NIA की रडार पर अलगाववादी, आतंकी संगठनों में भर्तियों के लिए मुहैया करा रहे दस्तावेज

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने घाटी की सुरक्षाव्यवस्था के मद्देनजर कश्मीर (Kashmir) के कुछ अलगाववादियों (Separatists) को रडार पर ले लिया है। दरअसल, इस बात का खुलासा हुआ है कि अलगाववादी आतंकी संगठनों की स्थानीय भर्तियों के लिए दस्तावेजों की व्यवस्था कर रहे हैं।

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मारे गए दो लश्कर-ए-तैयबा के संचालकों के खिलाफ जम्मू की विशेष एनआईए (NIA) अदालत में आरोप पत्र दायर किए गए हैं। इन आरोप पत्रों में ही इस बात का खुलासा हुआ है कि अलगाववादी आतंकी संगठनों की स्थानीय भर्तियों के लिए दस्तावेजों की व्यवस्था कर रहे हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने घाटी की सुरक्षाव्यवस्था के मद्देनजर कश्मीर (Kashmir) के कुछ अलगाववादियों (Separatists) को रडार पर ले लिया है। ये अलगाववादी आतंकी संगठनों (Terrorist Organizations) की स्थानीय भर्तियों के लिए पहचान पत्र और यात्रा करने के लिए दस्तावेजों की व्यवस्था कर रहे हैं। इन दस्तावेजों के सहारे आंतकी सड़क के रास्ते पाकिस्तान जा रहे हैं और पाकिस्तान में हथियार चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं।

दरअसल, मारे गए दो लश्कर-ए-तैयबा के संचालकों के खिलाफ जम्मू की विशेष एनआईए अदालत में आरोप पत्र दायर किए गए हैं। इन आरोप पत्रों में ही इस बात का खुलासा हुआ है कि अलगाववादी आतंकी संगठनों की स्थानीय भर्तियों के लिए दस्तावेजों की व्यवस्था कर रहे हैं।

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इन आरोप पत्र में बताया गया है कि एक आंतकवादी को गिरफ्तार किया गया, जो वैध भारतीय दस्तावेजों के सहारे पाकिस्तान गया था। उसे एक कुख्यात अलगाववादी संगठन के पदाधिकारी की सिफारिश पर ये दस्तावेज प्राप्त मुहैया कराए गए थे।

एनआईए (NIA) के प्रवक्ता के मुताबिक, “मुनीब हमीद भट साल 2016 और 2018 के बीच सीमा पार भेजे गए कश्मीरी आतंकवादियों में से एक है। 5 से 15 दिनों तक चलने वाले प्रशिक्षण के बाद वह वापस लौटा और स्लीपर सेल में शामिल होकर सक्रिय रूप से आतंकियों के लिए काम करने लगा।”

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सितंबर, 2018 में शुरू होने वाली जांच के दौरान एनआईए (NIA) को पता चला कि मुनीब दक्षिण कश्मीर के कुलगाम का रहने वाला है। उसे अपने जिले के ही एक आतंकी जुनैद अहमद मट्टू ने लश्कर में शामिल होने के लिए तैयार किया था। एक अन्य आतंकी भी गिरफ्तार किया गया था। उसका नाम उमर राशिद वानी था।

अलगाववादी संगठन ने उमर को उसकी पाकिस्तान की यात्रा के दौरान खर्चों के लिए उसे पैसे मुहैया कराया था। दस्तावेजों के आधार पर मुनीब जुलाई से अगस्त, 2017 तक पाकिस्तान में था। उसे ये वैध दस्तावेज अलगाववादी संगठन ने उपलब्ध कराए थे। हथियार चलाने के प्रशिक्षण के अलावा उन्हें डार्क वेब पर चैट और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का प्रयोग करने की भी ट्रेनिंग दी गई।

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एनआईए (NIA) के प्रवक्ता के अनुसार, पाकिस्तान से लौटने के बाद मुनीब पाकिस्तान में अपने लश्कर संचालकों के साथ संपर्क में था। डार्क वेब पर चैटिंग के जरिए प्लानिंग कर वह घाटी में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता था। बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जुनैद को साल 2017 में और उमर को 2018 के एनकाउंटर में मार दिया था।

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