
जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में आई बड़ी कमी। फाइल फोटो।
सरकार और सुरक्षाबलों के निरंतर प्रयासों का असर कश्मीर घाटी में दिखने लगा है। पिछले कुछ सालों में घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं में बड़ी कमी आई है। अधिकारियों ने 14 जुलाई को इस बारे में जानकारी दी। जम्मू-कश्मीर में साल 2016 में पत्थरबाजी की 2600 से ज्यादा घटनाओं के बाद साल 2019 की पहली छमाही में इस तरह की दर्जन भर घटनाएं ही हुईं हैं। पत्थरबाजी की घटनाओं में संलिप्त रहे असामाजिक तत्वों की गिरफ्तारी भी घटकर एक सौ के करीब रह गई है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में पत्थरबाजी की 2653 घटनाएं हुईं जिसमें पुलिस ने 10571 लोगों को गिरफ्तार किया था।
हालांकि, गिरफ्तार किए गए लोगों में महज 276 ही जेल भेजे गए। बाकी को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, साल 2016 में हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में अशांति का लंबा दौर चला। साल 2017 में पत्थरबाजी की 1412 घटनाएं हुईं। इनमें गड़बड़ी फैलाने वाले 2838 लोगों को गिरफ्तार किया गया और उनमें से 63 जेल भेजे गए। वहीं इन आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 में पत्थरबाजी की 1458 घटनाएं हुईं इनमें 3797 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 65 जेल भेजे गए।
इस साल के पहले छह महीनों में पत्थरबाजी की करीब 40 घटनाएं हुईं, जिसमें करीब 100 लोग हिरासत में लिए गए। अधिकारियों के अनुसार, 19 जून, 2018 को राज्यपाल शासन लागू होने के बाद से घाटी में सुरक्षा की स्थिति में सुधार आया है। बता दें कि महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार से भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद प्रदेश में राज्यपाल शासन लागू हुआ था।
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