फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा और रूसी पत्रकार दमित्री मुरातोव को मिला इस साल का शांति नोबेल पुरस्कार

फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा और रूसी पत्रकार दमित्री मुरातोव को 8 अक्टूबर को इस साल शांति के लिए नोबेल पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित करने की घोषणा की गई।

Nobel Peace Prize

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नोबेल कमेटी ने कहा है कि इन दोनों को अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा के लिए नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित किया जा रहा है, क्योंकि बोलने की आजादी ही लोकतंत्र और स्थायी शांति की पहली शर्त है।

फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा और रूसी पत्रकार दमित्री मुरातोव को 8 अक्टूबर को इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित करने की घोषणा की गई।

नोबेल कमेटी ने कहा है कि इन दोनों को अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा के लिए नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित किया जा रहा है, क्योंकि बोलने की आजादी ही लोकतंत्र और स्थायी शांति की पहली शर्त है।

समिति की अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने कहा कि स्वतंत्र और तथ्य आधारित पत्रकारिता सत्ता के दुरुपयोग, झूठ और युद्ध के दुष्प्रचार से बचाने का काम करती है।

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फिलीपींस से नाता रखने वाली अमेरिकी पत्रकार मारिया रेसा न्यूज साइट रैप्लर (Rappler) की सह-संस्थापक हैं। उन्हें फिलीपींस में सत्ता की ताकत के गलत इस्तेमाल, हिंसा और तानाशाही के बढ़ते खतरे पर खुलासों के लिए पहले भी सम्मानित किया जा चुका है। नोबेल कमेटी ने अभिव्यक्ति की आजादी में उनकी भूमिका की प्रशंसा करते हुए उन्हें इस सम्मान का हकदार बताया।

वहीं, रूसी पत्रकार दमित्री मुरातोव स्वतंत्र अखबार नोवाजा गजेटा के सह-संस्थापक हैं और पिछले 24 साल से पेपर के मुख्य संपादक रहे हैं। रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के तानाशाही राज के बावजूद मुरातोव को अपने अखबार के जरिए सरकार की योजनाओं की आलोचना के लिए जाना जाता रहा है।

नोबेल कमेटी ने कहा कि मुरातोव कई दशकों से रूस में अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा कर रहे हैं। दमित्री मुरातोव रूस में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद दशकों तक अभिव्यक्ति की आजादी के बड़े पैरोकार रहे हैं। पत्रकारों की हत्या और धमकियों के बावजूद उन्होंने नोवाया गजेटा अखबार की स्वतंत्र नीति को त्यागने से इन्कार कर दिया है।

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नोबेल कमेटी ने कहा कि आजाद, स्वायत्त और तथ्य आधारित पत्रकारिता सत्ता की ताकत, झूठ और युद्ध के प्रोपेगंडा से रक्षा करने में अहम है। अभिव्यक्ति की आजादी और प्रेस की स्वतंत्रता के बिना देशों के बीच सौहार्द और विश्व व्यवस्था को सफल बनाना काफी मुश्किल हो जाएगा।  

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