अफगानिस्तान की हार के लिए पाक भी जिम्मेदार, तालिबान की मदद के लिए पाकिस्तानी सेना ने भेजे हैं लश्कर-जैश के आतंकी

आतंकी संगठन लश्कर ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद अफगानिस्तान में कम से कम आठ जिलों में अपनी स्थिति मजबूत करना शुरू कर दिया था।

Militants

अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के लिए तालिबान की मदद करने में पाकिस्तान की नापाक भूमिका सामने आई है। जहां पाकिस्तान सेना द्वारा ट्रेंड पाक आतंकी अफगान सेना के खिलाफ लड़ रहे हैं। इन आतंकियों (Militants) की बड़ी संख्या में पंजाब (पाकिस्तान) से हैं, जिन्हें तालिबान के रैंकों को मजबूत करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा द्वारा चलाए जा रहे आतंकी ट्रेनिंग कैंप में थोड़े समय के ट्रेनिंग देने के बाद पाक सेना द्वारा भेजा गया था।

झारखंड: हजारीबाग पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, 25 लाख के इनामी नक्सली कमांडर को दौड़ा-कर पकड़ा

पाकिस्तान का पंजाब प्रांत दो सबसे कुख्यात पाकिस्तानी सेना समर्थित आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का घर है। हालांकि पंजाबी आतंकियों (Militants) की सही संख्या जो कि ज्यादातर लश्कर-ए तैयबा से हैं, ज्ञात नहीं है, लेकिन तमाम अनुमानों को देखें तो 10,000 से अधिक के आंकड़े की उम्मीद जताई जा रही है।

कंधार में लश्कर के आतंकियों (Militants) को तालिबान के साथ मिलकर लड़ते देखा गया। लड़ाई के दौरान लश्कर के काफी आतंकी मारे भी गए हैं। लश्कर की टीम का नेतृत्व सैफुल्ला खालिद कर रहा था, जो कंधार के नवाही जिले में अपने 11 साथियों के साथ लड़ाई में मारा गया।

खालिद की जगह पंजाब के एक अन्य लश्कर कमांडर इमरान ने ले ली। उसने पहले कश्मीर में ऑपरेशन किया था, जहां वह आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था। यह भी ज्ञात है कि पाकिस्तान ने मारे गए आतंकियों (Militants) के शवों को उनके मूल स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था की थी।

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में लड़ रहे घायल लश्कर-ए-तैयबा और अन्य पाकिस्तानी कैडरों के लिए अस्थायी अस्पताल भी स्थापित किए हैं। पाकिस्तान के अलग-अलग जिलों से सेना द्वारा युवकों को तालिबान की युद्ध मशीन में शामिल होने के लिए मजबूर करने की खबरें भी आती रही हैं ।

क्वेटा, डेरा इस्माइल खान, कराक, हंगू, कोहाट, पेशावर, मर्दन और नौशेरा में जिन स्थानों पर सबसे अधिक भर्ती हुई है, उनमें से कई मामलों में जबरदस्ती हुई है। इन रिपोर्टो की पुष्टि अफगानिस्तान में लड़ाई के लिए जबरन भर्ती से बचने के लिए बड़ी संख्या में युवकों के इन शहरों से कराची भाग जाने की घटनाओं से होती है ।

दरअसल अफगानिस्तान में पाक स्थित आतंकवादी समूहों की सक्रिय भूमिका विभिन्न रिपोर्ट्स में समय-समय पर पिछले काफी समय से बताई जाती रही है। 90 के दशक से अफगानिस्तान के भीतर लश्कर का गढ़ रहा है और इस आतंकी संगठन ने 2001 के बाद भी तालिबान के साथ प्रशिक्षण और लड़ाई जारी रखी है।

पाकिस्तानी सेना के सक्रिय समर्थन के साथ, आतंकी संगठन लश्कर ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद अफगानिस्तान में कम से कम आठ जिलों में अपनी स्थिति मजबूत करना शुरू कर दिया था। इसी तरह, जैश-ए-मोहम्मद को भी नंगरहार प्रांत में कुछ ठिकाने मिले थे, जिनका इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना कश्मीर के लिए कैडरों को ट्रेनिंग देने के लिए कर रही थी ।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें