पुलवामा हमले की दूसरी बरसी आज, आत्मघाती आतंकी हमले में गई थी 40 जवानों की जान

आज पुलवामा हमले (Pulwama Attack) के दो साल पूरे हो गए। आज ही के दिन, यानी 14 फरवरी, 2019 को सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर हुए आत्मघाती आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।

pulwama attack

14 फरवरी का दिन इतिहास में जम्मू कश्मीर की एक दुखद घटना के रूप में दर्ज है। पुलवामा हमले के दाे बरस बीत गये हैं, लेकिन उस घटना के जख्म आज तक हरे हैं। जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर जब आतंकवादियों ने विस्फोटक भरी कार से सीआरपीएफ (CRPF)  काफिले पर कायराना हमला किया था। इस आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे और कई गंभीर रूप से घायल हुए। धमाका इतना भयंकर था कि बस के परखच्चे उड़ गए।

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आत्मघाती धमाके के बाद लोग कुछ समझ पाते उससे पहले ही आतंकियों ने सीआरपीएफ की 78 गाड़ियों के काफिले पर ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी थी। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। हमले को आदिल डार ने अंजाम दिया था, जो जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी था। पुलवामा हमला (Pulwama Attack) कश्मीर में 30 साल का सबसे बड़ा आतंकी हमला था।

जिसके बाद भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक (Balakot Air Strike) कर वहां चल रहे सभी आतंकी ठिकानों को तहस-नहस कर दिया था। 26 फरवरी को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा के बालाकोट में स्थित जैश की जिहादी फैक्टरी पर हमले में अजहर मसूद भी कथित तौर पर जख्मी हुआ और उसके परिवार के कई सदस्य मारे गए। दावा है कि वायुसेना की इस कार्रवाई में करीब 300 आतंकी मारे गए। पुलवामा हमले के कुछ दिनों बाद ही घाटी में जैश सरगना गाजी रशीद तीन साथियों संग मारा गया। 22 अप्रैल तक कश्मीर में सभी प्रमुख जैश कमांडर मारे गए। इनमें से 19 पाकिस्तानी थे।

हिजबुल, लश्कर और अंसार गजवात-उल हिंद (एजीएच) और आइएसजेके जैसे आतंकी संगठनों के नेटवर्क पर तेजी से कार्रवाई की गई। पुलवामा हमले (Pulwama Attack) के बाद से सुरक्षाबलों ने अपनी रणनीति बदल दी है। पुलिस, आर्मी, सीआरपीएफ (CRPF) जैसे सुरक्षाबल मिलकर आतंकियों के खिलाफ ज्वॉइंट ऑपरेशन कर रहे हैं।

ज्वॉइंट ऑपरेशन पहले भी हो रहे थे, लेकिन अब सभी एजेंसियों के बीच कोऑर्डिनेशन पहले से कहीं ज्यादा है। सीआरपीएफ जवानों की ट्रेनिंग में बदलाव किया गया है। उनके नए इक्विपमेंट दिए जा रहे हैं। मोबिलिटी और नेविगेशन में भी बदलाव किया जा रहा है। सीआरपीएफ और बाकी सुरक्षाबलों के अमले अब सिर्फ सड़क मार्ग से यात्रा नहीं कर रहे। वे बीच-बीच में हवाई यात्रा भी कर रहे हैं।

 

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