
10 अगस्त को रूस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि भारत ने ये फैसला संवैधानिक दायरे में रहकर किया है।
जम्मू-कश्मीर से Article 370 हटाने के भारत सरकार के फैसले पर पाकिस्तान लगातार विरोध कर रहा है। उसने भारत के साथ सभी द्विपक्षीय रिश्ते समाप्त करने का फैसला भी कर लिया है। उसने भारत के उच्चायुक्त को वापस भेजने और भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त को वापस बुलाने का फैसला किया है। समझौता एक्सप्रेस को रोक दिया है। इसके साथ ही वह विश्व के बड़े देशों से समर्थन लेने की कोशिश कर रहा है। लेकिन उसे अभी तक निराशा ही हाथ लगी है। संयुक्त राष्ट्र संघ, अमेरिका और चीन के बाद अब रूस ने भी इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान को करारा झटका दिया। 10 अगस्त को रूस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि भारत ने ये फैसला संवैधानिक दायरे में रहकर किया है।
रूसी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मॉस्को उम्मीद करता है कि दिल्ली द्वारा जम्मू-कश्मीर की स्थिति में बदलाव करने के मद्देनजर भारत और पाकिस्तान क्षेत्र में स्थिति बिगड़ने नहीं देंगे।’ मंत्रालय ने आगे कहा, ‘हम इस तथ्य को ध्यान में रख कर आगे बढ़ रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति में बदलाव और उसे बांटकर दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला भारतीय गणराज्य के संविधान के दायरे में है। हम उम्मीद करते हैं कि दोनों देश मतभेदों को राजनीतिक और राजनयिक तरीकों से शिमला समझौता-1972 एवं लाहौर घोषणा पत्र-1999 के प्रावधानों के तहत द्विपक्षीय आधार पर सुलझाएंगे।’ गौरतलब है कि, जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार के हालिया फैसले को अमेरिका ने भी आंतरिक मसला बताया था।
पाकिस्तान को नहीं मिला चीन का साथ, तालिबान ने भी सुनाई खरी-खोटी
यही नहीं चीन ने भी पाकिस्तान से कहा कि वह भारत और पाकिस्तान को ‘पड़ोसी मित्र’ मानता है और वह चाहता है कि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव और शिमला समझौते के माध्यम से कश्मीर मुद्दे को सुलझाएं। उधर, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कारोबारी प्रतिनिधियों का एक प्रतिनिधिमंडल 11 से 13 अगस्त, 2019 तक रूस के व्लादिवोस्तोक की यात्रा करेगा। उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य निवेश अवसरों की तलाश करने के साथ-साथ सुदूर पूर्व के प्रांतों के साथ घनिष्ठ साझेदारियां सुनिश्चित करना है।
पढ़ें: सुषमा स्वराज की शादी के खिलाफ थे घर वाले, फिर भी किया प्रेम विवाह
Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App