मन की बात: विवादों का हल शांति में‚ हिंसा में नहीं- पीएम मोदी

Narendra Modi

PM Narendra Modi addresses Mann Ki Baat. II Photo Credit:- Yahoo News

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने गणतंत्र दिवस पर ‘मन की बात’ में कहा कि हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है और शांति हर सवाल के जवाब का आधार होना चाहिए। उन्होंने लोगों से अपील की कि एकजुटता से हर समस्या के समाधान का प्रयास हो और भाईचारे के जरिये हर विभाजन और बंटवारे की कोशिश को नाकाम करें।

आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री (Narendra Modi) ने कहा‚ ‘हम इक्कीसवीं सदी में हैं‚ जो ज्ञान–विज्ञान और लोक–तंत्र का युग है क्या आपने किसी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहां हिंसा से जीवन बेहतर हुआ होॽ’ उन्होंने पूछा‚ ‘क्या आपने ऐसी किसी जगह के बारे में सुना है‚ जहां शांति और सद्भाव जीवन के लिए मुसीबत बने होंॽ’

मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि हिंसा‚ किसी समस्या का समाधान नहीं करती। दुनिया की किसी भी समस्या का हल‚ कोई दूसरी समस्या पैदा करने से नहीं बल्कि अधिक–से–अधिक उसका समाधान ढ़ूंढ़कर ही हो सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा‚ ‘आइए‚ हम सब मिल कर‚ एक ऐसे नए भारत के निर्माण में जुट जाएं‚ जहां शांति हर सवाल के जवाब का आधार हो। एकजुटता से हर समस्या के समाधान के प्रयास हो और‚ भाईचारा‚ हर विभाजन और बंटवारे की कोशिश को नाकाम करे।’

नॉर्थ-ईस्ट में शांति की बयार

पूर्वोत्तर का जिक्र करते हुए उन्होंने (Narendra Modi) कहा कि आपने भी समाचार में देखा होगा कि अभी कुछ दिनों पहले असम में‚ आठ अलग–अलग मिलिटेंट ग्रुप के 644 लोगों ने अपने हथियारों के साथ आत्म–समर्पण किया। जो पहले हिंसा के रास्ते पर चले गए थे उन्होंने अपना विश्वास‚ शान्ति में जताया और देश के विकास में भागीदार बनने का निर्णय लिया है‚ मुख्य–धारा में वापस आए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष‚ त्रिपुरा में भी 80 से अधिक लोग‚ हिंसा का रास्ता छोड़़ मुख्य–धारा में लौट आए हैं।

इतिहास में आज का दिन – 27 जनवरी

ब्रू–रियांग शरणार्थियों की समस्या का निदान

ब्रू–रियांग शरणार्थियों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि दिल्ली में एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किये गए | इसके साथ ही‚ लगभग 25 वर्ष पुरानी ब्रू–रियांग शरणार्थी समस्या के एक दर्दनाक अध्याय का अंत हुआ। उन्होंने कहा कि यह समस्या 90 के दशक की है । 1947 में जातीय तनाव के कारण ब्रू रियांग जनजाति के लोगों को मिज़ोरम से निकल करके त्रिपुरा में शरण लेनी पड़़ी थी | इन शरणार्थियों को उत्तर त्रिपुरा के कंचनपुर स्थित अस्थाई कैम्पों में रखा गया।

जल संरक्षण झालोर में दो बावड़ियों को मिली जिंदगी

पीएम मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि स्वच्छता के बाद जनभागीदारी की भावना आज एक और क्षेत्र में तेजी से बढ़ रही है और वह है ‘जल संरक्षण’। ‘जल संरक्षण’ के लिए कई व्यापक और नए प्रयास देश के हर कोने में चल रहे हैं। पिछले मानसून में शुरू किया गया जल संरक्षण अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है। इसमें समाज के हर वर्ग ने अपना योगदान दिया। राजस्थान के झालोर जिले की दो ऐतिहासिक बावडि़यां कूड़े और गंदे पानी का भंडार बन गई थी। भद्रायुं और थानवाला पंचायत के सैकड़ों लोगों ने ‘जलशक्ति अभियान’ के तहत इन्हें पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया।

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