कहानी उस भारतीय की जिसने पाक को चटा दी थी धूल, बाइक के बदले ले लिया था आधा मुल्क

भारत के पहले फाइव-स्टार रैंक वाले फील्ड मार्शल, सबसे ज्यादा चर्चित सैनिक, जिन्होंने न सिर्फ सेकेंड वर्ल्ड वॉर में अपनी दिलेरी और जांबाजी के झंडे गाड़े, बल्कि चीन और फिर पाकिस्तान के साथ हुए तीनों युद्ध में भी उनके योगदान को देश कभी भुला नहीं सकता।

Sam Manekshaw

पाकिस्तान को धूल चटाने वाले सैम मानेकशॉ।

कहानी एक ऐसे अद्भुत रणबांकुड़े की जिसके अदम्य साहस और युद्ध कौशल के किस्से आज भी भारतीय सेना में मशहूर हैं। भारत के पहले फाइव-स्टार रैंक वाले फील्ड मार्शल, सबसे ज्यादा चर्चित सैनिक, जिन्होंने न सिर्फ सेकेंड वर्ल्ड वॉर में अपनी दिलेरी और जांबाजी के झंडे गाड़े, बल्कि चीन और फिर पाकिस्तान (Pakistan) के साथ हुए तीनों युद्ध में भी उनके योगदान को देश कभी भुला नहीं सकता। कहानी भारत के पूर्व थल-सेनाध्यक्ष, फाइव-स्टार रैंक के फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की। जिन्हें उनके दोस्त और चाहने वाले आज भी सैम बहादुर के नाम से याद करते हैं। सैम बहादुर या फिल्ड मार्शल सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) के जन्मदिन पर उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से सुना रहे हैं संजीव श्रीवास्तव।

Sam Manekshaw

 

सुनिए फील्ड मार्शल सैम बहादुर की कहानीः

 

3 अप्रैल, 1914 को अमृतसर के एक पारसी परिवार में जन्मे सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) एकमात्र ऐसे सेनाधिकारी थे, जिन्हें रिटायरमेंट से पहले ही फाइव स्टार रैंक तक पदोन्नति दी गई थी। अमृतसर में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद मानेकशॉ नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में दाखिल हुए और देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच के लिए चुने गए 40 छात्रों में से एक थे, जहां से कमीशन पाकर वह भारतीय सेना में भर्ती हुए।

जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कहा- स्वीटी

अपनी साफगोई और खरी-खरी सुनाने से सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) कभी बाज नहीं आते थे। चाहे फिर सामने भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ही क्यों न हों। किस्सा यह है कि जब 1971 में पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान यानी ईस्ट पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश है, वहां पर दमन करना शुरू किया, जिससे लाखों की संख्या में रेफ्यूजीज बांग्लादेश से भारत के बंगाल, असम और त्रिपुरा स्टेट्स में आकर रहने लगे। भारतीय सरकार इससे बहुत परेशान थी। श्रीमति इंदिरा गांधी ने एक दिन इसी संदर्भ में बैठक बुलाई जिसमें विदेश मंत्री, सरदार स्वर्ण सिंह, कृषि मंत्री फखरूद्दीन अली अहमद, रक्षा-मंत्री बाबू जगजीवन राम और वित्त मंत्री यशवंत राव चव्हाण मौजूद थे। उस बैठक में सैम भी आमंत्रित थे। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम को कहा कि कुछ करना होगा। उनके पूछने पर इंदिरा गांधी ने असमय पूर्वी पाकिस्तान पर हमले के लिए कहा। सैम ने इसका विरोध किया। उन्होंने जवाब दिया कि इस स्थिति में हार तय है। इससे इंदिरा गांधी को गुस्सा आ गया। उनके गुस्से की परवाह किए बगैर मानेकशॉ (Sam Manekshaw)  ने कहा, ‘प्रधानमंत्री, क्या आप चाहती हैं कि आपके मुंह खोलने से पहले मैं कोई बहाना बनाकर अपना इस्तीफा सौंप दूं।’

 

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें