राफेल का भारत आना झारखंड के लिए है बहुत खास, जानें वजह…

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की ताकत और बढ़ जाएगी, क्योंकि 5 राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Jets) आज भारत पहुंच रहे हैं।

Rafale Jets

सैनिक स्कूल तिलैया के छात्र रहे रोहित कटारिया आज राफेल विमान (Rafale Jets) को फ्रांस से भारत लेकर पहुंच रहे हैं।

आज भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की ताकत और बढ़ जाएगी, क्योंकि 5 राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Jets) भारत पहुंच रहे हैं। राफेल के भारत आगमन पर वैसे तो पूरा देश गर्व कर रहा है, पर झारखंड (Jharkhand) के लिए यह कहीं अधिक गर्व की बात है। क्या आप जानते हैं कि राफेल के आने का झारखंड से खास संबंध है? दरअसल, राफेल को लेकर आने वाले एक पायलट का संबंध झारखंड से है।

झारखंड के कोडरमा जिले के सैनिक स्कूल तिलैया के छात्र रहे रोहित कटारिया आज राफेल विमान (Rafale Jets) को फ्रांस से भारत लेकर पहुंच रहे हैं। इस बात से सैनिक स्कूल तिलैया के छात्रों और शिक्षकों में खुशी का माहौल है। रोहित कटारिया साल 1992 में सैनिक स्कूल तिलैया से पास आउट हुए थे। इनके पिता कर्नल सतबीर कटारिया तब सैनिक स्कूल तिलैया में ही प्राचार्य के पद पर थे। रोहित मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं।

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उनके शिक्षक रहे धनंजय कुमार बताते हैं कि रोहित शुरू से ही मेधावी छात्र थे और उनमें कुछ कर गुजरने की क्षमता थी। वो शुरू से ही सेना में जाना चाहते थे। पासआउट होने के बाद उन्होंने एनडीए (NDA) ज्वाइन किया और आज वे देश के चुनिंदा बेहतरीन पायलटों में हैं। रोहित, फ्रांस से 7000 किलोमीटर की दूरी तय कर राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Jets) लेकर आज भारत पहुंचेंगे। यह सैनिक स्कूल तिलैया के लिए बड़े गर्व की बात है।

सैनिक स्कूल तिलैया के रजिस्ट्रार शेखर ने बताया कि सोशल मीडिया के जरिए मुझे जानकारी मिली है कि रोहित राफेल विमान लाने वाले पांच चुनिंदा पायलटों में एक हैं। स्कूल के लिए गौरव की बात है कि यहां का छात्र उस पहले दस्ते में शामिल है जिसे सबसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान को उड़ाने का जिम्मा सौंपा गया है। यह हम सैनिक स्कूल वालों के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने इसके लिए रोहित को धन्यवाद दिया है।

रोहित कटारिया की इस उपलब्धि पर स्कूल के पूर्व छात्र व इनके सहपाठी ग्रेटर नोएडा में आइटी कंपनी चलाने वाले रवि रंजन ने खुशी जताते हुए कहा कि यह हम सभी एक्स. तिलैयंस के लिए यह गौरव का क्षण है। देश के विभिन्न ऑपरेशनों में यहां के दर्जनों पूर्व छात्रों ने अपने प्राणों की आहूति दी है, जिनके नाम स्कूल के शहीद स्मारक में अंकित हैं। स्कूल के सैकड़ों पूर्व छात्र भारतीय सेना के उच्च पदों पर उत्कृष्ट सेवा दे रहे हैं और दर्जनों सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब राफेल के इतिहास से भी स्कूल का नाम जुड़ गया है।

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बता दें आज (29 जुलाई) को राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप भारत पहुंच रही है। राफेल विमानों (Rafale Jets) की पहली खेप सोमवार (27 जुलाई) को फ्रांसीसी बंदरगाह शहर बोरदु में मेरिग्नैक एयरबेस से रवाना हुई। जिसके बाद एक बार हवा में ही उनकी फ्यूलिंग हुई। जिसके बाद पांचों लड़ाकू विमान UAE के अल दाफरा बेस पर रुके।

ये विमान लगभग 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद आज (29 जुलाई) दोपहर में अंबाला पहुंचेंगे। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (Air Chief Marshal RKS Bhadauria) 29 जुलाई को अंबाला एयरबेस पर इन विमानों का स्वागत करेंगे। इस बेड़े में तीन सिंगल सीटर और दो डबल सीटर विमान शामिल हैं। इन्हें भारतीय वायुसेना के 17वें स्क्वाड्रन में शामिल किया जाएगा। राफेल जेट (Rafale Jets) का पहला स्क्वाड्रन अंबाला एयरबेस पर, जबकि दूसरा पश्चिम बंगाल के हासिमारा बेस पर रहेगा।

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राफेल (Rafale Jets) के भारतीय सरजमीं पर लैंड होने के मद्देनजर अंबाला में प्रशासन हाई अलर्ट पर है और लैंडिंग के दौरान छतों पर लोगों का जमावड़ा और फोटोग्राफी पूरी तरह से प्रतिबंधित है। प्रशासन ने धूलकोट, बलदेव नगर, गरनाला और पंजोखरा जैसे स्थानों से वायु सेना स्टेशन की तस्वीरों को लेने के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। बेस के आसपास धारा 144 लगा दी गई है, साथ ही आधिकारिक फोटोग्राफी के अलावा किसी तरह की फोटोग्राफी पर रोक है।

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