Budget 2021: बदल गए बजट पेश करने के कई नियम, BJP सरकार ने इन परंपराओं को तोड़ा

नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने बीते कुछ सालों से बजट (Budget) से जुड़ी कई परंपराओं को तोड़ा है। पहले हर साल आम बजट से कुछ दिन पहले भारत सरकार के सबसे बड़े मंत्रालयों में से एक रेल मंत्रालय का बजट पेश होता था।

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फाइल फोटो।

नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने बीते कुछ सालों से बजट (Budget) से जुड़ी कई परंपराओं को तोड़ा है। पहले हर साल आम बजट से कुछ दिन पहले भारत सरकार के सबसे बड़े मंत्रालयों में से एक रेल मंत्रालय का बजट पेश होता था। देश का पहला रेल बजट वर्ष 1924 में पेश हुआ लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार (Modi government budget) ने साल 2016 में इस परंपरा को बदल दिया।

तब के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाकर ही पेश किया। साल 2016 में सिर्फ देश के रेल बजट को आम बजट में नहीं मिलाया गया। बल्कि अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही एक पुरानी परंपरा को भी तोड़ दिया गया। मोदी सरकार ने फरवरी के आखिरी दिन पेश होने वाले आम बजट को फरवरी के पहले दिन पेश करना शुरू कर दिया।

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इसकी वजह बजट (Budget) से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को एक अप्रैल पर नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले पूरा करना है। ताकि सरकार एक अप्रैल से ही नए वित्त वर्ष के हिसाब से काम करना शुरू कर दे और बजट को बेहतर तरीके से लागू किया जा सके।

मौजूदा सरकार बजट से जुड़ी अंग्रेजों के जमाने की एक और परंपरा को बदलने की साक्षी रही है। पहले देश का आम बजट शाम पांच बजे पेश होता था, लेकिन जब पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार का 1999 का आम बजट पेश किया तो उन्होंने इस परंपरा को तोड़ते हुए सुबह 11 बजे संसद में इसे रखा। तब से बजट पेश करने का समय सुबह 11 बजे हो गया।

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गौरतलब है कि देश के पहले वित्त मंत्री आर.सी.के.एस. चेट्टी ने जब 1947 में आजादी के बाद का पहला बजट (Budget) पेश किया था तो वह बजट दस्तावेजों को चमड़े के एक ब्रीफकेस में लेकर पहुंचे थे। तब से देश के हर वित्त मंत्री ने इस परंपरा का पालन किया।

लेकिन जब निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) देश की पहली महिला वित्त मंत्री बनीं तो उन्होंने इस परंपरा को बदल दिया। 5 जुलाई, 2019 को वह लाल कपड़े के एक बस्ते में बजट दस्तावेजों को लेकर संसद भवन पहुंचीं, जो असल में भारतीय बहीखातों का स्वरूप है।

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बता दें कि देश की आजादी के बाद सबसे अधिक बार बजट (Budget) पेश करने का रिकॉर्ड देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम है। पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए मोरारजी देसाई ने कुल 10 बार देश का बजट पेश किया।

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