फ्रांस ने 3 राफेल जेट भारत को सौंपा, पायलट-टेक्नीशियन्स की ट्रेनिंग शुरू

Rafale Fighter Jets

फाइल फोटो।

फ्रांस में तीन और राफेल जेट विमान (Rafale) भारतीय वायु सेना को सौंप दिए गए हैं और उनकी इस्तेमाल फ्रांस में ही भारतीय वायु सेना के पायलट और टेक्नीशियन्स को ट्रेनिंग के लिए किया जा रहा है। भारत को पहला राफेल विमान (Rafale) 8 अक्टूबर को सौंपा गया था, जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहले रफाल विमान को रिसीव करने के लिए फ्रांस गए थे।

Rafale

राफेल (Rafale) का रडार सिस्टम 100 किलोमीटर के दायरे में एक बार में एक साथ 40 टारगेट डिटेक्ट कर सकता है। राफेल (Rafale) का ऑन बोर्ड रडार और सेंसर की रेंज किसी भी और लड़ाकू विमान के पास नहीं है। राफेल बहुत दूर से दुश्मन के लड़ाकू विमानों का पता लगा सकता है। इसकी ज्यादा रेंज कॉम्बैट मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका फायदा यह है कि दुश्मन के विमान में डिटेक्ट हुए बिना ही हमारे जांबाज दुश्मन को टारगेट पर ले सकेंगे। राफेल में दो ऐसी मिसाइलें लगी है जिसके कारण भारत हवाई हमले में दुनिया में बाहुबली साबित हो सकता है। राफेल में स्कैल्प और मिटियोर दो ऐसी मिसाइलें लगी है जो इंडियन फोर्स के लिए गेम चेंजर साबित होंगी।

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राफेल (Rafale) की कॉम्बैट रेडियस है 1850 किलोमीटर जबकि पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू जहाज की कॉम्बैट रेडियस है 1370 किलोमीटर। इसका मतलब है कि एक बार के फ्यूल में राफेल विमान ज्यादा किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। मिसाइल रेंज में भी अगर हम देखें तो यहां भी राफेल आगे हैं। राफेल में मिटियोर मिसाइल से लैस है जिसकी रेंज 150 किलोमीटर है जबकि F-16 मिसाइल लगाई जाती है जिसकी रेंज 100 किलोमीटर है। उड़ान के मापदंड पर भी अगर देखें तो राफेल 15240 मीटर तक उड़ान भर सकता है जबकि F-16 15235 मीटर तक उड़ान भर सकता है। दोनों लड़ाकू विमानों की ऊंचाई देखे तो राफेल की ऊंचाई 5.3 मीटर है जबकि F-16 की ऊंचाई 5 मीटर है। राफेल की चौड़ाई 10.9 मीटर है जबकि F-16 की चौड़ाई 9.5 मीटर है। ऐसे में भारतीय वायुसेना में राफेल विमान के आने से पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की बेलगामी पर लगाम लगाई जा सकती है।

 

 

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