ISRO ने लॉन्च किया साल का पहला उपग्रह, जानिए क्या है GSAT-30 की खासियत

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने संचार उपग्रह जीसैट-30 (GSAT-30) को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। इसका प्रक्षेपण फ्रेंच गुआना के कौरू स्थित स्पेस सेंटर यूरोपीयन स्पेस एजेंसी के एरियनस्पेस से हुआ।

GSAT-30

जीसैट-30 के बारे में खास बातें।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने संचार उपग्रह जीसैट-30 (GSAT-30) को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। इसका प्रक्षेपण फ्रेंच गुआना के कौरू स्थित स्पेस सेंटर यूरोपीयन स्पेस एजेंसी के एरियनस्पेस से हुआ। नए साल में यह ISRO का पहला मिशन है।

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जीसैट-30

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने संचार उपग्रह जीसैट-30 (GSAT-30) को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। इसका प्रक्षेपण फ्रेंच गुआना के कौरू स्थित स्पेस सेंटर यूरोपीयन स्पेस एजेंसी के एरियनस्पेस से हुआ। इसरो का यह साल 2020 का पहला मिशन था। इसके थोड़ी देर बाद यह एरियन-5 व्हीकल से अलग हो गया और अपनी कक्षा की ओर बढ़ गया। आइए जानते हैं जीसैट-30 के बारे में खास बातें-

इनसैट-4ए की जगह लेगा जीसैट-30

जीसैट-30 (GSAT-30) जीसैट सीरीज का काफी शक्तिशाली उपग्रह है। यह सैटेलाइट इनसैट-4ए की जगह लेगा। इसकी मदद से देश में संचार प्रणाली को बेहतर बनाया जा सकेगा। इसरो के मुताबिक, इसकी कवरेज क्षमता भी अधिक होगी। जीसैट-30 का वजन करीब 3,357 किलोग्राम है। इसमें दो सोलर पैनल और बैटरी लगी है, जिससे इसे ऊर्जा मिलेगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस सैटेलाइट के सफल प्रक्षेपण के बाद केयू-बैंड और केसी-बैंड कवरेज में बढ़ोतरी होगी। इससे भारतीय क्षेत्र और द्वीपों के साथ बड़ी संख्या में खाड़ी और एशियाई देशों के साथ ऑस्ट्रेलिया में पहुंच बढ़ेगी। जीसैट-30 संचार सैटेलाइट है जो 15 साल के मिशन के लिए प्रक्षेपित किया गया है।

संचार सेवाओं में आएगी तेजी

जीसैट-30 (GSAT-30) उपग्रह डीटीएच, टेलीविजन अपलिंक और वीसैट सेवाओं के लिए क्रियाशील संचार उपग्रह है। इसरो ने कहा कि जीसैट-30 के संचार पेलोड गको इस अंतरिक्ष यान में अधिकतम ट्रांसपोंडर लगाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इसरो ने इस सैटेलाइट को 1-3केबस मॉडल में तैयार किया है, जो जियोस्टेशनरी ऑर्बिट केसी और केयू- बैंड से संचार सेवाओं में मदद करेगा। केयू- बैंड सिग्नल से पृथ्वी पर चल रही गतिविधियों को पकड़ा जा सकता है। मौसम संबंधी जानकारी जुटाने में भी यह सैटेलाइट मदद करता है। इसरो के अनुसार इस सैटेलाइट की मदद से टेलीपोर्ट सेवा, डिजिटल सैटेलाइट न्यूज गैदरिंग, डीटीएच टेलिविजन सेवा, मोबाइल सेवा कनेक्टिविटी जैसे कई सुविधाओं को बेहतर करने में मदद मिलेगी। यह सैटेलाइट बैंकों के एटीएम, स्‍टॉक एक्‍सचेंज और ई-गवर्नेंस एप्‍लीकेशन कनेक्‍टेविटी को सपोर्ट करेगा। इसके अलावा देश में इंटरनेट की नई तकनीकि आ रही है। 5जी पर काम चल रहा है। ऐसे में अधिक शक्तिशाली सैटेलाइट की जरूरत थी। जीसैट-30 (GSAT-30) उपग्रह इन सभी जरूरतों को पूरा करेगा।

इस स्पेस सेंटर से पहले भी कई सैटेलाइट्स हो चुके हैं लॉन्च

गुआना के स्पेस सेंटर से 5 दिसंबर, 2018 को 5,854 किलोग्राम वजन के जीसैट-11 को प्रक्षेपित किया गया था, जो ISRO द्वारा निर्मित सबसे भारी उपग्रह था। इस उपग्रह से देशभर में इंटरनेट पहुंचाना था। इसी तरह, यहीं से 6 फरवरी, 2019 को संचार उपग्रह जी-सैट 31 को लॉन्च किया गया था।

एरियन स्पेस एजेंसी का भारत के साथ है करार

एरियन स्पेस, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) की वाणिज्यिक शाखा है और भारत की पुरानी साझेदार है। इसकी मदद से कई भारतीय उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा गया है। भारत ने एरियन स्पेस के साथ 24 उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए करार किया है। एरियन स्पेस ने बयान जारी कर कहा कि भारत के जीसैट-30 (GSAT-30) सैटेलाइट को गुआना स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। इससे पहले, 1981 में प्रयोगात्मक उपग्रह एपल को यहां से लॉन्च किया गया था।

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