
उन्होंने ट्विटर का जिस तरह से इस्तेमाल किया, शायद ही इससे पहले दुनिया में उसका इतनी अच्छी तरह से इस्तेमाल हुआ हो। सुषमा की कार्यशैली की तारीफ तो उनके विरोधी भी करते हैं।
भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) का जन्म 14 फरवरी, 1953 को हरियाणा के अंबाला कैंट में हुआ था। सुषमा स्वराज के माता-पिता पाकिस्तान के लाहौर के धर्मपुर से थे। बाद में वे हरियाणा में आकर बस गए थे। पाकिस्तान के अपने आखिरी दौरे में सुषमा धर्मपुर भी गई थीं। उनके पिता हरदेव शर्मा आरएसएस से जुड़े थे। उन्होंने अंबाला छावनी के सनातन धर्म कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। 6 अगस्त 2019 की रात हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया। आज उनकी पुण्यतिथि बरसी है। हरियाणा की बेटी सुषमा स्वराज ने भारतीय राजनीति में ऐसे आयाम स्थापित किए जिनका हर कोई मुरीद है।
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सुषमा (Sushma Swaraj) एक होनहार छात्रा थीं। अंबाला छावनी के एसडी कॉलेज से उन्हें सर्वश्रेष्ठ छात्रा का पुरस्कार मिला था। इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय के कानून विभाग से LLB की डिग्री ली और 1973 से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की। वह बड़ौदा डायनामाइट मामले (1975-77) में स्वराज कौशल के साथ जॉर्ज फर्नांडीस की लीगल टीम का हिस्सा थीं। उनका राजनीतिक करियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ शुरू हुआ। सुषमा स्वराज पढ़ाई के साथ एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी में बहुत आगे रहीं। वह शास्त्रीय संगीत के अलावा ललित कला और नाटक देखने आदि में काफी रुचि लेती थीं।
वह तीन वर्षों तक लगातार सनातन धर्म कॉलेज के NCC की सर्वश्रेष्ठ सैनिक छात्रा घोषित की गईं थीं। हरियाणा के भाषा विभाग में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उन्हें लगातार 3 वर्षों तक सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता का पुरस्कार दिया गया। अपातकाल के दौरान 13 जुलाई, 1975 को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल से उनकी शादी हुई थी। पंजाब विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दैरान उनकी मुलाकात देश के इस सबसे युवा एडवोकेट जनरल से हुई थी।
पति स्वराज कौशल सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील हैं। कौशल को महज 34 साल की उम्र में देश का सबसे युवा एडवोकेट जनरल बना दिया गया था। कौशल 37 साल की उम्र में मिजोरम के गवर्नर भी बन गए थे। वे 1990 से 1993 तक उस पद पर रहे। स्वराज कौशल 1998 से 2004 तक हरियाणा से राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं। दो विपरीत विचारधाराओं के थे दोनों। सुषमा (Sushma Swaraj) दक्षिणपंथी थीं तो कौशल वामपंथी थे। फिर भी दोनों में प्यार हुआ, परिवार के विरोध के बावजूद शादी की, जीवन भर साथ निभाया। सुषमा और कौशल की प्रेम कहानी पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के लॉ डिपार्टमेंट में शुरू हुई थी। वहां दोनों पहली बार मिले, मुलाकातें हुईं, प्यार हुआ, परवान चढ़ा और दोनों ने शादी करने का फैसला ले लिया। पर सुषमा और स्वराज की शादी आसान नहीं थी, क्योंकि दोनों के परिवार वाले इस शादी के लिए तैयार नहीं थे।
यह वो दौर तब का था, जब बेटियों को पर्दे के पीछे रखा जाता था। प्रेम विवाह करना तो दूर, लड़का लड़की एक दूसरे की शक्ल भी नहीं देखते थे। लेकिन सुषमा और कौशल ने हिम्मत दिखाई। बड़ी मुश्किल से परिवार को शादी के लिए मनाया। 1977 में जनता पार्टी की सरकार में सुषमा स्वराज 25 साल की उम्र में हरियाणा की कैबिनेट मंत्री बन गई थीं। सुषमा स्वराज सबसे युवा कैबिनेट मंत्री थीं। 27 वर्ष की उम्र में सुषमा जनता पार्टी की हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं। वह किसी राजनीतिक पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता भी बनीं। इसके अलावा, बीजेपी की पहली महिला मुख्यमंत्री, विपक्ष की पहली महिला महासचिव, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, प्रवक्ता और विदेश मंत्री बनने का भी खिताब भी उनके नाम ही है।
