
कश्मीर घाटी में जो आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं, पाकिस्तान उन्हें चीन में बने हैंड ग्रेनेड सप्लाई कर रहा है। खुफिया एजेंसियों की ओर से जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। आतंकियों को न केवल हैंड ग्रेनेड बल्कि चीन में बने अल्ट्रा मॉर्डन हथियार भी सप्लाई किए जा रहे हैं। एजेंसियों के अनुसार, पाकिस्तान ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि वह भारत में अपनी गतिविधियों को झुठला सके। कुछ काउंटर इनसर्जेंसी ऑपरेशंस के बाद एजेंसियों ने यह दावा किया है। एजेंसियों के मुताबिक, सुरक्षाबलों को अलग-अलग संगठनों के आतंकियों के पास से कुछ हथियार बरामद हुए हैं। जिनमें पिस्तौल, आर्मर पियरसिंग इनसेनडायरी (एपीआई) शेल्स और ट्रेसर राउंड्स शामिल हैं।
साथ ही, सुरक्षाबलों को अब तक आतंकियों के पास से 70 हैंड ग्रेनेड्स भी मिले हैं। ये सब चीन में बने हैं। एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में पिछले 15 महीने में पेश आई घटनाओं का जिक्र किया है। इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) के अधिकारियों के मुताबिक ज्यादातर हैंड ग्रेनेड लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के जरिए कश्मीर घाटी में आ रहे हैं। सुरक्षाबलों की पेट्रेालिंग पार्टी, बंकर, गाड़ियों या फिर कैंप पर ग्रेनेड फेंकने की जो घटनाएं हाल में हुई है, उनमें या तो प्रशिक्षित आतंकी शामिल थे या फिर ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्लू) को शामिल किया गया था। 16 अप्रैल को त्राल में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता के घर पर एक ग्रेनेड अटैक हुआ था। एक अधिकारी के मुताबिक हैंड ग्रेनेड हमला आतंकियों को इसलिए आसान लगता है क्योंकि इसके लिए किसी को भी कोई खास ट्रेनिंग देने की जरूरत नहीं होती है।
7 मार्च को जम्मू के आईएसबीटी बस स्टैंड पर भी एक ग्रेनेड अटैक हुआ था। इस हमले में दो लोगों की मौत हो गई थी और 32 लोग घायल हो गए थे। अभी तक हुए इन सभी हमलों को चीन और पाकिस्तान में बने ग्रेनेड्स की मदद से अंजाम दिया गया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि चीनी ग्रेनेड्स के प्रयोग में अचानक तेजी देखी जा रही है। घाटी में लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, अल बदर और यहां तक कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ओजीडब्लू और आतंकियों की मदद से सुरक्षाबलों की गाड़ियों, कैंप्स और उनके बंकर्स पर ग्रेनेड हमले को अंजाम दे रहे हैं। पिछले दो सालों में कश्मीर घाटी के अलावा नॉर्थ ईस्ट में भी सुरक्षाबलों ने जो हथियार बरामद किए, वे सब चीन में ही बने थे। चीनी हथियारों को भारत लाने के लिए या तो पाकिस्तान का रास्ता चुना जाता है या नेपाल का।
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