जनता के राष्ट्रपति थे भारत के मिसाइल मैन, हिंदी से था खास लगाव

Abdul Kalam

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एक इंजीनियर, रॉकेट वैज्ञानिक, मिसाइल मैन, शिक्षक और याद आने वाले सबसे प्रेरक राष्ट्रपति – अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) इन सब से भी बढ़कर थे I निःसन्देह वे महात्मा गांधी के बाद सबसे सम्मानित भारतीय नेता थे I उनके उल्लेखनीय जीवन की राह में जो भी सीमाएं और बाधाएं आईं, वे उन सबको शिष्टता और विनम्रता के साथ पार कर गए I

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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) को दुनिया एक महान वैज्ञानिक के रूप में जानती है। परमाणु शक्ति-संपन्नता से लेकर ‘मिशन मून’ और ‘अग्नि-V’ तक भारत की वैज्ञानिक उपलब्धिया डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) के कुशल नेतृत्व क्षमता का ही उदाहरण है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (Abdul Kalam)  वह भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। इसके अतिरिक्त वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नॉलाजी (IIST) के चांसलर पद पर रहे। देश के इस महान शख्सियत को भारत का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा चुका है। प्रेरणादायी भूमिका के कारण उन्हें भारत के ‘मिसाइलमैन’ की भी उपाधि मिली।

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डॉ अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम के धनुषकोड़ी गांव में हुआ था। इनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाविक थे जो बमुश्किल ही अपने घर का पालन पोषण करते थे। इनके छोटे से घर में तीन परिवार रहता था। 5 भाई और 5 बहनों में से एक अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) बचपन से ही पढ़ने मे मेधावी थे और शायद यही कारण था कि मुफलिसी में रहने के बावजूद इनके पिता ने अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) की पढ़ाई के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया। कलाम जब पाचंवी कक्षा में थे तब स्कूल अध्यापक सभी बच्चों को चिड़ियों के उड़ने की शैली को दिखाने समुद्र तट के किनारे ले गए थे, अध्यापक की बातों से बालक कलाम इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तभी ठान लिया कि वो विमान विज्ञान क्षेत्र में जाएंगे। अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) ने युवास्था में घर-घर जाकर अखबार भी बेचा और सन 1950 को मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। 1972 में अब्दुल कलाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े। अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) को परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (SLV III) लॉन्च करने का श्रेय जाता है। कलाम ने 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी इंटरनेशनल स्पेस क्लब का सदस्य बना। कलाम को ही ISRO लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय जाता है। कलाम ने ही स्वदेशी गाइडेड मिसाइल्स को डिजाइन किया। अग्नि और पृथ्वी जैसे मिसाइलों को स्वदेशी तकनीक से बनाने का श्रेय इन्हें ही जाता है।

पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) बेहद साधारण पृष्टभूमि से ऊपर उटकर, अटल विहारी वाजपेयी की सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रपति पद तक पहुंचे। वाम दलों को छोड़कर सभी दलों में राष्ट्रपति पद पर उनकी उम्मीदवारी को लेकर सर्वसम्मति बनी और बड़े शानदार तरीके से वह राष्ट्रपति चुने गए।

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माना जाता है कि भारत के मिसाइल कार्यक्रम के पीछे मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी से एअरोनोटिक्स इंजीनियरिंग करने वाले कलाम का ही सोच था। वाजपेयी के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार पूर्व राष्ट्रपति ने 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण में निर्णायक भूमिका निभाई। बतौर राष्ट्रपति कलाम ने छात्रों से संवाद के हर मौके का इस्तेमाल किया और खासतौर से स्कूली बच्चों को उन्होंने बड़े सपने देखने को कहा ताकि वे जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल कर सकें। पूर्व राष्ट्रपति ने विवाह नहीं किया था। वह वीणा बजाते थे और कर्नाटक संगीत में उनकी खास रूची थी। वह जीवन पर्यत्न शाकाहारी रहे।

आजाद भारत के इतिहास में ए पी जे अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) को जनता का राष्ट्रपति कहा गया । हो सकता है कलाम पर ये टिप्पणी करते वक्त विशेषज्ञों को गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद का स्मरण नहीं रहा हो। लेकिन डॉ राजेन्द्र प्रसाद के बाद दूसरे ऐसे राष्ट्रपति थे जिनके कार्यकाल में राष्ट्रपति भवन के बड़े बड़े लोहे के गेट आम जनता और महामहिम के बीच बाधा नहीं बने । राष्ट्रपति भवन बच्चों, युवाओं और वैज्ञानिकों के लिए हमेशा खुला रहता था । अपने कार्यकाल के दौरान कलाम ने राष्ट्रपति भवन को देश के विकास का ब्लू प्रिंट तैयार करने का केंद्र बना दिया था । एक राष्ट्रपति के रूप में कलाम का उद्देश्य जनता के दिमाग को उस स्तर पर ले जाना था ताकि एक महान भारत का निर्माण हो सके । राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने अपना एक विजन- पी यू आर ए (प्रोविज्न ऑफ अरबन एमिनिटीज इन रूरल एरियाज) देश के सामने पेश किया  जिसके मुताबिक 2020 तक भारत को एक पूर्ण विकसित राष्ट्र हो जाना है। इन वजहों से उस दौर में लोग राष्ट्रपति भवन को समाज में बदलाव की प्रयोगशाला तक कहने लगे थे ।

अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) की किताबें  भारतीय प्रकाशन जगत में एक सुखद घटना की तरह होती हैं । हिंदी में भी । एक अनुमान के मुताबिक विंग्स ऑफ फायर की अबतक दस लाख से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं । कलाम साहब ने राष्ट्रपति रहते हुए सांसदों और विधायकों के अलावा देश के नीति नियंताओं के साथ मुलाकात कर विकास की दिशा में आगे बढ़ने की योजनाएं बनाई थी । वो स्वतंत्रता दिवस पर दिए जाने वाले अपने भाषण को लेकर भी खासे चौकस रहते थे । दो हजार पांच के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिए गए उनके भाषण को 15 बार लिखा गया । इलके अलावा 25 अप्रैल 2007 को कलाम को यूरोपियन पार्लियामेंट में भाषण देना था । उस भाषण के 31 ड्राफ्ट हुए जिसके बाद वो फाइनल हो पाया । इससे पता लगता है कि कलाम हर मामले में परफेक्शनिस्ट थे । कलाम साहब वैज्ञानिक सहायक के पद से देश के राष्ट्रपति के पद तक पहुंचे थे । कलाम साहब  सार्वजनिक जीवन में उच्च सिद्धांतों और सादगी के प्रतीक हैं और उनका जीवन बहुतों के लिए प्रेरणादायी है । उनके जीवन की ये बातें और हिंदी को लेकर उनका प्रेम कई हिंदी विरोधियों के लिए मिसाल है। 27 जुलाई 2015 को भारत का ये कोहिनूर सदा के लिए अंतरिक्ष की अंतत सैर के लिए इस पृथ्वी से चला गया।

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