्र के दोस्त बताते हैं कि परिवार में वे ही एक कमाने वाले थे। पति की मौत की खबर से पत्नी को गहरा धक्का लगा है। उनकी हालत किसी से देखी नहीं जा रही है। मम्मी को रोता देख बेटी वैष्णवी बार-बार यही पूछ रही है- “पापा कब आएंगे?”

देवेंद्र की एक छोटी बहन है प्रीति जिसकी मई में उसकी शादी होनी है। ग्रामीणों ने बताया कि शमसाबाद थाना क्षेत्र का एक युवक कासगंज में सिपाही है। वह देवेंद्र का दोस्त है। उसने ही उनके साथ हुई घटना की जानकारी गांव में फोन पर दी थी। जैसे ही देवेंद्र के परिजनों को घटना की जानकारी हुई घर में कोहराम मच गया। आनन-फानन में रिश्तेदार और गांव के कुछ लोगों ने पिता महावीर सिंह को साथ लिया और कासगंज के लिए रवाना हो गए।

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गांव वाले बताते हैं कि देवेंद्र (Constable Devendra) जब भी छुट्टी पर आते गांव के नौजवान उन्हें घेर लिया करते थे। यह पूछते थे कि उन्होंने तैयारी कैसे की थी। गांव वालों ने बताया कि देवेंद्र जब भी गांव में आते अपने से बड़ों के पैर छुआ करते थे। उन्हें इस बात का कोई घमंड नहीं था कि वह पुलिस में है। वह युवाओं से यही कहते कि रौब गांठने के लिए वर्दी नहीं पहनी है। पीड़ितों के काम आ सकें इसलिए वर्दी पहनी है। देवेंद्र को ऐसी जगह तैनाती पसंद नहीं थी जहां वसूली के आरोप लगें। वह अपनी नौकरी पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ किया करते थे।

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