लद्दाख के हालातों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया चौंकाने वाला बयान, कहा- 1962 के बाद…

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने लद्दाख (Ladakh) की स्थिति को 1962 के संघर्ष के बाद सबसे गंभीर बताया है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अभी तैनात सुरक्षा बलों की संख्या भी अभूतपूर्व है।

S Jaishankar comments on Terrorism

विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) II फाइल फोटो।

भारत-चीन के संबंधों के भविष्य को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा कि दोनों देश मिलकर काम करें तो ये सदी एशिया की होगी। हालांकि, तमाम रुकावटों की वजह से इन कोशिशों को झटका लग सकता है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने लद्दाख (Ladakh) की स्थिति को 1962 के संघर्ष के बाद सबसे गंभीर बताया है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अभी तैनात सुरक्षा बलों की संख्या भी अभूतपूर्व है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी सीमा स्थितियों का समाधान कूटनीति के जरिए हुआ।

विदेश मंत्री ने कहा है कि चीन के साथ सीमा विवाद का समाधान सभी समझौतों और सहमतियों का सम्मान करते हुए और एकतरफा ढंग से यथास्थिति में बदलाव का प्रयास किए बिना ही किया जाना चाहिए।

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अपनी किताब ‘द इंडिया वे : स्ट्रैटजिज फार एन अंसर्टेन वर्ल्ड’ के लोकार्पण से पहले रेडिफ डॉट काम को दिए साक्षात्कार में विदेश मंत्री (S Jaishankar) ने कहा, “जैसा कि आप जानते हैं, हम चीन के साथ राजनयिक और सैन्य दोनों माध्यमों से बातचीत कर रहे हैं। वास्तव में दोनों साथ चल रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “जब बात समाधान निकालने की है, तब यह सभी समझौतों और सहमतियों का सम्मान करके प्रतिपादित किया जाना चाहिए और एकतरफा ढंग से यथास्थिति में बदलाव का प्रयास नहीं होना चाहिए।”

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बता दें कि भारत और चीन पिछले तीन महीने से पूर्वी लद्दाख में तनावपूर्ण गतिरोध की स्थिति में है जबकि कई दौर की राजनयिक और सैन्य स्तर की बातचीत हो चुकी है। भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि चीन के साथ सीमा गतिरोध का समाधान दोनों देशों के बीच सीमा प्रबंधन के लिये वर्तमान समझौतों और प्रोटोकाल के अनुरूप निकाला जाना चाहिए।

भारत-चीन के संबंधों के भविष्य को लेकर जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा कि दोनों देश मिलकर काम करें तो ये सदी एशिया की होगी। हालांकि, तमाम रुकावटों की वजह से इन कोशिशों को झटका लग सकता है। ये रिश्ता दोनों देशों के लिए बेहद अहम है। इसमें कई समस्याएं भी हैं और मैं इस बात को स्वीकार करता हूं। यही वजह है कि किसी भी रिश्ते में रणनीति और विजन दोनों जरूरी है।

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विदेश मंत्री ने कहा, “मैंने कहा है कि भारत और चीन के साथ मिलकर काम करने की क्षमता एशिया की शताब्दी का निर्धारण करेगी। लेकिन उनकी कठिनाई इसे कमतर कर सकती है और इसलिए यह दोनों के लिये बेहद महत्वपूर्ण संबंध है। इसमें समस्याएं भी है और मैंने स्पष्ट रूप से इसे माना है।”

इसके साथ ही उन्होंने कहा, “हमें इसमें ईमानदार संवाद की जरूरत है, भारतीयों के बीच और भारत और चीन के बीच। इसलिए इस संबंध में रणनीति और सोच की जरूरत है।”

सीमा विवाद के संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि भारत ने चीनी पक्ष को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि सीमा पर शांति हमारे संबंधों का आधार है। उन्होंने कहा, “अगर हम पिछले तीन दशक पर ध्यान दें तब यह स्वत: ही स्पष्ट हो जाता है।” 

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जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा, “यह निश्चित तौर पर 1962 के बाद सबसे गंभीर स्थिति है। वास्तव में 45 सालों के बाद इस सीमा पर सैनिकों की मौत हुई। दोनों पक्षों की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अभी तैनात सुरक्षा बलों की संख्या भी अभूतपूर्व है।”

विदेश मंत्री ने डोकलाम सहित चीन के साथ सीमा पर तनाव की घटनाओं का भी जिक्र किया और कहा कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए जो कुछ करना होगा, वह करेगा। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में देपसांग, चुमार, डोकलाम आदि पर सीमा विवाद पैदा हुए। इसमें प्रत्येक एक दूसरे से अलग था। लेकिन इसमें एक बात समान थी कि इनका समाधान राजनयिक प्रयासों से हुआ।

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एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा, “मैं वर्तमान स्थिति की गंभीरता या जटिल प्रकृति को कम नहीं बता रहा। स्वभाविक रूप से हमें अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए जो कुछ करना चाहिए, वह करना होगा।”

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