मुंबई हमले के मास्टरमाइंड की सजा पर भारत ने उठाए सवाल तो अमेरिका ने किया स्वागत

Hafiz Saeed

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को टेरर फंडिंग मामले में पाकिस्तान की अदालत ने 12 फरवरी को पांच साल की सजा सुनाई है।

पाकिस्तान की एक अदालत ने 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को आतंक के वित्तपोषण के दो मामलों में बुधवार को 11 साल की सजा सुनाई। अदालत का यह फैसला वैश्विक आतंक निरोधक निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की पेरिस में होने वाली बैठक से महज 4 दिन पहले आया है। बैठक का उद्देश्य यह देखना है कि देश में आतंकी समूह पर लगाम लगाने के लिए कार्योजना का पाकिस्तान में कितना पालन किया है।

Hafiz Saeed
हाफिज सईद की सजा पर भारत ने उठाए सवाल तो अमेरिका ने किया स्वागत।

पिछले वर्ष एफएसटीफ ने पाकिस्तान से कहा था कि फरवरी 2020 तक वह अपने आतंक निरोधी योजना को पूर्ण रुप से लागू करें अथवा कड़ी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें विराम आतंक के वित्तपोषण पर रोक रोक लगाने में नाकाम रहे पाकिस्तान को एफएसटीफ ने देशों की ‘ग्रे सूची’ में पहले से डाल रखा है।

अमेरिका ने किया स्वागत

मुंबई 2008 आतंकवादी हमलों के मास्टरमाइंड तथा कुख्यात आतंकवादी हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को पाकिस्तान की अदालत द्वारा सजा सुनाने के फैसले का अमेरिका ने स्वागत करते हुए कहा कि लश्कर-ए-तैयबा की जवाबदेही तय करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एल. जी. वेल्स ने कहा, ‘आज हाफिज और उसके साथियों को दोषी ठहराया जाना यह दर्शाता है कि आतंकवादी और उसके अपराधों के लिए जवाबदेही तय करने और पाकिस्तान की आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने की अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वेल्स ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि यह देश के भविष्य के हित में है कि वह अपनी सरजमीं का इस्तेमाल देश विरोधी तत्वों को नहीं करने दे।

दबाव में दी सजा

जमात–उद–दावा के सरगना हाफिज सईद (Hafiz Saeed) तथा उसके करीबी को मिली सजा से इतना तो साबित हो गया कि अंतरराष्ट्रीय दबाव का असर पाकिस्तान की इमरान खान सरकार पर है‚ अन्यथा उसका मुकदमा ठीक से लड़ा ही नहीं जाता। पाकिस्तान की आतंक रोधी अदालत (एटीसी) ने सईद और उसके करीबी जफर इकबाल को आतंकवाद के वित्त पोषण के दो मामलों में साढ़े पांच–पांच साल कैद की सजा सुनाई। दोनों सजा एक साथ चलेंगी। चूंकि न्यायालय ने सईद की आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में उसके खिलाफ चल रहे छह मामलों को एक साथ जोड़ने की अपील भी स्वीकार कर ली‚ इसलिए आने वाले समय में उसको और सजा मिल सकती है।

हाफिज सईद (Hafiz Saeed)  खिलाफ आतंकवाद के वित्त पोषण को लेकर कुल 23 मुकदमे दर्ज हैं। दो में सजा के बाद उसके खिलाफ अब भी 21 मामले कायम हैं। हमारे लिए यह ज्यादा राहत की बात इसलिए नहीं है कि संसद हमले से लेकर 2006 के मुंबई उपनगरीय रेलों पर तथा फिर 26 नवम्बर‚ 2008 को सबसे भयावह मुंबई हमले को लेकर पाकिस्तान की यही एटीसी टालमटोल का रवैया अपनाती रही है। उसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित कराया जा चुका है। अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है‚ तो उसके आतंकवादी होने में दुनिया को कोई संदेह नहीं था। पर पाकिस्तान में उसे पूरा सम्मान और काम करने की स्वतंत्रता प्राप्त थी। लगता है कि पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की काली सूची में डाले जाने की आशंका ने पाकिस्तान को मजबूर कर दिया कि वह कुछ कार्रवाई करके दिखाए। इसी में सईद और अन्य कई सरगनाओं पर मुकदमे दर्ज हुए।

हाफिज सईद (Hafiz Saeed) चूंकि दुनिया भर के रडार पर है‚ इसलिए उसके मामले की तेजी से सुनवाई हुई। सईद को पिछले साल 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। साढ़े छह महीने में आरोप पत्र से लेकर न्यायिक प्रक्रिया का पूरा होना पाकिस्तान के अतीत को देखते हुए असाधारण है। उसे सजा उस दिन मिली है जिसके चार दिन बाद ही पेरिस में एफएटीएफ की बैठक है। यह टाइमिंग बताती है कि किस इरादे से उस पर कानूनी कार्रवाई की गई है। निश्चय ही पाकिस्तान इसे आतंकवाद के वित्त पोषण के खिलाफ अपनी नेकनीयती के बतौर सबूत पेश करेगा। एफएटीएफ इसे किस तरह लेता है‚ उसका क्या फैसला होता है‚ इस पर दुनिया की नजर होगी।

पढ़ें: बरसी पर बरसा शहीद के परिवार का गुस्सा, आ गई है अनशन पर बैठने की नौबत

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें