नागरिकता संशोधन कानून: भारत की मौजूदा स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता

Citizenship Amendment Act

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करने की अपील करते हुए भारत में संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा और सुरक्षा कर्मियों के कथित तौर पर अत्यधिक बल का इस्तेमाल करने पर चिंता जाहिर की।

Citizenship Amendment Act

संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) के तहत 31 दिसम्बर 2014 तक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।

विधेयक (Citizenship Amendment Act) के इस माह संसद में पेश होने के बाद से ही देश में इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जिसने इसके पारित होकर कानून बनने के बाद उग्र रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह ‘‘असंवैधानिक और विभाजनकारी’ कानून है।

गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, हम हिंसा और सुरक्षा बलों के कथित तौर पर अत्यधिक बल के इस्तेमाल को लेकर चिंतित हैं, जो कि हमने देखा है कि संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ जारी प्रदर्शन में हो रहा है। हम संयम बरतने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण रूप से एकत्रित होने के अधिकारों के पूर्ण सम्मान का आग्रह करते हैं।

दुजारिक से पूछा गया था कि महासचिव की सीएए (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ भारत में जारी प्रदर्शन को लेकर क्या राय है। साथ ही दुजारिक ने कहा, वह अधिनियम पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट की टिप्पणियों का भी उल्लेख करेंगे। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की प्रमुख ने जिनेवा में कहा था कि यह ‘‘चिंता’ की बात है कि सीएए की मूलभूत प्रकृति भेदभावपूर्ण है।

इतिहास में आज का दिन – 19 दिसंबर

दूसरी तरफ उत्तरी अमेरिका में असम के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन का कहना है कि संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) का असम के लोगों और पूर्वोत्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में ‘‘असम एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका’ (एएएनए) ने आग्रह किया कि 1985 के असम समझौते को पूरी तरह से लागू किया जाए, जहां संघर्ष की किसी भी स्थिति में असम समझौते को प्राथमिकता मिले। पत्र में एएएनए ने कहा, हाल ही में पारित हुआ संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) 2019 हमारे लिए चिंता का कारण बन गया है क्योंकि इसका असम के लोगों और पूर्वोत्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यह पत्र 14 दिसम्बर को लिखा गया था। पत्र में कहा गया, हम इस कानून को असम और पूर्वोत्तर की मूल आबादी के संस्कृति, जनसांख्यिकी और आर्थिक स्थिति पर एक खतरे के रूप में देखते हैं।

 

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