
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आखिरकार कबूल किया है कि कई आतंकी संगठन उनकी जमीन पर पैदा हुए और उन्हें ट्रेनिंग दी गई।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आखिरकार कबूल किया है कि कई आतंकी संगठन उनकी जमीन पर पैदा हुए और उन्हें ट्रेनिंग दी गई। उन्होंने स्वीकार किया कि उनके मुल्क ने ही आतंकवादियों को प्रशिक्षित किया था, लेकिन वे आतंकवादी नहीं जेहादी थे। उन्होंने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए 13 सितंबर को कहा कि सोवियत संघ द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिए जाने के बाद उनके मुल्क ने अमेरिकी जासूसी एजेंसी CIA की मदद से जेहादियों को प्रशिक्षण दिया था। अफगानिस्तान में रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) के खिलाफ लड़ने के लिए पाकिस्तान ने जेहादियों को तैयार किया था। उन्हें ट्रेनिंग दी गई थी। रूस के अंग्रेजी न्यूज चैनल RT को दिए इंटरव्यू में इमरान खान ने ये सारी बातें कही हैं।
पाकिस्तान ने बनाए जेहादी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि शीतयुद्ध के उस दौर में रूस के खिलाफ पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद की थी। जेहादियों को रूसियों के खिलाफ लड़ने के लिए ट्रेनिंग दी थी, ताकि जब सोवियत यूनियन, अफगानिस्तान पर कब्जा करेगा तो वो उनके खिलाफ जेहाद का एलान करे देंग। लेकिन इसके बावजूद अब अमेरिका, पाकिस्तान पर अब आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लग रहा है।
उन्होंने कहा, “80 के दशक में हम इन मुजाहिदीन को सोवियत यूनियन के खिलाफ जेहाद के लिए प्रशिक्षित कर रहे थे, जब उन्होंने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया था। सो, इन लोगों को पाकिस्तान ने प्रशिक्षण दिया और इन्हें अमेरिका की जासूसी एजेंसी CIA ने माली मदद मुहैया करवाई।” उन्होंने कहा, “इसके 10 साल बाद अमेरिका वहां पहुंचा और जब उन्हें लम्बे संघर्ष के बाद भी कामयाबी हासिल नहीं हो पाई, तो मुजाहिदीन को आतंकवादी करार दिया गया और हमें दोषी ठहराया जा रहा है। यह बड़ा विरोधाभासी है।”
अमेरिका पर बरसे इमरान खान
इस इंटरव्यू के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अमेरिका पर भड़के। इमरान खान ने कहा, “हमने भी अपने 70,000 लोग खोए हैं, हमने अपनी अर्थव्यवस्था से 100 अरब डॉलर से ज्यादा गंवा दिए। अंत में, हमें ही अफगानिस्तान में अमेरिका के कामयाब नहीं होने के लिए दोषी करार दिया गया। मुझे लगता है कि यह पाकिस्तान के साथ बहुत नाइंसाफी है।” इंटरव्यू में इमरान खान ने कहा कि यह सोचकर बड़ा अजीब लगता है कि हमने इस समूह का साथ देकर क्या पाया है। मुझे लगता है कि पाकिस्तान को इससे अलग रहना चाहिए था, क्योंकि अमेरिका का साथ देकर हमने इन समूहों को पाकिस्तान के खिलाफ कर लिया। इमरान खान ने यह भी कहा कि आज बड़े देश उनकी सहायता के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘आज कमजोर की कोई सुनने वाला नहीं है।’
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कभी अमेरिका के साथ दोस्ती निभाने वाले पाकिस्तान का मोहभंग हो गया है। दरअसल जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान कई देशों के दरवाजा खटखटा चुका है लेकिन हर जगह मुंहकी खानी पड़ी। इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से भी इस बारे में बात की थी। लेकिन इसके बाद फ्रांस में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने भी कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला हैं और पीएम मोदी जो भी करेंगे बहुत अच्छा होगा।
इमरान खान अमेरिका जैसे देशों का सपोर्ट न पाकर दुनियाभर में इस्लाम के नाम पर ध्रुवीकरण करने का भी पैतरा अपना चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि दुनिया के सभी इस्लामिक देशों के साथ आना चाहिए। बता दें कि पाकिस्तान सरकार ने यूएई में पीएम मोदी के सम्मान पर भी नाराजगी जताई थी और सीनेट के प्रतिनिधिमंडल ने अपनी यूएई यात्रा रद्द कर दी थी।
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