कश्मीर में आतंकवाद: बीते 30 सालों में 1700 पुलिसकर्मी हुए हैं शहीद, 500 से ज्यादा PSO बने शिकार

Kashmir: कश्मीर में पिछले 30 सालों में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की रक्षा करते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के करीब 1700 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं।

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सांकेतिक तस्वीर

कश्मीर (Kashmir) में पिछले 30 सालों में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की रक्षा करते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के करीब 1700 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं।

श्रीनगर: कश्मीर (Kashmir) में आतंकियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है, इसके बावजूद आतंकी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। इस बीच एक चौंकाने वाला डाटा सामने आया है।

इस डाटा के मुताबिक कश्मीर (Kashmir) में पिछले 30 सालों में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की रक्षा करते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के करीब 1700 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं, जिनमें 508 निजी सुरक्षा अधिकारी (PSO) शामिल हैं।

बता दें कि नेताओं के निजी सुरक्षा अधिकारियों (PSO) के पास आधुनिक हथियार नहीं होते हैं, लेकिन उनकी नौकरी का समय बिल्कुल निर्धारित होता है। उनकी ये जिम्मेदारी है कि नेता कहीं भी हो (घर में या किसी फंक्शन में) उसकी सुरक्षा करनी है। ऐसे में नेताओं की हिफाजत करते हुए ये निजी सुरक्षा अधिकारी आतंकियों का शिकार हो जाते हैं।

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हालही में जम्मू कश्मीर में पीडीपी नेता हाजी परवेद अहमद के घर पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में पीडीपी नेता के पीएसओ मंज़ूर अहमद की मौत हो गई थी।

एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, ये हमला सुरक्षा चूक नहीं है, आतंकी एक से ज्यादा थे, इसलिए वो इस हमले को अंजाम दे पाए। आतंकियों ने घर में घुसते ही अंधाधुंध फायरिंग की थी।

इसी तरह बीती 6 अक्टूबर को मध्य कश्मीर के जिला गांदरबल में भाजपा नेता गुलाम कादिर की सुरक्षा में तैनात पीएसओ अल्ताफ अहमद भी आतंकियों का शिकार बने थे और भाजपा नेता बाल-बाल बचे थे।

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