पिछले 5 सालों में नक्सली वारदातों में आई जबरदस्त कमी, जानिए कितने नक्सलियों का हुआ सफाया

आंकड़ों के मुताबिक नक्सली हिंसा की घटनाओं और इनमें होने वाली मौतों में पिछले पांच सालों में काफी कमी आई है। 2009-13 के बीच ऐसी घटनाएं जहां 60.4 फीसदी हुईं वहीं पिछले पांच सालों में यह आकंड़ा घट कर 43.4 फीसदी पर आ गया है।

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'नई दिशा' का असर दिखने लगा है। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया।

नक्सलियों के खिलाफ लगातार चलाए जा रहे ऑपरेशन्स और नक्सलियों को मुख्य धारा में लाने के लिए चलाई जा रही सरकारी योजना ‘नई दिशा’ का असर दिखने लगा है। गृह मंत्रालय ने हाल ही में इससे जुड़े कुछ आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक नक्सली हिंसा की घटनाओं और इनमें होने वाली मौतों में पिछले पांच सालों में काफी कमी आई है। 2009-13 के बीच ऐसी घटनाएं जहां 60.4 फीसदी हुईं वहीं पिछले पांच सालों में यह आकंड़ा घट कर 43.4 फीसदी पर आ गया है। वर्ष 2014-18 के दौरान नक्सली घटनाओं में काफी कमी आई है।

आंकड़े बताते हैं कि साल 2009-13 के बीच कुल 8,782 नक्सली घटनाएं हुईं वहीं 2009-13 के बीच देश में 4,969 नक्सली घटनाएं हुई हैं। साल 2009-13 के बीच इन घटनाओं में 3,326 लोगों ने (इनमें सुरक्षा बल के जवान भी शामिल हैं) नक्सली घटनाओं में अपनी जवान गंवाई। वहीं साल 2014-18 के बीच यह आकंड़ा घट कर 1,321 पर सिमट गया। इतना ही नहीं, पिछले पांच सालों में 1400 नक्सली मारे गए हैं।

अगर साल 2019 की बात करें तो इस साल के शुरुआती पांच महीनों में अब तक नक्सली हिंसा से जुड़ी कुल 310 घटनाएं पेश आई हैं। इस हिंसा में कुल 88 लोगों की जानें गई हैं। सरकारी आकंड़े बताते हैं कि Left Wing Extremism (LWE) का विस्तार हुआ है। केंद्र सरकार LWE से मुकाबले के लिए व्यापक पैमाने पर काम कर रही है। इसमें राज्य सरकारें भी सहयोग कर रही हैं। आपको बता दें कि इस साल अब तक नक्सलियों ने सबसे बड़ा हमला महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में किया था। इस हममें 15 जवान शहीद हो गए थे और एक ड्राइवर की भी मौत हो गई थी।

इन आंकड़ों में सरेंडर करने वाले नक्सलियों की संख्या शामिल नहीं है। अगर उनको भी जोड़ लें तो तस्वीर बहुत बड़ी और स्पष्ट हो जाती है। आंकड़े जो कहानी बयां कर रहे हैं इसके मुताबिक देश में नक्सलियों के पैर उखड़ने लगे हैं। यह देश की आतंरिक सुरक्षा के लिहाज से बेहद सकारात्मक संदेश है, बस शर्त इतनी है कि चौकसी में किसी भी तरह की कोताही ना बरती जाए। फिर वो दिन दूर नहीं जब इस देश में नक्सलियों का नामलेवा भी कोई नहीं बचेगा।

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