FATF से डर गया पाकिस्तान! टेरर फंडिंग मामले में हाफिज सईद को 5 साल की सजा

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को टेरर फंडिंग मामले में पाकिस्तान की अदालत ने 12 फरवरी को पांच साल की सजा सुनाई है।

Hafiz Saeed

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को टेरर फंडिंग मामले में पाकिस्तान की अदालत ने 12 फरवरी को पांच साल की सजा सुनाई है।

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को टेरर फंडिंग मामले में पाकिस्तान की अदालत ने 12 फरवरी को पांच साल की सजा सुनाई है। न्यूज एजेंसी ANI और भाषा ने पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से यह खबर दी है। पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी अदालत ने हाफिज सईद (Hafiz Saeed) और अन्य के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में 11 दिसंबर को आरोप तय किए थे।

Hafiz Saeed
हाफिज सईद (फाइल फोटो)।

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को टेरर फंडिंग मामले में पाकिस्तान की अदालत ने 12 फरवरी को पांच साल की सजा सुनाई है। न्यूज एजेंसी ANI और भाषा ने पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से यह खबर दी है। पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी अदालत ने हाफिज सईद (Hafiz Saeed) और अन्य के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में 11 दिसंबर को आरोप तय किए थे। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को 2008 के मुंबई हमलों के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने प्रतिबंधित कर दिया था।

हाफिज सईद के खिलाफ कुल 29 मामले हैं दर्ज

हाफिज (Hafiz Saeed) के खिलाफ आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध कब्जे के कुल 29 मामले दर्ज हैं। भारत द्वारा उसके खिलाफ आतंकी मामलों की डोजियर के बावजूद, उसे पाकिस्तान में खुलेआम घूमने और भारत विरोधी रैलियों को प्रभावशाली तरीके से संबोधित करने की अनुमति दी गई थी। पाकिस्तान ने लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद हाफिज सईद के खिलाफ आतंकी आरोप लगाए थे।

उसके खिलाफ पाकिस्तान के पंजाब पुलिस के काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट द्वारा दायर एफआईआर में आतंकी वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के कई अपराधों के आरोप लगाए गए थे। 2017 में हाफिज सईद (Hafiz Saeed) और उसके चार सहयोगियों को पाकिस्तान सरकार ने आतंकी कानूनों के तहत हिरासत में लिया था। लेकिन लगभग 11 महीने बाद उसे रिहा कर दिया गया, जब पंजाब के न्यायिक समीक्षा बोर्ड ने उसके कारावास को और बढ़ाने से इनकार कर दिया।

पाकिस्तान को FATF में ब्लैक लिस्ट होने का है डर

हाफिज पर यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान पर FATF की काली सूची में शामिल होने का खतरा मंडरा रहा है। गौरतलब है कि आतंकवाद को मुहैया कराए जाने वाले धन की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में डाल दिया है और अब उसपर काली सूची में जाने का खतरा मंडरा रहा था। उसे चेतावनी दी गई थी कि यदि फरवरी तक आतंकवाद के वित्तपोषण पर नियंत्रण नहीं किया जाता है तो उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा। उसके बाद से ही पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने हाफिज (Hafiz Saeed) की नकेल कसने शुरू की थी।

हालांकि, हाल ही में FATF ने पाक को बड़ी राहत देते हुए आतंकी समूहों पर कार्रवाई के लिए उसकी ओर से किए गए प्रयासों पर संतोष जताया है। ऐसे में संभावना है कि पाकिस्तान अगले महीने ग्रे लिस्ट से बाहर आ सकता है। हाफिज के खिलाफ आज आया कोर्ट का फैसला उसी से जोड़कर देखा जा रहा है। आतंकवाद के जनक के तौर पर दुनिया में बदनाम पाकिस्तान को डर इस बात का है कि अगर उसे FATF की काली सूची में शामिल किया जाता है तो उसके लिए डूब रही अर्थव्यवस्था को बचाना और भी मुश्किल हो जाएगा।

भारत के लिए भी राहत की खबर

वहीं, यह भारत के लिए भी एक बड़ी राहत की खबर है। क्योंकि पिछले 11 सालों से ज्यादा वक्त से हाफिज (Hafiz Saeed) को कानून के कठघरे में खड़ा करने की लड़ाई लड़ रहा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में समय-समय पर पाक में पल रहे आतंक की बातें जोर-शोर से उठाई है। इसमें अमेरिका का भी पूरा साथ मिलता रहा है जिसने हाल ही में जमात-उद-दावा चीफ हाफिज के खिलाफ मुकदमा तेज करने की अपील की थी। दिसंबर में हाफिज (Hafiz Saeed) और उसके तीन करीबी सहयोगियों- हाफिज अब्दुल सलाम बिन मुहम्मद, मुहम्मद अशरफ और जफर इकबाल के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, जिसका अमेरिका ने स्वागत किया था।

तब अमेरिका की दक्षिण और मध्य एशिया की कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस जी वेल्स ने कहा था, ‘हम पाकिस्तान से अपील करते हैं कि वह आतंकवाद के वित्त पोषण को बंद करने और 26/11 जैसे आतंकवादी हमलों के दोषियों को सजा दिलाने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुसार पूर्ण रूप से मुकदमा चलाए और तेजी से सुनवाई करें।’

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