
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) से धारा 370 हटाने के कारण वहां के शांति प्रिय लोगों को एक अच्छी जिंदगी मिलने की उम्मीद जगी है। सरकार के इस साहसिक फैसले से 30 साल पहले विस्थापित कश्मीरी पंडितों को भी उम्मीद जगी है कि वो अब सुरक्षित वातावरण में अपने घर वापस लौट सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में भारत विरोधी ताकतें सरकार के सकारात्मक पहल को भंग करने की हर मुमकिन कोशिश कर रही हैं। हालांकि उनकी सभी कोशिशों को भारतीय सुरक्षाबलों ने निष्क्रिय कर दिया है। बावजूद इसके पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद भारत की शांति भंग करने पर अमादा है। सीमापार बैठे से आतंकियों के आकाओं ने अपने शागिर्दों को संदेश भेजा है कि अब वो सेना की वर्दी और दो पहिया वाहनों पर घूमें। इससे आतंकियों की पहचान गु्प्त रहेगी और उनके आतंकी मंसूबे कामयाब होंगे। वहीं दूसरी तरफ इन आतंकियों को हुक्म मिला है कि वो पहले भी हमले का दंश झेल चुके कश्मीरी पंडितों पर एक बार फिर आतंकी हमला करें। भारतीय खुफिया विभाग के अनुसार मौजूदा समय में घाटी में अभी करीब 40 से ज्यादा आतंकी सक्रिय हैं। जिनको हुक्म मिला है कि वो अब स्थानीय स्कूलों में पढ़ा रहे कश्मीरी पंडितों को निशाना बना सकते हैं। इसके अलावा कश्मीर में काम-धंधा कर रहे हिंदू समुदाय के दूसरे लोगों पर भी आतंकी हमले का अलर्ट है।
उधर कुलगाम जिले में हुए आतंकवादी हमले में गंभीर रूप से घायल एक अन्य मजदूर ने अस्पताल में दम तोड़ दिया जिसके बाद इस हमले में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 6 हो गई है। मारे गए देहाड़ी मजदूर हैं और सभी पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के रहने वाले थे। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थी। करीब 2 माह बाद जब उन पाबंदियों में ढील दी गई तो घाटी में छिपे आतंकियों ने दोबारा से सिर उठाना शुरू कर दिया। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक घाटी में अभी 40 से ज्यादा आतंकी मौजूद हैं। ताजा खुफिया अलर्ट में कहा गया है कि आतंकी घाटी के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाने की योजना बना रहे हैं।
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