ऑपरेशन थंडरबोल्ट: जब इजरायल ने अपने नागरिकों को बचाने के लिए उठाया था हाई रिस्क

इजरायल ने नागरिकों को बचाने के लिए दूसरे देश की सीमा पार कर ली थी। जिसे ऑपरेशन एन्तेबे या ऑपरेशन थंडरबोल्ट (Operation Thunderbolt) के नाम से जाना जाता है।

Ooperation thunderbolt

ऑपरेशन में शामिल जवानों की फाइल फोटो

इजरायली सेना अपने मिशन (Operation Thunderbolt) में कामयाब हुई और वो अपने यात्रियों को सुरक्षित वापस लेकर आए। इस ऑपरेशन में आतंकवादियों समेत युगांडा के 50 जवान मारे गए।

नई दिल्ली: इजरायल एक ऐसा देश है जिसकी तकनीक और सेनाओं की चर्चा पूरी दुनिया में है। अरब देशों को युद्ध में हराकर खुद को स्थापित करने वाले इजरायल ने अपने नागरिकों को बचाने के लिए दूसरे देश की सीमा तक पार कर ली थी। जिसे ऑपरेशन एन्तेबे या ऑपरेशन थंडरबोल्ट (Operation Thunderbolt) के नाम से जाना जाता है।

दरअसल 27 जून 1976 का दिन था। इजरायल की राजधानी तेल अवीव के बेनगुरियन एयरपोर्ट से ग्रीस की राजधानी एथेंस के लिए एयरबस ए300 वी4-203 ने करीब 248 यात्रियों और 12 क्रू मेंबर के साथ उड़ान भरी। फ्लाइट तय समय से एथेंस पहुंची। वहां विमान में 58 यात्री सवार हुए और साथ ही 4 आतंकवादी भी विमान के अंदर आ गए। इन आतंकवादी में 2 फिलीस्तीनी लिबरेशन आर्मी और 2 जर्मन के रिवॉल्यूशनरी बिग्रेड से जुड़े थे। एथेंस में विमान में तेल भरा गया और फिर फ्लाइट फ्रांस की राजधानी पेरिस के लिए रवाना हुई। जिसके बाद ही आतंकवादियों ने यात्रियों पर अपनी बंदूकें तान दी और विमान को अपने कब्जे में ले लिया।

हाइजैकर्स का पहला स्टॉप बेनगाज़ी

आतंकवादियों ने पायलट के पास जाकर फ्लाइट को बेनगाज़ी ले जाने को कहा। वहां सात से आठ घंटे रुकने के बाद आतंकियों ने अरब देश से बात की। उन्हें ये विश्वास था कि इजरायल से दुश्मनी के कारण अरब देश अपने देश में फ्लाइट को लैंड करने की इजाजत दे देंगे। मगर ऐसा नहीं हुआ और सभी देशों ने विमान की लैंडिंग से मना कर दिया।

आतंकियों का सहारा बना युगांडा

28 जून को आतंकियों ने युगांडा के तत्कालीन तानाशाह ईदी अमीन ने आतंकियों के साथ हमदर्दी दिखाते हुए युगांडा के एंतेबे एयरपोर्ट पर विमान उतारने की परमिशन दे दी। ईदी अमीन के बारे में कहा जाता था कि वो इंसानों का मांस खाता था। तानाशाह आतंकियों की हर डिमांड पूरी करता गया और युगांडा की सेनाओं को बंधक यात्रियों के निगरानी में लगा दिया।

इजरायल पहुंची विमान हाइजैक की खबर

जब इजरायल को विमान अपहरण के बारे में जानकारी मिली तब इजरायल ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। पहले ये कहा गया कि ये फ्रांस का मसला है। मगर जब इजरायल को पता चला कि विमान में सवार 100 से ज्यादा लोग यहूदी हैं और इजरायल के रहने वाले हैं तब इजरायल काफी सक्रिय हो गया।

आतंकियों की मांग साथियों को छोड़ें

आतंकवादियों की मांग थी कि इजरायल के कई जेलों में बंदी बनाए गए उनके सभी साथियों को रिहा कर दिया जाए। इसके अलावा वह विदेशी जेलों में बंद अपने दोस्तों को छुड़ाने के लिए 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग भी कर रहे थे। मगर जैसा कि सबको मालूम है कि इजरायल आतंकियों के साथ समझौता नहीं करता तो उसने अलग रास्ते इख्तियार करने शुरू कर दिए।

इजरायल और युगांडा के तानाशाह

इजरायल से एंतेबे दूरी बहुत ज्यादा थी। इसलिए इजरायल ने पहले बातचीत का रास्ता चुना। साथ ही आतंकियों को उलझाने के प्रयास भी किए। ताकि उसे किसी भी ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए वक्त मिल जाए। दरअसल युगांडा का तानाशाह नोबेल पुरस्कार की ख्वाहिश रखता था। इजरायल ने उसके सामने नोबेल पुरस्कार दिलवाने की पेशकश की। मगर बात नहीं बनी और ईदी अमीन ने इस प्रस्ताव से इनकार कर दिया।

ऑपरेशन थंडरबोल्ट

इजरायल की सेना आतंकियों से बात करती रही और उन्हें उनकी मांगों पर विचार करने के लिए वक्त मांगा। जिससे उन्हें योजना बनाने के लिए कुछ वक्त मिल गया। उधर इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद आतंकवादियों से जुड़ी जानकारी जुटाने में लग गई। इजरायल की कैबिनेट ने ऑपरेशन पर काफी विचार विमर्श के बाद हरी झंडी दिखा दी। पहले जवानों को पानी के रास्ते एंतेबे भेजने पर विचार किया गया। मगर इस रूट के बहुत लंबा होने के कारण इसे रोक दिया गया। बाद में इजरायल ने 200 जवानों की टीम तैयार की। 3 जुलाई को ये जवान 130 हरकुलिस विमान से रवाना हुए। वो अपने साथ एक मर्सिडिज़ कार और दो बोइंग 707 ले गए। जिसमें से एक में मेडिकल टीम सवार थी और दूसरी में यात्रियों को वापस लाना था।

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जवान अपने साथ मर्सिडीज कार युगांडा की सेना को चकमा देने के लिए ले जा रहे थे। दरअसल ईदी अमीन काली मर्सिडीज कार में चला करते थे । मगर उस वक्त इजरायल की सेनाओं को इस बात की जानकारी नहीं थी कि युगांडा के तानाशाह देश में नहीं हैं, इस कारण युगांडा की सेना को इसकी भनक लग गई और उन्होंने इजरायली सेनाओं पर ताबड़तोड़ फायरिंग करनी शुरू कर दी। लेकिन इजरायली सेना अपने मिशन (Operation Thunderbolt) में कामयाब हुई और वो अपने यात्रियों को सुरक्षित वापस लेकर आए।

इस ऑपरेशन में आतंकवादियों समेत युगांडा के 50 जवान मारे गए। जबकि इजरायल के तीन बंधक और एक कमांडर पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाई योनाथन नेतन्याहू की मौत हो गई। ऑपरेशन के बाद लौटे जवानों का जमकर स्वागत हुआ और खूब तारीफ भी की गई।

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