केंद्रीय मंत्री और दलितों के मसीहा रामविलास पासवान का निधन, 2 अक्टूबर को हुई थी हर्ट सर्जरी

रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने वर्ष 2000 में एलजेपी का गठन किया था। वह पार्टी के अध्यक्ष रहे और लंबे समय तक रहे। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के पहले उन्होंने अपने बेटे चिराग पासवान को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया।

Ram Vilas Paswan रामविलास पासवान

Union Minister Ram Vilas Paswan Dies Days After Heart Surgery II केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन

केंद्रीय खाद्य‚ उपभोक्ता और सार्वजनिक वितरण प्रणाली मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) का बृहस्पतिवार देर शाम निधन हो गया। उनके पुत्र और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के सांसद चिराग पासवान ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। पिता के निधन के बाद चिराग ने रामविलास पासवान और अपने बचपन की फोटो के साथ एक भावुक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा– पापा अब आप इस दुनिया में नहीं हैं‚ लेकिन मुझे पता है‚ आप जहां भी हैं‚ हमेशा मेरे साथ हैं। मिस यू पापा।

रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) 74 साल के थे। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती थे। रामविलास पासवान पिछले करीब एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे। एम्स में 2 अक्टूबर की रात को उनकी हर्ट सर्जरी की गई थी। यह पासवान की दूसरी हर्ट सर्जरी थी। इससे पहले भी उनकी एक बाइपास सर्जरी हो चुकी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी‚ गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चिराग पासवान को फोन कर केंद्रीय मंत्री के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश ने एक दूरदर्शी नेता खो दिया है। रामविलास पासवान संसद के सबसे अधिक सक्रिय और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मेंबर रहे। वे दलितों की आवाज थे और उन्होंने हाशिये पर धकेल दिए गए लोगों की लड़ाई लड़ी। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन पर कहा कि वो अपना दुख शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं। मैंने अपना दोस्त खो दिया। 

बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्यपाल फागू चौहान ने रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा है कि रामविलास पासवान भारतीय राजनीति के बड़े हस्ताक्षर थे। वे प्रखर वक्ता‚ लोकप्रिय राजनेता‚ कुशल प्रशासक‚ मजबूत संगठनकर्ता और बेहद मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। वहीं बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी दुख प्रकट किया। मांझी ने ट्वीट कर कहा‚ ‘देश ने अपना नेता खोया है पर मैंने अपना बड़ा भाई खो दिया‚ मेरे लिए यह पीड़ा असहनीय है‚ उनकी कमी मेरे जीवन में हमेशा खलेगी।

रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने वर्ष 2000 में एलजेपी का गठन किया था। वह पार्टी के अध्यक्ष रहे और लंबे समय तक रहे। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के पहले उन्होंने अपने बेटे चिराग पासवान को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया। अब चिराग पर पिता के राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी है।

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एलजेपी सुप्रीमो रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन के बाद पार्टी कार्यालय में माहैाल गमगीन बना है। आम कार्यकर्ता व पार्टी के नेता को इस खबर पर विश्वास नहीं हो रहा था कि उनके बड़े साहब नहीं रहे। पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया। भगवान से प्रार्थना की कि उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद चिराग पासवान को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।

राजनीति के चाणक्य थे पासवान (Ram Vilas Paswan)

रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन से दलित राजनीति में एक सूनापन आ गया है। उनके निधन के बाद पार्टी कार्यालय का झंड़ा झुका दिया गया। पार्टी कार्यकर्ताओं व उनके समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गयी। रामविलास पासवान का जन्म खगड़िया के एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को हुआ था। उन्होंने एमए‚ एलएलबी करने के बाद पुलिस सेवा के लिए क्वालीफाई किया था। उनका चयन ड़ीएसपी के पद पर हो गया था। उस वक्त वह समाजवादी नेता रामजीवन सिंह के संपर्क में आए और राजनीति का रुख कर लिया। 1969 में वह अलौली विधानसभा से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और विधानसभा पहुंचे। उसके बाद पासवान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1977 में वह जनता पार्टी के टिकट पर हाजीपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और सबसे अधिक मतों से जीतने का विश्व रिकॉर्ड बनाया। 1989 में रामविलास (Ram Vilas Paswan) ने इसी सीट से अपना रिकॉर्ड तोड़ नया कीर्तिमान बनाया। बाद में इनका यह रिकॉर्ड नरसिम्हा राव समेत दूसरे नेताओं ने तोड़ा। पासवान पिछले 29 वर्षों से करीब हर प्रधानमंत्री के साथ काम कर चुके हैं। सिर्फ नरसिम्हा राव के कैबिनेट में वह नहीं थे।

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