सुषमा (Sushma Swaraj) की एक बेटी है जिसका नाम बांसुरी कौशल है। बांसुरी ने भी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है। इनर टेम्पल से कानून में बैरिस्टर की डिग्री लेने के बाद वह अपने पिता की तरह क्रिमिनल लॉयर हैं। सुषमा स्वराज कई भाषाएं जानती थीं। स्वराज लंबे समय से किडनी की समस्या से परेशान चल रही थीं। कुछ दिनों पहले उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। उन्होंने न तो 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा और न ही कैबिनेट में कोई पद लिया था। उनके स्वभाव और सोशल मीडिया पर त्वरित प्रतिक्रिया के कारण उन्हें लोग बहुत पसंद करते थे। कई बार व्यक्तिगत जीवन की तमाम यादें भी वो सोशल मीडिया पर साझा करती थीं।
सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) सिर्फ एक राजनेता ही नहीं थीं, बल्कि उससे बढ़कर एक बेहतरीन इंसान थीं। वह अपने मानवीय मूल्यों के लिए सबसे अधिक याद की जाएंगी। विदेश मंत्री रहते उनके कार्यकाल में कई ऐसे मौके आए जब उन्होंने आम जनता की मदद की। उन्होंने लोगों की मदद के लिए ट्विटर का जिस तरह से इस्तेमाल किया वह काबिले तारीफ है। सुषमा की कार्यशैली की तारीफ तो उनके विरोधी भी करते हैं। सऊदी अरब में बंधक बनाकर रखे गए 13 लोगों को जिस तरह से सुषमा ने मदद की थी, विपक्षी नेताओं ने भी जमकर उसकी तारीफ की।
निराशा में आशा की किरण थीं सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj)
- इराक में फंसे 168 लोगों को बचाना
सुषमा स्वराज ने युद्धग्रस्त इराक में फंसे 168 लोगों को बचाकर खूब वाहवाही लूटी। दरअसल इसके लिए उन्होंने ट्विटर पर मौजूद सिर्फ एक वीडियो पर एक्शन लिया था, जिसमें उन्हें टैग किया गया था।
- दोहा से भारतीय को बचाना
प्रांशू सिंघल नाम के एक शख्स ने सुषमा को टैग करते हुए एक ट्वीट किया कि दोहा एयरपोर्ट पर फंसे उनके भाई को बचा लें, बस फिर क्या था सुषमा ने झौंक दी अपनी पूरी ताकर प्रांशू के भाई को बचाने में और बचा भी लिया।
- बर्लिन में मिली मदद
जर्मनी घूमने गई एक महिला ने अपना पासपोर्ट और पैसा गंवा दिया। इस पर उन्होंने ट्विटर के जरिए मदद की गुहार लगाई और सुषमा ने तुरंत उनकी मदद कर दी।
- यमन में भारतीय महिला की मदद
भारतीय से शादी करने वाली एक यमन महिला ने अपने 8 माह के बच्चे की फोटो ट्वीट करके उन्हें वहां से निकालने की गुहार लगाई और सुषमा ने मदद के हाथ बढ़ा दिए।
- तस्करों से छुड़ाकर लाई गई भारतीय लड़की
देव तंबोली नाम के एक शख्स ने ट्वीट करके यूएई में तस्करों से उनकी बहन को छुड़ाने के लिए मदद मांगी और सुषमा ने तुरंत मदद पहुंचाई।
- विदेशियों की भारत में मदद
डेनमार्क की सुजेन लुकानो की बहन ऋषिकेश में गायब हो गई थी और सुषमा की पहल पर युवती को ढूंढ लिया गया।
- दक्षिण अफ्रीका से भारतीय लड़की सुरक्षित घर लौटी
भारतीय मूल की एक लड़की को दक्षिण अफ्रीका के एक घर में कैद करके रखा गया था, उसके साथ मारपीट होने की भी आशंका जाहिर करते हुए गोपाल केशरी ने एक ट्वीट किया। इस पर सुषमा स्वराज ने तुरंत एक्शन लिया और लड़की को बचाकर सुरक्षित वापस लाया गया।
- मानवीय रिश्तों की खातिर
कैप्टन निखिल महाजन के भाई कैप्टन तुषार महाजन के निधन पर भी सुषमा ने निखिल की मदद की और उन्हें सुरक्षित भारत लाने में मदद की।
- बाली में महिला की मदद
मीरा शर्मा नाम की एक महिला ने सुषमा को टैग करते हुए ट्वीट किया कि हम छुट्टी मनाने बाली आए हुए थे और मेरी मां का एक्सीडेंट हो गया है, लेकिन अस्पताल भारत की इंश्योरेंस गारंटी नहीं ले रहा है। सुषमा ने उनकी भी मदद की।
- यमन से करीब 7 हजार लोगों को बचाया
युद्धग्रस्त यमन में फंसे 4741 भारतीय और 1947 विदेशी नागरिकों को ऑपरेशन राहत चलाकर बचाया गया। कम समय में चलाया गया यह सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन था और इन करीब सात हजार लोगों को हवाई मार्ग व समुद्री मार्ग के जरिए बचाया गया।
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