Ban On Masood Azhar: टीचर का बेटा यूं बना सबसे बड़ा आतंकी, पढ़ें मसूद का कच्चा-चिट्ठा

यह सच है कि भारत की जमीन से आजाद होने के बाद मसूद ने भारत को अनगिनत जख्म दिए। भारत अरसे से अपने नंबर वन दुश्मन को वैश्विक आतंकी घोषित करवाना चाहता था।

masood azhar dead, pulwama attack in india, masood azhar ban, masood azhar global terrorist

मसूद अजहर वही आतंकी है जिसे छुड़ाने के लिए उसके गुर्गों ने साल 1999 में कंधार विमान अपहरण को अंजाम दिया था।

Ban On Masood Azhar: ग्लोबल आतंकी मसूद अजहर के पांव में बेड़ियां पड़ने के बाद अब भारत समेत कई देशों ने चैन की सांस ली है। भारत के इस नंबर वन दुश्मन ने अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए अब तक बेगुनाहों का खून बहाया है। भारत समेत दुनिया में कब-कब इस कुख्यात ने कहर बरपाया यह सभी जानते हैं लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि मसूद अजहर के आतंकी बनने के पीछे की पूरी कहानी क्या है?
टीचर का बेटा बना आतंकी: मसूद अजहर का पिता अल्लाह बख्श शब्बीर पाकिस्तान के एक सरकारी स्कूल का प्रधानाध्यापक था। मसूद का परिवार डेयरी और पॉल्ट्री कारोबार से जुड़ा हुआ था। मसूद अजहर का जन्म कब हुआ इसको लेकर कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। जानकारी के मुताबिक मसूद अजहर का जन्म पाकिस्तान के बहलावलपुर में 10 जुलाई 1968 को हुआ था। हालांकि कुछ एजेंसियां यह भी बताती हैं कि उसका जन्म 7 अगस्त, 1968 को हुआ। मसूद अजहर का परिवार शुरू में डेयरी और पॉल्ट्री के कारोबार से जु़ड़ा हुआ था। मसूद ने कराची के बानुरी नगर स्थित जामिया उलूम उल इस्लामिया नामक मदरसे से तालिम हासिल की। तालिम हासिल करने के दौरान ही उसका संपर्क हरकत-उल-अंसार नाम के एक संगठन से हुआ। यह संगठन उस वक्त अफगानिस्तान में खून-खराबे में संलिप्त था। आगे चलकर यह खूंखार आतंकी उर्दू पत्रिका साद-ए-मुजाहिद्दीन और अरबी पत्रिका सावत-ए-कश्मीर का संपादक भी बना। हरकत-उल-अंसार के संपर्क में आने के बाद मसूद आतंक का ककहरा सिखने लगा।
अफगानिस्तान में ली आतंक की ट्रेनिंग: 1980 के दशक से मसूद अजहर एक एक्टिव टेररिस्ट रहा। मसूद ने अफगानिस्तान में आतंकवाद की ट्रेनिंग ली थी। उस वक्त अफगानिस्तान में सोवियत संघ से युद्ध लड़ रहा था। युद्ध के मैदान से आतंकी ट्रेनिंग हासिल करने के बाद मसूद पाकिस्तान लौटा और फिर उसने अपनी आतंकी शिक्षा के दम पर खौफ का खेल खेलना शुरू किया। आतंक का जहर फैलाने के लिए मसूद ने पाकिस्तान में चंदा इकठ्ठा करना शुरू किया। दरअसल वो अफगानिस्तान में आतंकियों को मदद कर उन्हें खुश करना चाहता था। इस बात से हरकत-उल-मुजाहिदीन आतंकी संगठन का सरगना खलील इतना प्रभावित हुआ कि उसने मसूद को विदेशी दौरे पर भेजना शुरू कर दिया। सबसे पहले मसूद हज यात्रा पर सऊदी अरब गया और उसके बाद उसने अफ्रीकी देश जांबिया और ब्रिटेन से भी लाखों रुपये का चंदा जुटाया। उसने बरमिंघम, नॉटिंघम, लेसेस्टर और लंदन में आतंकी सोच वाले नौजवानो के साथ बैठकें भी की।
ऐसे बना जैश-ए-मोहम्मद: मसूद अजहर वही आतंकी है जिसे छुड़ाने के लिए उसके गुर्गों ने साल 1999 में कंधार विमान अपहरण को अंजाम दिया था। उस वक्त सैकड़ों लोगों की जान बचाने की खातिर भारत सरकार को मसूद अजहर को रिहा करना पड़ा था। रिहा होते ही मसूद ने ओसामा बिन लादेन से मुलाकात की और इसके बाद उसने साल 2002 जैश-ए-मुहम्मद बनाने का ऐलान किया। इसके पहले वो हरकत-उल-मुजाहिदीन से जुड़ा हुआ था। जैश की स्थापना के बाद हरकत-उल-मुजाहिदीन के कई सदस्य जैश से जुड़ गए।
कई हमले करा चुका है मसूद: जैश की स्थापना करने के बाद उसने 2001 में देश की संसद पर आत्मघाती हमला करवाया। साल 2002 में अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की गर्दन काटकर हत्या कर दी। साल 2016 में उसने भारत में पठानकोट हमले को अंजाम दिया। साल 2017 में उसने उरी हमले को अंजाम दिया औऱ 2019 में पुलवामा।
यह सच है कि भारत की जमीन से आजाद होने के बाद मसूद ने भारत को कई अनगिनत जख्म दिए। भारत अरसे से अपने नंबर वन दुश्मन को वैश्विक आतंकी घोषित करवाना चाहता था। साल 2019 भारत की एक बड़ी कूटनीतिक सफलता के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें