संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में खुलासा, अफगानिस्तान में मौजूद हैं 6500 पाकिस्तानी आंतकी

संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि गृहयुद्ध से जूझ रहे अफगानिस्तान में पाकिस्तान के करीब 6,500 आतंकवादी (Terrorists) युद्ध लड़ रहे हैं। इन आतंकवादियों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शामिल हैं।

Afghanistan

सांकेतिक तस्वीर।

संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि अफगानिस्तान (Afghanistan) में पाकिस्तान (Pakistan) के करीब 6,500 आतंकवादी (Terrorists) मौजूद हैं। इन आतंकवादियों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 2 जून को आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान के 6500 आंतकवादी मौजूद हैं। इनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के भी आतंकी हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर पाकिस्तानी आतंकवादी (Terrorists) तालिबान लड़ाकों के साथ अफगानिस्तान सरकार और अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की निगरानी संस्था ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में करीब 6,500 पाकिस्तानी आतंकी सक्रिय हैं, जिनकी सतर्कतापूर्वक निगरानी जरूरी है।

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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया कि अफगान अधिकारियों ने बताया तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा इन पाकिस्तानी गुटों में शामिल हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से खतरा बन गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लश्कर के 800 और जैश के 200 लड़ाके हैं, जो नंगरहार प्रांत के मोहमंद दर्रा, दुर बाबा और शेरजाद जिलों में तालिबान के साथ मौजूद हैं। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) भी मोहमंद दर्रा के सीमावर्ती क्षेत्र के पास लाल पुरा जिले में उपस्थिति बनाए रखता है।

कुनार प्रांत में लश्कर के 220 और जैश के 30 आतंकी (Terrorists) हैं, जो तालिबान के साथ मिलकर हमले करते हैं। यूएनएससी की निगरानी टीम ने कहा कि टीटीपी, जैश और लश्कर कुनार, नंगरहार और नूरिस्तान में मौजूद हैं। वहां वे अफगान तालिबान के नीचे काम करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-कायदा के कई बड़े आतंकी भले ही मारे जा चुके हो, लेकिन वरिष्ठ नेतृत्व अभी भी अफगानिस्तान में ही मौजूद है। साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा और विदेशी आतंकियों के समूहों ने तालिबान के साथ गठजोड़ कर लिया है।

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UNSC की रिपोर्ट के अनुसार ये आतंकवादी (Terrorists) अफगान सरकार के खिलाफ हमले के साथ ही मादक पदार्थों की तस्करी भी कर रहे हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण वाले जिलों में सोने, तांबे, टिन का भी अवैध खनन किया जा रहा है। इससे होने वाली आय का इस्तेमान तालिबान की कमाई का प्रमुख स्रोत है। इन खनिजों का कराची में प्रसंस्करण किया जाता है और बेचा जाता है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने यूएनएससी (UNSC) की रिपोर्ट पर कहा कि इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान अभी भी अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का एपिसेंटर है। यहां पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन और लोग सरकार द्वारा दिए जा रहे समर्थन का फायदा उठा रहे। आतंकियों के लिए पाकिस्तान सुरक्षित पनाहगाह है और यहां आतंकी संगठन (Terrorist Organizations) उन्हें भर्ती करने के साथ ही ट्रेनिंग दे रहे। उन्हें वित्तीय मदद दी जा रही है और उन्हें सरकार का समर्थन हासिल है। वे बिना किसी डर के अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना चाहिए। साथ ही उससे कहना चाहिए कि वह आतंकवाद (Terrorism) के खिलाफ लगातार, प्रामाणिक और ठोस कदम उठाए। अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने की हर कोशिश में भारत अपना योगदान जारी रखेगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को निभाने में नाकाम रहा है। वह संयुक्त राष्ट्र और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के प्रस्ताव के मुताबिक वह यह कदम उठाने में विफल रहा है कि उसकी जमीन से आतंकवाद को समर्थन ना किया जाए।

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